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क्रिकेट दीवाने देश में आज सिर्फ फुटबॉल

२ सितम्बर २०११

लियोनेल मेसी ने फुटबॉल खेलने वाले देशों की कतार में बहुत पीछे खड़े मुल्क में ऐसे स्वागत की उम्मीद नहीं की होगी. अर्जेन्टीना के मेसी जब कोलकाता हवाई अड्डे पर पहुंचे तो दो हजार से ज्यादा लोग उनकी अगवानी करने को खड़े थे.

तस्वीर: dapd

क्रिकेट दीवाने देश में फुटबॉल सितारे का ऐसा स्वागत देखकर फुटबॉल खेलने वाले सबसे बड़े देशों के लोग भी हैरान हैं.

शुक्रवार को कोलकाता में अर्जेन्टीना और वेनेजुएला के बीच एक दोस्ताना मैच खेला जाएगा. एक लाख 20 हजार लोगों की क्षमता वाले युवा भारती स्टेडियम में होने वाले इस मैच के लिए मेसी बुधवार को कोलकाता पहुंचे. जब वह एयरपोर्ट से होटल गए तो रास्ते भर उनके फैन्स ने मोटरसाइकलों और कारों में उनका साथ दिया.

तस्वीर: DW

क्यों आए हैं मेसी

मेसी एक मैच खेलने आए हैं. लेकिन मकसद सिर्फ मैच नहीं है. फुटबॉल यूरोप और दक्षिण अमेरिका में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है लेकिन अब खेल को बाजार की जरूरत है. और बाजार दिखाई दे रहा है एशिया में. इसलिए दुनिया की कई बड़ी टीमों के मैच एशियाई मुल्कों में हो रहे हैं. क्लब लेवल की टीमें भी इस बाजार में हिस्सा बांटने की कोशिश कर रही हैं. पैसा उगाहने के मकसद से मशहूर क्लब मैनचेस्टर यूनाइटेड ने सिंगापुर में एक अरब डॉलर का आईपीओ लाने की योजना बनाई है.

लेकिन बाजार तैयार करने के लिए खेल को लोकप्रिय बनाना होगा. और दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं में शामिल भारत तो इस वक्त दुनिया की आंख का तारा है. इसलिए शुक्रवार को होने वाले मैच जैसे मुकाबले आयोजित हो रहे हैं. लिवरपूल क्लब ने आर्सेनल और मैनचेस्टर के साथ मिलकर अकैडमी खोलने और प्रतियोगिताएं शुरू करने की योजना बनाई है. इंग्लिश प्रीमियर लीग की टीम ब्लैकबर्न रोवर इसी साल देश का दौरा करेगी.

इसका असर भी दिखाई दे रहा है. खेल चैनल ईएसपीएन स्टार के मुताबिक 2009-10 में छह करोड़ भारतीयों यानी ब्रिटेन की आबादी के बराबर लोगों ने इंग्लिश फुटबॉल लीग के मैच टीवी पर देखे.

तस्वीर: DW

फुटबॉल गढ़

अर्जेन्टीना और वेनेजुएला का मैच कोलकाता में ही क्यों हो रहा है? मैच कराने वाली कंपनी के सीईओ धर्मदत्त पांडे कहते हैं, "यह मैच कोलकाता में ही हो सकता था. मुझे आप भारत का कोई और शहर दिखाइए जहां फुटबॉल के लिए दीवानगी कोलकाता से ज्यादा हो."

कोलकाता भारत में फुटबॉल का गढ़ है. ब्रिटिश शासन में लंबे समय तक भारत की राजधानी रहे इस शहर में फुटबॉल संस्कृति का हिस्सा है. और यह हवाई अड्डे पर मेसी के स्वागत में दिख भी गया. 2008 में जब जर्मनी के जाने माने फुटबॉल क्लब बायर्न म्यूनिख की टीम कोलकाता आई तो जर्मनी के स्टार गोलकीपर ओलिवर कान का सवा लाख लोगों ने अभिवादन किया. उसी साल फुटबॉल के सबसे बड़े सितारों में शुमार डिएगो माराडोना कोलकाता आए तो शहर मानो थम गया था. लेकिन इस बार दीवानगी सिर्फ सितारों के लिए नहीं है. पांडे कहते हैं, "मेसी तो एक वजह हैं ही, यह अर्जेन्टीना के नए कोच अलेखांद्रो साबेला के नेतृत्व में पहला मैच है. इसलिए पूरी दुनिया की निगाहें इस मैच पर लगी हैं."

तस्वीर: DW

फुटबॉल को क्या मिलेगा

लेकिन इससे भारतीय फुटबॉल को क्या फायदा हो रहा है? उसकी टीम तो 158वें नंबर पर है. भारतीय फुटबॉल संघ के उपाध्यक्ष सुब्रत दत्ता इसकी वजह क्रिकेट को बताते हैं. उन्हें लगता है कि क्रिकेट के मुकाबले फुटबॉल के पास स्पॉन्सर्स भी बहुत कम है और पैसा भी. वह कहते हैं, "दूरदर्शिता में इस तरह की कमी मुझे बहुत खलती है. आप देखिए कि ईस्ट बंगाल और मोहन बगान को देखने एक लाख से ज्यादा लोग आए. लेकिन यह भीड़ ज्यादातर कम आय वाले समुदायों की है, इसलिए हमें ज्यादा स्पॉन्सर्स नहीं मिले."

शुक्रवार के मैच से दत्ता को बड़ी उम्मीदें हैं. वह कहते हैं, "इस मैच से चीजें बदलेंगी. हम मध्य और उच्च वर्ग के लोगों को अपनी ओर खींचने में कामयाब होंगे. जाहिर है अपने उपभोक्ताओं को टिकट की कतार में लगा देख स्पॉन्सर भी उत्साहित हैं."

दत्ता की उम्मीदें बहुत दूर तक जाती हैं. वह भावुक होकर कहते हैं, "मन कहता है कि भारत जल्दी ही वर्ल्ड कप में नजर आएगा. अगले पांच वर्ल्ड कप में ऐसा भले न हो पाए, लेकिन मेरे जिंदा रहते जरूर हो जाएगा."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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