1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

खंडहर में गूंजता है संगीत

६ सितम्बर २०१३

पुरानी इमारतें और फैक्ट्रियां अगर इस्तेमाल ना हों तो वे खंडहर में तब्दील होने लगती हैं. लेकिन वीरागनी वाले इन्हीं खंडहरों में म्यूजिक फेस्टिवल हो सकते हैं. जर्मनी की एक पुरानी फैक्ट्री में कुछ ऐसा ही हो रहा है.

तस्वीर: dapd

जहां कभी कारखाने की भट्टी जलती थी वहां अब इलेक्ट्रो मैग्नेटिक म्यूजिक फेस्टिवल हो रहा है. बेहतरीन डीजे और शानदार म्यूजिक के साथ कई मशहूर नाम इसे यूरोप के सबसे बढ़िया म्यूजिक फेस्टिवल में से एक बनाते हैं.

जर्मन राज्य जारलांड फोल्कलिंगर आयरनवर्क्स फैक्ट्री की मशीनें लगातार सौ साल तक लोहा और स्टील बनाती रहीं. 1986 में फोल्कलिंगर फैक्ट्री बंद हो गई और 1994 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर बना दिया. दुनिया भर में औद्योगिक क्रांति के शुरुआती दौर में जितनी फैक्ट्रियां बनीं, उनमें से अब एक यही है जो पूरी तरह सुरक्षित है.

फैक्ट्री में अनोखे कार्यक्रमों को देखने दो लाख लोग आते हैं.तस्वीर: picture-alliance/dpa

औद्योगिक उत्पादन से पॉप कल्चर तक

छह लाख वर्गमीटर के परिसर को हिफाजत से रखना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मदद से उसमें जान फूंक देना और शहरी जिंदगी का केंद्र बना देना प्रबंधन के लिए कोई आसान काम नहीं है.

फोल्कलिंगर आयरनवर्क्स के महानिदेशक माइनराड ग्रेवेनिष का कहना है, "फोल्कलिंगर आयरनवर्क्स की हैसियत से हम खुद को पॉप संस्कृति की विरासत समझते हैं. फैक्ट्रियों पर ध्यान देना पॉप आर्ट का अहम हिस्सा है. पॉप कल्चर से ही औद्योगिक उत्पादन की इस जगह को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अहमियत मिली है."

1986 में फोल्कलिंगर फैक्ट्री बंद हो गई और 1994 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर बना दिया.तस्वीर: DW / Nelioubin

पुराने दौर में काम करना किसी चुनौती से कम नहीं था. भट्टी में कोयला जलाने से तापमान 1,200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता था. 1960 के दशक तक फोल्कलिंगर में 17 हजार लोग काम करते थे. लेकिन जर्मनी का मशहूर औद्योगिक इलाका रुअर घाटी में था. 20वीं सदी के मध्य में दुनिया भर से इसे कड़ी चुनौती मिलने लगी. धीरे धीरे यहां के कारखाने बंद होते गए.

अब यहां कोयले की पुरानी खदानों और फैक्ट्री में अनोखे कार्यक्रमों को देखने दो लाख लोग आते हैं. महोत्सव के दौरान कार्यक्रम के लिए संगीतकार पुरानी मशीनों से संगीत पैदा करने की कोशिश करते हैं. कहा जा सकता है कि पुराने औजारों का इस्तेमाल बदल गया है.

रिपोर्ट: एम डागान/समरा फातिमा

संपादन: ईशा भाटिया

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें