खरीदने के बजाए सब कुछ किराए पर क्यों ले रहे हैं युवा
२ दिसम्बर २०१९
तेजी से बदलते भारतीय समाज में पारंपरिक मानदंड और व्यवहार भी बदल रहे हैं. भारत के जेनरेशन वाई वाले युवा खास तौर पर किसी चीज को खरीदने के बजाए किराए पर लेना पसंद करने लगे हैं, चाहे घर के फर्नीचर हों या आईफोन.
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29 साल के स्पंदन शर्मा का फ्लैट, कार और यहां तक की उनकी कुर्सी भी अपनी नहीं है. उन्होंने जरुरत की ये सारी चीजें किराए पर ले रखी है. शर्मा कहते हैं, "मेरी पीढ़ी के हजारों लोग आजादी चाहते हैं. पहले जिन चीजों को स्थिरता के रूप में देखा जाता था, अब उसे बंधन के रूप में देखा जाता है." हालांकि वे कहते हैं कि यदि लंबी अवधि के लिए चाहिए तो किराए के फर्नीचर के बजाय खरीदना बेहतर होगा.
मुंबई में रहकर काम कर रहे स्पंदन शर्मा ने अपने बेडरुम, लिविंग रुम, डायनिंग एरिया के लिए फर्नीचर के साथ-साथ किचन के लिए फ्रिज और माइक्रोवेव भी किराए पर ले रखा है. इसके लिए उन्हें हर महीने 4,247 रुपये देने होते हैं. शर्मा ऐसा करने वाले अकेले व्यक्ति नहीं हैं. लाखों भारतीय युवक रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली चीजों को खरीदने की जगह किराए पर ले रहे हैं ताकि बिना ज्यादा झंझट के जिंदगी जी सकें.
कुछ ही समय पहले अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने वाली 25 वर्षीया वंदिता मोरारका कहती हैं कि ऑफिस के लिए जरूरी फर्नीचर भी लोग किराए पर ले रहे हैं. मोरारका ने 2017 में अपनी फेमिनिस्ट नॉन प्रॉफिट कंपनी वन फ्यूचर कलेक्टिव की स्थापना की. इस समय उन्हें जितनी चीजों की जरुरत थी, सब किराए पर लीं. इसके बाद इससे जो पैसे बचे, उससे उन्होंने अपने 25 कर्मचारियों को वेतन दिया. वे कहती हैं, "स्टडी टेबल से लेकर कुर्सी और यहां तक की लैपटॉप भी किराए पर लिया. सभी उचित कीमत पर मिलीं. ऐसा करने से मैं कुछ और जोखिम उठा सकती हूं. इस स्थिति में यदि चीजें (व्यवसाय) हमारे मुताबिक नहीं होती हैं तो शुरुआती निवेश में ज्यादा नुकसान नहीं होता है. हम अपने काम को कहीं और शुरू कर सकते हैं."
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प्राइसवॉटर हाउस कूपर्स के अनुसार, ओला-उबर जैसे राइड-हायरिंग ऐप से लेकर ऑफिस स्पेस तक, शेयरिंग इकोनॉमी का चलन पूरी दुनिया में बढ़ा है. 2025 तक इसका कुल राजस्व 335 अरब डॉलर तक का हो सकता है. अमेरिका में रेंट द रनवे और नूली जैसी वेबसाइटें ग्राहकों को कपड़े भी किराए पर उपलब्ध करवा रही हैं. वहीं चीन में ग्राहक स्मार्टफोन पर एक क्लिक कर बीएमडब्ल्यू तक किराए पर ले सकते हैं. हाल के वर्षों में भारत में फर्नीचर, गहने और रोजमर्रा के अन्य सामान किराए पर उपलब्ध करवाने वाले ऐप्स की संख्या बढ़ी है. यह व्यवसाय भी तेजी से बढ़ रहा है.
आर्थिक संकट के बावजूद इस सेक्टर में संभावनाएं काफी अधिक है. वजह ये है कि उपभोक्ता मांग कमजोर पड़ने के कारण ऑटो क्षेत्र में बिक्री में गिरावट आई है. साथ ही उपभोक्ताओं के खर्च करने की सीमा भी कम हुई है. कंसल्टिंग फर्म रिसर्च नेस्टर के अनुसार के अनुसार 2025 तक भारत में किराए के फर्नीचर का कारोबार 1.89 अरब डॉलर होने का अनुमान है.
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रेंटोमोजो के संस्थापक गीतांश बमनिया कहते हैं, "हमें उम्मीद है कि 30 महीनों के भीतर मांग में करीब 10 लाख की वृद्धि होगी." बंगलुरू स्थित यह कंपनी फर्नीचर के साथ-साथ घरेलू उपकरण, जिम के सामान, आईफोन और स्मार्ट होम डिवाइस जैसे कि गूगल होम और अमेजन इको किराए पर देती है. बमनिया कहते हैं, "किराए पर स्मार्टफोन लेने वाले युवाओं की संख्या भी बढ़ी है. युवा बिना ज्यादा पैसा खर्च किए बगैर नए अपग्रेड फोन रख पाते हैं."
कई लोगों के लिए यह उसी तरह है जैसे कहीं जाने के लिए वे कम दूरी का रास्ता चुनते हैं. किराए पर सामान लेने से लोगों का पैसा तो बचता ही है, वे अपनी सारी जरुरतों को भी पूरा कर पाते हैं. शर्मा बताते हैं कि 29 वर्ष की उम्र में उनके पिता ने शादी की और सरकारी बैंक में नौकरी करते हुए घर तथा गाड़ी खरीदने के लिए अलग से पैसा जमा करना शुरू कर दिया. वहीं शर्मा को अपने पिता के तौर-तरीकों से अलग जिंदगी जीने की चाहत है. वे 'अनुभव में निवेश' पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं. वे कहते हैं, "सात सालों में दो देशों के पांच अलग-अलग शहरों में रहने की बात मेरे पिता जी ने नहीं सोची होगी. लेकिन यह मेरी जिंदगी की सच्चाई है. यह हमारी जैसी नई पीढ़ी के लिए गर्व की बात है कि हम कुछ सप्ताह के अंदर एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते हैं.
भारत में हर मामले में विविधता देखने को मिलती है. कोई राज्य अमीर है तो कोई गरीब. कहीं सबसे ज्यादा लोग कृषि पर निर्भर हैं तो कहीं उद्योग पर. एक नजर देश के प्रमुख अमीर राज्यों और वहां की अर्थव्यवस्था पर.
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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र भारत का सबसे अमीर राज्य है. राज्य की राजधानी मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. महाराष्ट्र का कुल जीडीपी 27.96 लाख करोड़ का है. यह देश का तीसरा सबसे ज्यादा शहरी आबादी वाला राज्य है जहां कि 45 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करती है.
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तमिलनाडु
तमिलनाडु भारत का दूसरा सबसे धनी राज्य है. यहां की कुल जीडीपी 17.25 लाख करोड़ की है. राज्य की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी शहरों में निवास करती है. यह पूरे देश की शहरी आबादी का 9.6 प्रतिशत है. राज्य की जीडीपी में 45 प्रतिशत सर्विस सेक्टर, 34 प्रतिशत मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर और 21 प्रतिशत कृषि का योगदान है.
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कर्नाटक
कर्नाटक भारत का तीसरा सबसे धनी राज्य है. यहां की कुल जीडीपी 15.88 लाख करोड़ की है. पिछले एक दशक में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले यहां की जीडीपी सबसे तेज गति से बढ़ी है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान मशीन टूल्स, इंडियन टेलिफोन इंडस्ट्री जैसी कई प्रसिद्ध कंपनियों के मुख्यालय इसी राज्य में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे अमीर राज्य है. राज्य की कुल जीडीपी 15.80 लाख करोड़ है. 2017-18 के राज्य के बजट के अनुसार उत्तर प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 16.89 लाख करोड़ का है. उत्तर प्रदेश के कई शहर जैसे नोएडा, गाजियाबाद तेजी से विकसित हुए हैं. कई कंपनियों ने यहां अपनी शाखा खोली है. हथकरघा, हस्तशिल्प और कृषि राज्य के लोगों की आय का एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है.
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गुजरात
गुजरात की जीडीपी 14.96 लाख करोड़ की है. भारत के इस पश्चिमी राज्य की आय का मुख्य स्रोत कृषि और उद्योग है. दुनिया का सबसे बड़ा जहाज ब्रेकिंग यार्ड गुजरात के अलंग में भावनगर के पास है. रिलायंस पेट्रेलियम की रिफाइनरी भी गुजरात के जामनगर में स्थित है. गुजरात तंबाकू, सूती कपड़े और बादाम का प्रमुख उत्पादक राज्य है. भारत में बनी कुल दवाई में से एक तिहाई गुजरात में बनती है.
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पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की कुल जीडीपी 13.14 लाख करोड़ की है. राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और मध्यम दर्जे के उद्योग पर आधारित है. हालांकि सर्विस सेक्टर और भारी उद्योग भी राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान निभाते हैं. दुर्गापुर के अलावा भी राज्य में कई स्टील प्लांट हैं. कोलकाता के बंदरगाह में दुनिया भर से मालवाहक जहाज आते हैं.
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आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश की कुल जीडीपी 10.49 लाख करोड़ की है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 62 प्रतिशत आबादी कृषि से जुड़ी हुई है. वर्ल्ड बैंक ने इस राज्य को व्यवसाय शुरू करने के लिहाज से भारत का सबसे अच्छा राज्य बताया है. यह राज्य भारत में 70 प्रतिशत झींगा मछली का उत्पादन करता है.
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तेलंगाना
तेलंगाना की जीडीपी 10.49 लाख करोड़ की है. दो प्रमुख नदियां कृष्णा और गोदावरी की वजह से यहां के बड़े हिस्से में सिंचाई की बेहतर सुविधा है. राज्य में अब सूचना प्रौद्योगिकी और बायोटेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. तेलंगाना भारत के शीर्ष आईटी एक्सपोर्टर राज्यों में से एक है. राज्य में 68 स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं. तेलंगाना में खनिज पदार्थों के मामले में भी धनी राज्य है.
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राजस्थान
राजस्थान की कुल जीडीपी 9.29 लाख करोड़ की है. यह एक खनिज संपन्न राज्य है. यहां की अर्थव्यवस्था कृषि, खनन और पर्यटन पर आधारित है. राज्य में सोना, चांदी, बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, संगमरमर, रॉक फॉस्फेट, तांबा और लिग्नाइट के खादान हैं. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है. राजस्थान अपनी ऐतिहासिक विरासतों की वजह से पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है.
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केरल
केरल की कुल जीडीपी 8.76 लाख करोड़ की है. राज्य की अर्थव्यवस्था में मुख्य योगदान सर्विस सेक्टर का है. कई प्रमुख निगमों और विनिर्माण संयंत्रों का मुख्यालय केरल में है, विशेष रूप से त्रिवेंद्रम, कोच्चि, कोझीकोड में. केरल देश में प्राकृतिक रबर का 85 प्रतिशत और काली मिर्च का 97 प्रतिशत उत्पादन करता है. राज्य की जीडीपी में पर्यटन का योगदान लगभग 10 फीसदी है.