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क्रीमिया हमारा ही रहेगा: यूक्रेन

८ मार्च २०१४

यूक्रेन ने कहा है कि क्रीमिया उसका हिस्सा है और वो इसे किसी को नहीं देगा. तनाव के बीच यूरोपीय संघ और अमेरिका दोनों ही रूस पर प्रतिबंध लगाने पर चर्चा कर रहे हैं. रूस की सेना की आवाजाही ने फिर माहौल में हलचल पैदा की.

तस्वीर: Reuters

यूक्रेन के कार्यकारी विदेश मंत्री ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेस कर अपनी सरकार का नजरिया एक बार फिर साफ किया. विदेश मंत्री आंद्रे देशचित्सा ने कहा, "क्रीमिया यूक्रेन का इलाका है और रहेगा और हम इसे किसी को नहीं देंगे." क्रीमिया के रूस समर्थक चाहते हैं कि वो यूक्रेन से अलग होकर रूस में मिल जाएं. इसके लिए 16 मार्च को वहां जनमत संग्रह भी होना है. देशचित्सा ने रूस से अपील करते हुए कहा कि वो क्रीमिया में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को काम करने में मदद करे.

तनाव के बीच शुक्रवार रात रूसी सेना का एक ट्रक फिर सेवास्तोपोल में घूमता नजर आया. ट्रक यूक्रेन की सेना के अड्डे तक गया. कुछ देर घूमने के बाद रूसी सेना का ट्रक फिर वापस अपने सैन्य अड्डे पर चला गया. यूक्रेनी सेना के अधिकारियों ने इस उकसाने वाला कदम करार दिया है.

इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल से टेलीफोन पर लंबी बातचीत की. बातचीत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि, "अंतरराष्ट्रीय नियम का साफ उल्लंघन करते हुए यूक्रेन में रूस के सैन्य दखल पर नेताओं ने गहरी चिंता जताई है." वॉशिंगटन को लग रहा है कि यूक्रेन और रूस के बीच गतिरोध जस का तस बना हुआ है. जर्मन चासंलर के साथ उन्होंने रूस के खिलाफ कुछ प्रतिबंधों पर भी चर्चा की.

क्रीमिया में ओएसजेई सेना के पर्यवेक्षकतस्वीर: Alexander Nemenov/AFP/Getty Images

रूस का जवाब

रूस पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अगर उस पर प्रतिबंध लगाए गए तो वह कड़ा जवाब देगा. शनिवार को रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि रूस को यूक्रेन संकट के हिस्सेदार की तरह पेश नहीं किया जाना चाहिए. सेर्गेई लावरोव ने कहा, "हम विदेशी साझेदारों के साथ बातचीत के जरिए यूक्रेन के धड़ों को इस संकट से बाहर लाने में मदद करने को तैयार हैं. हालांकि हम इस विवाद में रूस को पार्टी बनाने की कोशिश को स्वीकार नहीं करेंगे."

रूसी विदेश मंत्री ने पिछले महीने कीव में प्रदर्शनकारियों पर हुई फायरिंग की ओएससीई जांच कराने की भी मांग की है. इसी हफ्ते यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी कैथरीन ऐश्टन और एस्तोनिया के विदेश मंत्री की बातचीत लीक हुई. ऑडियो में सुनाई पड़ रहा है कि एस्तोनिया के विदेश मंत्री कीव में हुई फायरिंग के लिए पश्चिम समर्थक धड़े को भी जिम्मेदार मान रहे हैं. लावरोव का कहना है कि यूक्रेन के संकट को सुलझाने के लिए इस मामले की भी जांच होनी चाहिए.

प्रतिबंधों पर जर्मनी असमंजस मेंतस्वीर: Reuters

प्रतिबंधों पर नाखुशी

जर्मनी के सार्वजनिक चैनल 'एआरडी' और अखबार 'डी वेल्ट' के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अधिकतर जर्मन रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं हैं. सर्वे में पाया गया है कि क्रीमिया में हालत बिगड़ जाने के बाद भी 38 फीसदी लोगों का यही मानना है कि रूस के रुख को बदलने के लिए आर्थिक प्रतिबंध सही कदम नहीं हैं. ज्यादातर लोगों का कहना है कि वे चांसलर मैर्केल की उस नीति का समर्थन करते हैं जिसके तहत इस मामले में रूस से ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाई जा सके. जर्मन सरकार से वे इतनी ही उम्मीद करते हैं कि वह मॉस्को और कीव के बीच संपर्क स्थापित करने में मदद करे और खुद पूरे मामले से दूरी बना कर रखे.

77 फीसदी लोगों ने कहा कि वे रूस को जी8 देशों की सूची से निकाल देने का समर्थन नहीं करते और 92 प्रतिशत का कहना था कि रूस के साथ राजनयिक संबंध खराब करने का सवाल ही खड़ा नहीं होता. जहां तक यूक्रेन को आर्थिक सहयोग देने की बात है तो जर्मनी के 72 फीसदी लोग इसके पक्ष में हैं, केवल 12 फीसदी का ही मानना है कि जर्मनी को सैन्य कार्रवाई में यूक्रेन की मदद करनी चाहिए. इस सर्वे से यह बात भी सामने आई है कि जर्मनी के लोगों के बीच पुतिन का जलवा खत्म होता जा रहा है. महज 15 फीसदी लोगों ने कहा कि पुतिन एक विश्वसनीय नेता है, जबकि बाकी सभी का कहना है कि रूस के हित में पुतिन किसी भी हद तक जा सकते हैं.

आईबी/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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