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खसरे को बढ़ावा देती पुरानी मान्यताएं

१२ जून २०१४

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमालिया में खसरे के बढ़ते मामलों को 'बेहद खतरनाक' बताया है. इस जानलेवा बीमारी से जुड़ी बरसों पुरानी भ्रांतियां और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से हर महीने हजारों बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

हावा नोर (Hawa Nor) नामकी एक मां अपने सात साल के बेदह कमजोर दिख रहे बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचती है. बच्चे को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है और उसकी आंखों की रौशनी धीरे धीरे घटती जा रही है. नोर डॉक्टर को बताती हैं, "हमने तो इसे एक हफ्ते तक घर पर ही रखा फिर भी ये कमजोर होता जा रहा है." सुनने में भले ही अटपटा लगे कि बीमार बच्चे को कोई तुरंत इलाज के लिए ले जाने के बजाए घर पर ही क्यों रखेगा लेकिन असल में सोमालिया और कई दूसरे देशों में भी खसरे से जुड़ी कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं. नोर ने वही किया जो वहां आम है यानि खसरे के शिकार हुए बच्चे को एक हफ्ते तक घर के अंदर रखा.

यूनिसेफ के अनुसार, इस साल मार्च और अप्रैल में खसरे के 1,350 संभावित मामले सामने आए. यह संख्या पिछले साल इसी अवधि में दर्ज किए गए मामलों से करीब चार गुना ज्यादा है. केवल मई में ही एक हजार नए मामले और जुड़ गए. सोमालिया में पहले से ही बच्चों में कुपोषण की गंभीर समस्या है और स्वास्थ्य सुविधाएं भी लचर हैं. ऐसे में इस तरह खसरे के मामले बढ़ना दूसरे हजारों लोगों के लिए भी खतरे की घंटी है.

लोग बच्चों को इलाज के लिए ले जाने में हफ्तों की देरी कर देते हैंतस्वीर: Roberto Schmidt/AFP/GettyImages

जानलेवा देरी

खसरे का संकट और भी ज्यादा तब बढ़ जाता है जब लोग लोग सुनी सुनाई बातों में आ जाते हैं. वे बच्चों में बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखने पर उन्हें इलाज के लिए ले जाने के बजाए घर में रखकर कम से कम एक हफ्ते की देरी करते हैं. राजधानी मोगादिशु के बानादिर अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर ओमर आब्दी बताते हैं, "इस तरह की देरी से सांस से जुड़ी हुई चिकित्सकीय समस्याएं और बढ़ जाती हैं. कुछ मामलों में तो लोग बच्चों को भीषण कुपोषण की स्थिति में लेकर यहां पहुंचते हैं. वे इस हाल में होते हैं कि अगर तुरंत उन्हें वेंटिलेटर पर ना रखा जाए तो वे दम तोड़ दें."

अमेरिका जैसे देशों में खसरे को काफी हद तक मिटा दिया गया है. एशियाई, प्रशांत और अफ्रीकी देशों में अभी भी सबको खसरे का टीका नहीं लगा होने के कारण समस्या बनी हुई है. यहां तक की इस साल कुछ अमेरिकी समुदायों में भी खसरे के कई नए मामले सामने आए हैं जहां कुछ लोग टीका लेने से चूक गए थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल दुनिया भर में करीब 330 लोगों की खसरे से जान जाती है. मरने वालों में ज्यादातर बच्चे होते हैं. डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि इस साल फिलिपींस में खसरे का सबसे ज्यादा खतरा देखा जा रहा है. देश में फिलहाल खसरे के करीब 40,000 मामले हैं.

टीका ही बचाव

खसरे की शुरुआत होने पर आंखों में जलन, खांसी, गले में दर्द, बुखार और त्वचा पर लाल रंग की फुंसियां दिखने लगती है. खसरे का कोई सटीक इलाज अब तक नहीं ढूंढा जा सका है लेकिन दवाओं से इन सभी लक्षणों को दूर करने की कोशिश होती है. पहले से ही कुपोषित बच्चों में संक्रमण होने पर उनकी स्थिति काफी गंभीर हो जाती है. सोमालिया में पिछले दो दशकों से चल रहे सतत संघर्ष के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है. पांच साल का होने से पहले ही हर पांच में से एक बच्चा मर जाता है. कई मामलों में खसरा ही मौत की वजह होता है. स्वास्थ्य अधिकारी बताते हैं कि अभी भी केवल 15 प्रतिशत बच्चों को ही खसरे का टीका लग पाया है. मतलब साफ है कि 85 फीसदी बच्चों की जान पर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और सदियों पुरानी रूढ़ियां जानलेवा खतरा बने हुए हैं.

आरआर/ओएसजे (एपी)

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