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क्वात्रोकी के खिलाफ केस बंद करने की इजाजत

४ मार्च २०११

दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को ओतावियो क्वात्रोकी के खिलाफ केस बंद करने की याचिका को स्वीकार कर लिया है. सीबीआई ने कहा कि 25 साल और 250 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद क्वात्रोकी को भारत लाने में नाकामी.

तस्वीर: AP

बोफोर्स तोप की खरीद के दौरान इटली के व्यवसायी ओतावियो क्वात्रोकी को कथित रूप से घूस मिलने का यह मामला दो दशक पुराना है.

चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट विनोद यादव ने कहा, "अगर केस को तार्किक परिणति तक पहुंचाना संभव नहीं है तो फिर उसे छोड़ दिया जाना चाहिए." अदालत का कहना है कि इस मामले की जांच में अब तक सरकार का काफी खर्चा हो चुका है और फैसले में इस बात का भी ख्याल रखा गया है. क्वात्रोकी की किसी भी भारतीय अदालत में पेशी नहीं हो पाई है.

तस्वीर: AP

सीबीआई ने 2009 में अदालत से क्वात्रोकी के खिलाफ केस बंद करने की इजाजत मांग थी. सीबीआई ने अपनी दलील में कहा कि उनके प्रत्यर्पण में लगातार विफलता मिलने और कई अन्य बातों की वजह से क्वात्रोकी के खिलाफ मामला न्यायिक रूप से तर्कसंगत नहीं रह गया है.

2003 में मलेशिया और फिर 2007 में अर्जेंटीना से क्वात्रोकी का प्रत्यर्पण नहीं हो पाया. बोफोर्स तोप की खरीद के मामले में क्वात्रोकी पर घूस लेने के आरोप लगे जिसके बाद उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई.

सीबीआई ने इस मामले में आपराधिक केस 20 जनवरी, 1990 को दर्ज किया और यह जांच करने की दिशा में आगे बढ़ी कि बोफोर्स सौदे से किसे फायदा पहुंचा. जांच पूरी कर लेने के बाद एजेंसी ने दो चार्जशीट दायर की. पहली चार्जशीट 1999 में हुई और फिर दूसरी चार्जशीट 2000 में दायर की गई.

सीबीआई की दलील है कि इनकम टैक्स ट्राइब्यूनल के आदेश के बावजूद क्वात्रोकी के खिलाफ मामला वापस लेने के मुद्दे पर सरकार के रुख में कोई परिवर्तन नहीं है. इनकम टैक्स ट्राइब्यूनल ने कहा है कि विन चढ्ढा और क्वात्रोकी को घूस के नाम पर 61 करोड़ रुपये दिए गए.

क्वात्रोकी के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का अनुरोध करते हुए सीबीआई ने 9 पेज के अपने आवेदन में कहा, "क्वात्रोकी के खिलाफ मुकदमा चलाए रखना सही नहीं है. यह न्याय के हक में होगा कि उनके खिलाफ केस को वापस ले लिया जाए."

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

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