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खलनायक से नायक बना ऑस्कर शिंडलर

प्रिया एसेलबॉर्न२८ अप्रैल २००८

ऑस्कर शिंडलर - इस जर्मन उद्योगपति ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1200 से भी ज़्यादा यहूदियों को जर्मन यातना शिवरों में मारे जाने से बचाया था. आज उनकी 100वीं वर्षगांठ है. दुनिया भर में उनको याद किया जा रहा है. फिर भी शिंडलर कइयों के लिए विवादास्पद व्यक्ति रहे हैं.

तस्वीर: AP

जर्मन उद्योगपति ऑस्कर शिंडलर घमंडी दिखने और शानशौकत से रहने वाले आदमी थे. उनके बारे में कहा जाता था कि पैसा कमाने के लिए वह कुछ भी कर सकते थें. वे हिटलर की नाज़ी पार्टी के सदस्य थें और उसका समर्थन भी करते थें. तब भी उनके जीवन के बारे में अमरीकी निर्देशक और खुद यहूदी स्टीवन स्पीलबर्ग ने 1993 में शिंडलर्स लिस्ट नाम की एक अत्यंत सफल फिल्म बनायी, जिसने सात ऑस्कर पुरस्कार जीते.

आखिर क्यों? शिंडलर ने 1200 यहूदियों को यातना शिवरों से बचाया. शायद इसलिए कि हिटलर की नीतियों की बर्बरता शिंडलर की समझ में आ गयी थी. समझ में आते ही शिंडलर ने अपनी जान हथेली पर रख कर उन यहूदियों की जान बचाने का संकल्प किया, जिनकी मौत तय थी. वे खुद भी किसी भी समय पकड़े जा सकते थे. फांसी पर लटकाये जा सकते थे. लेकिन इसकी परवाह नहीं की. अहंकारी से विनम्र बन गये. एक क्रूर शासन के विरुद्ध छिप- छिपा कर संघर्ष किया. खलनायक से नायक बन गये. दुनिया भर के लिए आदर्श कहलाए. चेक गणराज्य के शहर स्वितावनी में, जहां शिंडलर का जन्म हुआ था, लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि उनका मूल्यांकन कैसे किया जाए.

"मैं खुश होता यदि उस वक्त जर्मनी का हिस्सा रहे इस शहर के लोग कहते कि हाँ, हमारी तरह वह भी इसी शहर का निवासी था. लेकिन पुरानी पीढ़ी उन्हे अपराधी मानती है, क्योंकि शिंडलर उसकी नज़र में जालसाल थे. उन्होने शुरू में हिटलर के लिए जासूस की थी. लेकिन, धीरे धीरे उनके कार्यों में नैतिक अपील भी देखी जा रही है कि उन्होंने अपना सब कुछ दाँव पर लगा कर कितने सारे लोगों की जान बचाई." - इतिहासकार रादोस्लाव फीकेज

हिटलर के शासनकाल में 60 लाख यहूदियों, बनजारों, विकलांगों और हिटलर विरोधियों को जान गंवानी पड़ी. शिंडलर ने यहूदियों को अपनी फैक्टरियों में काम दिया, ऐसे लोगों को, जिनकी मौत यातना शिवरों में तय थी. रिश्वत देकर उन्होने इन यहूदियों को छिपाया. शिंडलर ने हिटलर की क्रूरता को देखते हुए हमेशा यही कहा कि काश, मेरे पास और संसाधन होते, मैं और यहूदियों को बचा पाता.

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