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समाज

बच्चों का शोर भी ध्वनि प्रदूषण लगने लगा है जापान के लोगों को

जूलियान रायल, टोक्यो से
२६ फ़रवरी २०२१

जापान के प्रमुख शहरों में जहां कहीं भी सड़क पर बच्चे खेलते हुए शोर मचाते हैं तो उनकी उधम से परेशान लोग अपनी शिकायत एक वेबसाइट में दर्ज करा रहे हैं. इस वेबसाइट की जापान में तीखी आलोचना हो रही है.

Japan Kinder in Fukushima
तस्वीर: Greenpeace/Jeremy Sutton-Hibbert

जापानी समाज में इन दिनों एक अजीब सी चीज देखने को मिल रही है. शहरी इलाकों में कई जापानी इस बात से नाराज हैं कि बच्चे उनकी नींद और आराम में अपने शोर से खलल डालते हैं. उनकी मदद के लिए सामने आई है एक वेबसाइट जिसमें शोर से खिन्न लोग अपनी शिकायतें पोस्ट करते हैं और उन ठिकानों के बारे में बताते हैं जहां की सड़कों पर बच्चों का खूब हल्लागुल्ला मचा रहता है. लेकिन इसी वेबसाइट और बच्चों से नाराज रहने वाले लोगों के रवैये पर जापान में ही कई दूसरे लोग अब हैरान और गुस्सा हो रहे हैं कि क्या वे अपना बचपन भूल गए.

बच्चों के कोमल संसार पर वेबसाइट की कठोरता

दमघोंटू शहर, खेलने के लिए बाहर निकलने को बेताब बच्चे, वर्क फ्रॉम होम का बढ़ता चलन - ये सब चीजें जापानी घरों में टकराव पैदा कर रही हैं. अब लोग उस वेबसाइट की शिकायत भी कर रहे हैं जो "शोर मचाते बच्चों” के बारे में रिपोर्ट देती है. लेकिन वेबसाइट के संचालक का कहना है कि वो असहिष्णु नहीं हैं और उनके मन में बच्चों के प्रति कोई दुराव नहीं हैं.

दोरोजोकु मैप नाम की इस वेबसाइट का मतलब है सड़क प्रजाति का नक्शा. इसे 2016 में शुरू किया गया था और वेबसाइट ने पूरे जापान में करीब छह हजार ठिकाने चिन्हित कर लिए हैं जहां से बच्चों, उनके माता पिता और उनके पड़ोसियों की शिकायत आई है. मैप वाली वेबसाइट पर एक आइकन को क्लिक करने से लोकेशन के बारे में कमेंट आ जाता है.

टोक्यो के दक्षिण में स्थित कावासाकी शहर में ऐसी ही एक लोकेशन पर दर्ज टिप्पणी कुछ इस तरह से हैः "वैसे रोज तो ऐसा नहीं होता लेकिन अक्सर एक मां उसका बेटा और छोटी बहन सड़क पर गेंद खेलते हैं और चिल्लाते रहते हैं.” उत्तरी टोक्यो से वेबसाइट पर आई एक अनाम पोस्ट के मुताबिक, "बच्चे चॉक से सड़क पर ड्रॉइंग करने लगते हैं और बारिश होने तक वो मिटती नहीं. एक औरत गला फाड़कर हंसती है. इस सड़क से आना-जाना कर रहे हैं तो सावधान रहिए.”

समाज से घबराते लाखों जापानी

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बच्चों की शिकायत करने वालों से शिकायत

जापान में लोग एक दूसरे के बहुत नजदीक रहते हैं. यह बहुत साथ वाला पड़ोस है. लेकिन बच्चों के खेलने की आवाजें लगता है अब बहुत से लोगों को गुस्सा दिला रही हैं. पिछले साल से यह स्थिति और बिगड़ गई है. कोरोना की वजह से बच्चे पहले की तरह बाहर नहीं निकल सके हैं, यही हाल वयस्कों का भी जिनमें से अधिकतर लोग अपनी अपनी कंपनियों के आदेशों के अनुसार घरों से ही काम कर रहे हैं.

फिर भी वेबसाइट पर बहुत से लोग काफी खफा हैं. बच्चों और पड़ोसियों के बारे में उस पर प्रकाशित होने वाली अनाम टिप्पणियों से उनमें काफी नाराजगी है. कावासाकी शहर में पार्ट टाइम नौकरी करने वाली एक मां येई ऊनो ने डॉयचे वेले को बताया, "यह तो विश्वास करने लायक बात ही नहीं है. मेरी बेटी बड़ी हो गई है और वो अब सड़क पर नहीं खेलती है लेकिन छोटी थी तो खेलती ही थी.”

वे कहती हैं, "हमारे घर के पास कोई बड़ा पार्क नहीं है, कभी ऐसा भी समय था कि स्कूल से लौटकर हम बगल की सड़क पर निकल जाते थे और गेंद से खेलते थे या थोड़ा बैंडमिटन खेल लेते थे. दूसरे बच्चे और उनके माता पिता भी यही करते थे और मुझे याद नहीं कि कोई इस बात की शिकायत करता था.”

ऊनो आगे बताती हैं, "इस वेबसाइट को देखकर मुझे थोड़ा धक्का लगा. मैं थोड़ा उदास भी हुई. मैं समझती हूं कि रात के समय नींद में खलल पड़ता है और लोग तेज आवाज या किसी किस्म का शोर पसंद नहीं करते हैं. लेकिन दिन में तो यह कोई गंभीर समस्या नहीं है. मुझे हैरानी है कि शिकायत करने वाले लोग भूल जाते हैं कि वे भी कभी बच्चे थे और वे भी सड़क पर खेलते होंगे.”

सड़क पर खेलकूद कोई आज की बात नहीं

योकोहामा शहर में एक हाउसवाइफ हैं ताकाको तोमुरा. उनका कहना है कि वे अपार्टमेंट मे रहती हैं, जहां कोई बागीचा भी नहीं हैं. और उनकी सात साल की बेटी के खेलने के लिए बहुत कम जगह होती है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "मैं नहीं जानती कि समस्या क्या है. बच्ची थी तो मैं भी यही करती थी और आज भी यह बदला नहीं है, खाने और सोने से पहले बच्चे सिर्फ अपने स्कूटर चलाना चाहते हैं. मैं नहीं समझती कि इससे किसी को कोई बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती होगी. शहरों में पलने बढ़ने वाले लोग यही तो हमेशा करते थे. तो अब इतनी शिकायतें क्यों? वेबसाइट पर ऐसी कठोरता दिखाना सही नहीं.”

अपना नाम सीगेट बताने वाले 40-42 साल के ऑनलाइन सिस्टम डेवलपर और वेबसाइट के एडमिनिस्ट्रेटर अपनी वेबसाइट "दोरोजोकु मैप” का बचाव करते हैं. डीडब्लू को भेजे ईमेल के जवाब में उन्होंने दावा किया है, "मुझे बच्चों के बाहर सड़क पर खेलने से कोई शिकायत या समस्या नहीं है. कुछ मां बाप हर रोज कई घंटों के लिए अपने बच्चों को दूसरे लोगों के घरों के आगे खेलने देते हैं. यह खतरनाक और परेशान करने वाली आदत है जिससे एक्सीडेंट का डर भी रहता है. और बहुत से मामलों में ऐसे पार्क भी आसपास हैं जहां वे खेल सकते हैं. लेकिन किसी वजह से ये मां बाप अपने बच्चों को पार्क नहीं ले जाना चाहते हैं.”

होमवर्क और नोट्स की होम डिलिवरी

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नाइट ड्यूटी करने वाले दिन में सोने कहां जाएं

सीगेट ने कहा कि गेंदो से होने वाले "शोर और कंपन,” "अत्यधिक चीखपुकार”, घरों और कारों को नुकसान - वे सारी चीजें है "जिनसे लोगों का रोज ही पाला पड़ता है.” और ये चीजें दोरोजोकु मैप में रिपोर्ट की जाती हैं. सीगेट का कहना है, "कुछ लोग अस्पतालों में काम करते हैं या रात की शिफ्टों में, उन्हें नींद न आने की गंभीर समस्या होने लगी है क्योंकि दिन के समय बहुत शोर रहता है. मैं खुद यह तकलीफ झेल चुका हूं. हम देखते हैं कि कई लोग बहुत ज्यादा तनाव और दबाव में रहते हैं, चोटिल हैं और शारीरिक और मानसिक रूप से टूटे हुए हैं और उनकी समस्याओं का हल किसी के पास नहीं.”

सीगेट ने कहा कि इसी वजह से उन्होंने ये मैप डाटाबेस बनाने का फैसला किया था ताकि "एक सामाजिक मुद्दे के तौर पर ये चीज सामने आ सके.” जापान के भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों के निवासियों और शोर के कथित स्रोतों के बीच हाल के वर्षों में टकराव बढ़ा है. 2014 के एक मामले में टोक्यो शहर प्रशासन को दखल देना पड़ा जिसमें स्थानीय निवासी अपने पड़ोस में चाइल्डकेयर सेंटर बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. उनकी चिंता थी कि बच्चे बहुत ज्यादा शोर मचाएंगें लेकिन शहर प्रशासन को यह घोषित करना पड़ा कि खेलते बच्चों का शोर, ध्वनि प्रदूषण नहीं माना जाएगा.

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