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क्लिंटन ने बनाई ओबामा से दूरी

७ जून २०१४

अमेरिका के अगले राष्ट्रपति पद के चुनावों में पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी हिस्सा लेंगी. तैयारी उन्होंने अभी से शुरू कर दी है. नई किताब 'हार्ड च्वाइसेज' में उन्होंने अपनी और ओबामा की अनबन के बारे में बताया है.

Hillary Clinton
तस्वीर: picture alliance/AP

यह किताब दस जून से बाजार में मिलने लगेगी. किताब में क्लिंटन ने विदेश मंत्री के पद पर रहते हुए अपनी मुश्किलों का ब्योरा दिया है. किताब भले ही बिकनी शुरू नहीं हुई है लेकिन सीबीएस न्यूज ने इसके कुछ पन्नों को लीक कर दिया है. दरअसल सीबीएस को चलाने वाली कंपनी ही सायमन एंड शुस्टर पब्लिकेशन भी चलाती है, जो इस किताब की प्रकाशक है. ऐसे में माना जा रहा है कि किताब को जान बूझ कर सनसनी पैदा करने के लिए लीक किया गया है.

'हार्ड च्वाइसेज' में कई अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर नजर डाली गयी है. इनमें इराक में युद्ध, बेनगाजी पर हमला और क्रेमलिन और रूस के साथ वॉशिंगटन के संबंध शामिल हैं. सीरिया के मुद्दे पर क्लिंटन ने लिखा है, "दुष्ट समस्याओं के सही जवाब कम ही मिलते हैं. इनके दुष्ट होने का एक कारण भी यही है कि हर संभावना दूसरी से बुरी ही लगती है. सीरिया भी ऐसा ही प्रतीत हुआ."

क्लिंटन ने लिखा है कि उन्हें पूरा यकीन था कि सीरियाई विद्रोहियों को हथियारों की ट्रेनिंग देना बशर अल असद को कमजोर करने का सबसे अच्छा विकल्प था, लेकिन ओबामा ने उनकी बात नहीं मानी, "जोखिम बहुत ज्यादा था. लेकिन राष्ट्रपति नहीं चाहते थे कि विद्रोहियों को हथियार थमाने का कदम उठाना चाहिए." उन्होंने आगे लिखा है कि इस बारे में उनकी ओबामा से अनबन भी हुई, "किसी को भी बहस में हारना पसंद नहीं, मुझे भी नहीं. लेकिन यह राष्ट्रपति का फैसला था और मैंने उसे स्वीकारा."

2008 के दिनों को याद करते हुए क्लिंटन ने अपनी और ओबामा की शुरुआती मुलाकातों को भी किताब में जगह दी है. उन्होंने लिखा है, "हम दोनों एक दूसरे की तरफ ऐसे घूर घूर कर देख रहे थे जैसे दो टीनेजर अपनी पहली डेट पर आए हों."

ओबामा के अलावा क्लिंटन ने पुतिन के बारे में भी लिखा है. उन्होंने पुतिन को "संवेदनशील" और "निरंकुश" बताते हुए लिखा है कि पुतिन एक ऐसे व्यक्ति हैं जो आलोचना से चिढ़ जाते हैं. साथ ही उन्होंने यूक्रेन संकट पर बात करते हुए लिखा है कि वह इस बात से इत्तेफाक नहीं रखतीं कि नाटो का विस्तार रूस के गुस्से की वजह है, "नाटो के दरवाजे हमेशा खुले रहने चाहिए और रूस के साथ निपटते हुए हमें सख्ती से पेश आना चाहिए."

आईबी/एमजे (एएफपी, डीपीए)

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