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खतरे में हैं भारत और अफगानिस्तान के शिशु

३१ अगस्त २०११

दुनिया भर में हर साल करीब 33 लाख नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है. यह मौतें पैदा होने के पहले चार हफ्तों के भीतर होती है. डब्ल्यूएचओ के एक ताजा शोध के मुताबिक ट्रेंड स्वास्थ्य कर्मियों की कमी इन मौतों का मुख्य कारण है.

तस्वीर: Fotolia

वैसे तो दुनिया भर में मरने वाले नवजात शिशुओं की संख्या कम हुई है लेकिन इस दिशा में प्रगति बहुत धीमी है. इस मामले में अफ्रीका पिछड़ता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध से यह नई जानकारी सामने आई है.

जबकि पिछले एक दशक से ज्यादा समय से मां और बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल में हो रहे निवेश के कारण जच्चा और बच्चे के पांच साल के भीतर के बच्चों की मौत की दर में गिरावट आई है. पैदा होने के चार हफ्ते के भीतर नवजात शिशुओं के बचने की दर धीमी है. इस शोध में काम कर चुकी विश्व स्वास्थ्य संगठन की विशेषज्ञ फ्लाविया बुस्त्रियो कहती हैं, "नवजात बच्चों को बचाने के लिए प्रभावी उपायों के बावजूद मृत्यु को रोक नहीं सकते हैं."

तस्वीर: picture-alliance / dpa

प्रशिक्षण की जरूरत

शोध के मुताबिक 1990 में 46 लाख नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई जो कि 2009 में घटकर 33 लाख हो गई और 2000 और 2009 के बीच मृत्यु दर तेजी से गिरने लगी. फिलहाल कुल 41 फीसदी बच्चे पहले चार सप्ताह में मौत का शिकार होते हैं.

"नवजात शिशुओं की मौत के तीन मुख्य कारण हैं समय से पहले प्रसव, सांस रुक जाना और गंभीर संक्रमण लेकिन इन सभी कारणों को सही देखभाल से रोका जा सकता है. शोध में सहयोग दे चुकी 'सेव द चिल्ड्रन' संस्था की जॉय लॉन के मुताबिक दुनिया भर में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी इन मौतों का एक महत्वपूर्ण कारण है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

लॉन कहती हैं, "हम उन समाधानों को जानते हैं. जैसे नवजात को साफ रखना, शिशुओं को गर्म रखना और सही तरीके से दूध पिलाना. इन तरीकों के जरिए बच्चों को जिंदा रखा जा सकता है. लेकिन कई देशों को प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है. जो नवजात बच्चों की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकें. दाइयों और ज्यादा से ज्यादा सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रेन करके  नवजात शिशुओं की जान बचाई जा सकती हैं. "

तस्वीर: Dieter Seitz

भारत और अफ्रीका की हालत एक जैसी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के 193 सदस्य देशों में रिसर्च की गई और पिछले 20 सालों के डेटा को लिया गया है. ताजा शोध पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस जर्नल प्लोस में छपी है. शोधकर्ताओं ने जाना कि पैदा होने के पहले चार हफ्ते में 99 फीसदी मौतें विकासशील देशों में हो रही है.

शोध में यह भी पता चला कि अफगानिस्तान में नवजात शिशुओं को ज्यादा खतरा है.  पैदा होने के पहले महीने में 19 बच्चों में से एक की मौत हो जाती है जबकि भारत में हर साल 9,00,000 से ज्यादा नवजात बच्चों की मौत होती हैं. जो कि विश्व की कुल नवजात मौतों की 28 फीसदी है.

दुनिया के सातवीं सबसे अधिक आबादी वाला देश नाइजीरिया नवजात शिशुओं की मौत के मामले में दूसरे स्थान पर है. 1990 में यह पांचवें स्थान पर था. जबकि चीन दूसरे स्थान से चौथे स्थान पर आ गया है. अफ्रीका में नवजात शिशुओं को बचाने के मामले में धीमी गति से प्रगति हो रही है.

रिपोर्ट: रॉयटर्स / आमिर अंसारी

संपादन: आभा एम

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