पुर्तगाल के रिजॉर्ट में तीन साल बच्ची बिस्तर से गायब हो गई. 2007 में हुई इस घटना के बाद से बच्ची नहीं मिली. लेकिन एक टीवी शो की मदद से संदिग्ध की पहचान हुई है.
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जर्मनी के जांचकर्ता 43 साल के एक जर्मन नागरिक की जांच कर रहे हैं. संघीय अपराध पुलिस के मुताबिक संदिग्ध का संबंध पुर्तगाल के एक हॉलिडे अपार्टमेंट से गुम हुई बच्ची मैडी से जुड़ा है.
जर्मनी के ब्राउनश्वाइग शहर के अभियोजन पक्ष को शक है कि संदिग्ध ने ही 2007 में लापता हुई तीन साल की ब्रिटिश बच्ची की हत्या की है.
संदिग्ध कई बार यौन अपराधों का दोषी साबित हो चुका है. बच्चों के यौन शोषण के मामले भी उस पर साबित हो चुके हैं. फिलहाल संदिग्ध किसी दूसरे मामले में जेल की सजा काट रहा है.
क्या है मैडी की गुमशुदगी का मामला
मैंडलिन बेथ मैककैनन (मैडी) के माता पिता 2007 में अपने तीन बच्चों के साथ पुर्तगाल के प्राया दा लूज में छुट्टियां बिता रहे थे. वे एक रिजॉर्ट में रह रहे थे. इसी दौरान एक शाम माता पिता अपने तीनों बच्चों को बिस्तर में सुलाकर पास के रेस्तरां में दोस्तों के साथ डिनर पर चले गए.
मां बाप जब वापस लौटे तो मैडी गायब थी. बाकी दो जुड़वा बच्चे बिस्तर पर ही थे. उनसे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी. गहन पुलिस जांच के बाद भी तीन साल की बच्ची कोई पता नहीं चला.
कैसे खुलीं केस की परतें
2013 में मैडी के माता पिताा जर्मनी के क्राइम टीवी सीरियल "आक्टेनत्साइषेन एक्सवाई” में शामिल हुए. सीरियल में मैडी की गुमशुदगी का मामला उठाया गया और दर्शकों से लगातार पूछा गया कि वे इस केस को सुलझाने में मदद करें. इसी दौरान पुलिस को संदिग्ध के बारे में एक टिप मिली. पता चला कि संदिग्ध भी अपने पते में पुर्तगाल के उसी इलाके का जिक्र करता था. लेकिन यह ऐसी जानकारी नहीं थी कि गिरफ्तारी की जा सके.
बाल दिवस यानि 14 नवंबर 2012 को भारत में लागू हुए पॉक्सो (POCSO) कानून में बच्चों से यौन अपराधों के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान है. बच्चों को पहले से सिखाएं कुछ ऐसी बातें जिनसे वे खुद समझ पाएं कि उनके साथ कुछ गलत हुआ.
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सबसे ज्यादा शिकार बच्चे
भारत में हुए कई सर्वे में पाया गया कि देश के आधे से भी अधिक बच्चे कभी ना कभी यौन दुर्व्यवहार का शिकार हुए हैं. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनमें से केवल 3 फीसदी मामलों में ही शिकायत दर्ज की जाती है.
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बच्चों को समझाएं
बच्चों को समझाना चाहिए कि उनका शरीर केवल उनका है. कोई भी उन्हें या उनके किसी प्राइवेट हिस्से को बिना उनकी मर्जी के नहीं छू सकता. उन्हें बताएं कि अगर किसी पारिवारिक दोस्त या रिश्तेदार का चूमना या छूना उन्हें अजीब लगे तो वे फौरन ना बोलें.
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बच्चों से बात करें
बच्चों को नहलाते समय या कपड़े पहनाते समय अगर वे उत्सुकतावश बड़ों से शरीर के अंगों और जननांगों के बारे में सवाल करें तो उन्हें सीधे सीधे बताएं. अंगों के सही नाम बताएं और ये भी कि वे उनके प्राइवेट पार्ट हैं.
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क्या सही, क्या गलत
ना तो बच्चों को और लोगों के सामने नंगा करें और ना ही खुद उनके सामने निर्वस्त्र हों. बच्चों को नहलाते या शौच करवाते समय हल्की फुल्की बातचीत के दौरान ही ऐसी कई बातें सिखाई जा सकती हैं जो उन्हें जानना जरूरी है.
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बात करें
बच्चों के साथ बातचीत के रास्ते हमेशा खुले रखें. उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे आपसे कुछ भी कह सकते हैं और उनकी कही बातों को आप गंभीरता से ही लेंगे. मां बाप से संकोच हो तो बच्चे अपनी उलझन किसी से नहीं कह पाएंगे.
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चुप्पी में छिपा है राज
बच्चों का काफी समय परिवार से दूर स्कूलों में बीतता है. बच्चों से स्कूल की सारी बातें सुनें. अगर बच्चा बेवजह गुमसुम रहने लगा हो, या पढ़ाई से अचानक मन उचट गया हो, तो एक बार इस संभावना की ओर भी ध्यान दें कि कहीं उसे ऐसी कोई बात अंदर ही अंदर सता तो नहीं रही है.
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सही गलत की सीख दें
बच्चों को बताएं कि ना तो उन्हें अपने प्राइवेट पार्ट्स किसी को दिखाने चाहिए और ना ही किसी और को उनके साथ ऐसा करने का हक है. अगर कोई बड़ा उनके सामने नग्नता या किसी और तरह की अश्लीलता करता है तो बच्चे माता पिता को बताएं.
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जर्मन अधिकारियों ने मैडी की गुमशुदगी को हत्या की जांच के तौर पर खंगालना शुरू किया. धीरे धीरे पता चला कि संदिग्ध जर्मन भी नियमित रूप से उस इलाके में रहता था. 1995 से 2007 वह लागोज और प्राया दा लूज के बीच रहा करता था. वह संदिग्ध आपराधिक तरीकों से पैसा जुटाया करता था. वह होटलों और हॉलिडे होम्स में सेंधमारी के साथ ड्रग्स भी बेचा करता था. जर्मन पुलिस के मुताबिक़ संदिग्ध ने हॉलिडे होम में सेंध मारी और इसी दौरान उसने मैडी को अगवा किया होगा.
बड़ा भी हो सकता है ये मामला
जर्मनी के सरकारी टीवी प्रसारक जेडीएएफ से बात करते हुए संघीय अपराध पुलिस कार्यालय के क्रिस्टियान होपे ने कहा, "दुर्भाग्य से हमारी जांच हमें उस तरफ ले जाती है जहां हमें लगता है कि उसे मार दिया गया.”
मैडी के परिवार ने जांच में प्रगति का स्वागत किया है. परिवार ने उम्मीद जताई कि कि उनकी बच्ची जिंदा लौटेगी. लेकिन परिवार भी जानता है कि उसे हकीकत का सामना करना होगा.
जर्मन पुलिस को आशंका है कि यौन अपराधों के इतिहास वाले संदिग्ध के साथ कुछ और लोग भी हो सकते हैं. संदिग्ध के पास दो गाड़ियां थी, जिनका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों के लिए किया गया.
जिस उम्र में आम बच्चे स्कूल और खेलकूद में व्यस्त रहते हैं, उसी उम्र में दुनिया के करीब 30,000 बच्चे कभी एके-47 जैसे हथियारों से गोलियां चला रहे हैं, तो कभी आत्मघाती हमलावर बनने की तैयारी कर रहे हैं.
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सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक
चाइल्ड सोल्जर्स इंटरनेशनल के मुताबिक सीएआर के संघर्ष में 10,000 से ज्यादा हथियारबंद बच्चे सक्रिय हैं. बच्चों को लड़ाके, गार्ड, इंसानी शील्ड, कुली, मैसेंजर, जासूस और कुक के रूप में भर्ती किया जाता है. उनका यौन शोषण भी होता है.
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डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
डीआरसी के नाम से भी जाने जाने वाले इस देश में 10,000 से ज्यादा बच्चों को हथियार थमाए गए हैं. कई विद्रोही गुट वहां बच्चियों को भी हथियार दे चुके हैं. बच्चियों को सैनिक और सेक्स ट्रैप के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. कमांडर और दूसरे सैनिक उनका यौन शोषण भी करते हैं.
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इराक
ह्यूमन राइट्स वॉच के दस्तावेजों के मुताबिक इराक में शिया और सुन्नी मिलिशिया गुटों ने बच्चों को अपनी जमात में शामिल किया है. कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी पर भी बच्चों को लड़ाई में झोंकने के आरोप लगते रहे हैं.
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म्यांमार
म्यांमार की सेना पर नाबालिगों को भर्ती करने के आरोप लग चुके हैं. 2012 से अब तक वहां सेना के कब्जे से 700 बच्चों को मुक्त कराया जा चुका है. सेना के 382 अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई.
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नाइजीरिया
2016 में आतंकवादी संगठन बोको हराम ने 2000 बच्चों को भर्ती किया. नाबालिग लड़कियों को आत्मघाती हमलावर बनाया गया. बोको हराम बड़ी संख्या में स्कूली बच्चियों को अगवा करने के लिए कुख्यात है.
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सोमालिया
यूएन की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक सोमालिया में 903 बच्चों को आतंकवादी संगठनों ने भर्ती किया. अकेले अल शबाब ने ही इनमें से 555 भर्तियां की. सोमालिया की सेना पर भी 218 बच्चों को भर्ती करने के आरोप लग चुके हैं.
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दक्षिणी सूडान
माना जाता है कि 2013 से अब तक दक्षिणी सूडान में करीब 17,000 बच्चों को विद्रोही संगठन हथियार दे चुके हैं. कोबरा फैक्शन और एसपीएलए जैसे संगठन इन बच्चों को सेना के खिलाफ लड़वाते हैं.