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खगोलीय पिंड वेस्टा की जांच पूरी होने वाली है

४ मई २०११

नासा का डॉन अंतरिक्ष कार्यक्रम अपने पहले लक्ष्य को पूरा करने के नजदीक है. डॉन अंतरिक्ष में बड़े भारी खगोलीय पिंड वेस्टा की जांच कर रहा है. 2007 में शुरू हुई यह अंतरिक्ष यात्रा.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

डॉन एक लंबे समय तक चलने वाला का अभियान है जो सौर मंडल के राज ढूंढने के लिए शुरू किया गया. यह मिशन सौर मंडल के दो बड़े खगोलीय पिंडों वेस्टा और सेरेस के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगा. जब यह यात्रा पूरी होगी तब तक डॉन तीन अरब मील की दूरी तय कर चुका होगा.

अभी अंतरिक्ष यान के वेस्टा के एकदम नजदीक पहुंचने में तीन महीने बाकी हैं. लेकिन युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के क्रिस्टॉफ रसेल कहते हैं, "हमें कोलंबस के नई दुनिया के पास पहुंचने जैसा अनुभव हो रहा है. डॉन की टीम इस खगोलीय पिंड की मैपिंग शुरू करने के लिए बेताब है." रसेल डॉन के मुख्य जांचकर्ता हैं.

तस्वीर: NASA/ Orbital Sciences Corporation

वेस्टा से सेरेस

वेस्टा की साल भर परिक्रमा करने के बाद मनुष्य रहित डॉन अंतरिक्ष यान सेरेस की ओर जाएगा. जो वेस्टा से भी बड़ा है. 2015 तक यह यान सेरेस तक पहुंच सकेगा.

अंतरिक्ष यान खगोलीय पिंड के फोटो इकट्ठा किए हैं और साथ ही वैज्ञानिक जानकारी का विश्वेषण करने के लिए उपकरण भी हैं. उपकरणों के जरिए एस्टरॉयड के सतह और इसके गुरुत्वाकर्षण खिंचाव का विश्लेषण किया जाएगा.

तस्वीर: NASA/ JPL

डॉन मिशन का उद्देश्य है सौर मंडल की उत्पत्ति के बाद पहली गति पता करना. 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल की उत्पत्ति के बारे में जानकारी इकट्ठा करना इसका मुख्य लक्ष्य है. साथ यह इस बारे में भी पता लगाएगा कि इस तरह के खगोलीय पिंड, धरती, मंगल, बुध ग्रह कैसे बने.

डॉन अभियान के जरिए इस बात का समझने की कोशिश की जाएगी कि वेस्टा और सेरेस का विकास और बनने की प्रक्रिया अलग अलग कैसे हुई और इनके बनने में पानी की क्या भूमिका रही.

सेरेस बड़ा

1801 में सेरेस मिला. इसका आकार गोल है और व्यास 960 किलोमीटर है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पथरीली सतह के नीचे एक सतह बर्फ की भी हो सकती है. 2006 में इसे ड्वार्फ प्लेनेट याने बौने ग्रह की संज्ञा दी गई. इसी के साथ प्लूटो के दर्जे पर बहस छिड़ गई इसे भी अब एरिस के साथ ड्वार्फ प्लेनेट की श्रेणी में रखा गया है.

वेस्टा की खोज 187 में हुई थी. यह सेरेस से छोटा है लेकिन 520 किलोमीटर व्यास वाला यह पिंड सौर मंडल में तीसरा सबसे बड़ा खगोलीय पिंड है. पथरीले वेस्टा में पानी नहीं मिला है और यह गरम है. वैज्ञानिकों को वेस्टा के दक्षिणी छोर पर बड़े भारी गड्ढे में रुचि है. यह 460 किलोमीटर चौड़ा है और 13 किलोमीटर गहरा है. माना जाता है कि बड़ी टक्कर के कारण यह गड्ढा बना है.

डॉन के मुख्य इंजीनियर मार्क रेमन कहते हैं, "साढ़े तीन साल के की ग्रह यात्रा के बाद हम पहले लक्ष्य पर पहुंच रहे हैं. अभी थोड़ी सी देर है. लेकिन डॉन जल्द ही वह आंकड़े देगा जिस पर वैज्ञानिक 200 साल से शोध कर रहे हैं."

रिपोर्टः एएफपी/आभा एम

संपादनः एन रंजन

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