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खेतों की रखवाली करते ड्रोन

१५ अगस्त २०१३

पौधों को ठीक से पानी मिला है या नहीं, कहीं वे धूप में मुरझा तो नहीं रहे, अपने घर में लगे पौधों का तो आप ख्याल रख लेते हैं, लेकिन बड़े बड़े खेतों में इन पर नजर रखना मुश्किल होता है. अब यह काम आपके लिए ड्रोन करेंगे.

तस्वीर: Fotolia/raptorcaptor

ड्रोन यानी ऐसे विमान जिन्हें उड़ाने के लिए इंसानों की जरूरत नहीं पड़ती. रिमोट के जरिए इन्हें उड़ाया जाता है और ये अपना रास्ता खुद ही बना लेते हैं. लड़ाकू ड्रोन का इस्तेमाल तो दुश्मन पर हमला करने के लिए होता है, लेकिन ऐसी भी छोटी उड़ने वाली मशीनें हैं जिन्हें जासूसी करने या फिर ट्रैफिक पर नजर रखने के काम में लाया जाता है. पेरू में अब इनका इस्तेमाल खेतों की निगरानी के लिए हो रहा है.

दिखावे पर मत जाओ

ये विमान देखने में अत्याधुनिक नहीं लगते, बल्कि पहली नजर में तो ऐसा लगता है मानो गैरेज में पुराने पुर्जे जमा कर के एक मशीन तैयार कर ली हो. पर कबाड़ जैसी दिखने वाली यह मशीन है बहुत काम की. इनमें माइक्रो कंप्यूटर लगा है, कैमरा है और दिशा का पता करने के लिए कम्पास भी. साथ ही ये जीपीएस से भी जुड़े हुए हैं और गूगल मैप्स की मदद से इनमें ये निर्देश फीड किए जा सकते हैं कि इन्हें कहां तक उड़ कर अपने स्थान पर लौटना है.

हाईटेक कैमरे देख सकते हैं कि फसल को ठीक मात्रा में धूप मिल पा रही है या नहीं.तस्वीर: DW/Kerstin Schnatz

इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले आन्द्रेस फ्लोरेस का कहना है कि ये विमान इतने छोटे हैं कि आकाश में कोई इन पर ध्यान ही नहीं देता. आन्द्रेस पेरू की कैथोलिक यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और ड्रोन के इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. वह बताते हैं कि इन ड्रोन की मदद से वह पौधों की सेहत पर ध्यान दे पाते हैं.

कार्बन फाइबर से बने

भौतिक विज्ञानी हिल्डो लोएजा का कहना है, "ड्रोन की मदद से हम किसी भी इलाके में जुताई पर भी नजर रख पाते हैं और यह सुनिश्चित कर पाते हैं कि पौधे स्वस्थ हालत में हैं या नहीं. इस से फसल की उपज को फायदा पहुंचता है." उनका कहना है कि इंसानी आंख से पचास गुना ज्यादा ये हाईटेक कैमरे देख सकते हैं. इस से यह भी पता चल पाता है कि फसल को ठीक मात्रा में धूप मिल पा रही है या नहीं. यानी फसल के सूख जाने का खतरा भी टाला जा सकता है.

इन ड्रोन से पेरू की 1,300 साल पुरानी मोचे सभ्यता के राज भी खुल सकते हैं.तस्वीर: Getty Images

कैथोलिक यूनिवर्सिटी में इस मशीन को कार्बन फाइबर और बालसा लकड़ी से बनाया गया है. इनके ठीक तरह से काम करने के लिए जरूरत इतनी है कि ड्रोन बादलों के नीचे ही रहें. ऐसा ना होने पर कैमरा ठीक से तसवीरें नहीं ले पाता और मशीन के खराब होने का डर भी रहता है.

पुरानी सभ्यता की तसवीरें

खेतों की निगरानी करने के साथ साथ इन मशीनों का प्राचीन स्थलों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए भी उपयोग हो रहा है. इस से पेरू की 1,300 साल पुरानी मोचे सभ्यता के राज खुल सकते हैं. पुरातत्वविदों ने पेरू में कई जगह खुदाई की है. पुरातत्वविद लुइ जाइमे कास्तियो का कहना है कि ड्रोन से मिली तस्वीरों से उन जगहों के 3डी मॉडल बनाने में मदद मिल सकेगी, "इन तस्वीरों से हम (उस जमाने के) शहर की दीवारें, चौक और संरचना को ठीक तरह से देख सकेंगे."

इसी तरह से अमेजन के जंगलों में, जहां इंसानों का पहुंचना आसान नहीं है, वहां ड्रोन मशीनों का इस्तेमाल जानवरों की तस्वीरें लेने के लिए हो रहा है.

आईबी/एएम (एएफपी)

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