डकार रैली का आयोजन कर सऊदी अरब देश में पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश में है. देश को उम्मीद है कि पहली बार आयोजित हो रही है डकार रैली से पर्यटन क्षमता का प्रदर्शन करने में उसे मदद मिलेगी.
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डकार रैली का आयोजन कर सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को सुधारना चाहता है. सऊदी अरब पर अक्सर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगता आया है. पांच जनवरी से शुरू हो रहे 12 दिवसीय रैली के आयोजकों का मानना है कि उन्हें मोटर रेसिंग की सबसे साहसिक रैलियों में से एक को इस खाड़ी देश में लाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. हाल के महीनों में इस अति रूढ़िवादी देश ने खेल के क्षेत्र में निवेश बढ़ाया है. अब तक कतर और संयुक्त अरब अमीरात खेल के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं. सऊदी अरब खेलों का इस्तेमाल क्षेत्रीय वर्चस्व के साथ-साथ देश की उदारवादी विचारधारा वाली छवि को दुनिया के सामने पेश करने में भी करना चाहता है.
सऊदी अरब को दुनिया भर में कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा के निर्यातक के रूप में देखा जाता रहा है. 2019 में एंथनी जोशुआ और एंडी रुइज के बीच हैवीवेट बॉक्सिंग मैच, फार्मूला ई मोटर रेस और टेनिस प्रदर्शनी टूर्नामेंट का सऊदी आोजन कर चुका है. महिला कुश्ती का भी आयोजन किया जा चुका है जो कि सऊदी में कभी सोच से भी परे थी. दिसंबर में ही क्रिस्टियानो रोनाल्डो की टीम यूवेंटस ने रियाद में इटैलियन सुपर कप मैच खेला था. जनवरी में ही स्पैनिश सुपर कप के मुकाबले में लियोनेल मेसी बार्सिलोना की तरफ से खेलते हुए नजर आने वाले हैं.
लेकिन सबसे बड़ी घटनाओं में से एक प्रतिष्ठित डकार रैली है, जो मोटर रेसिंग की सबसे साहसिक रैलियों में से एक मानी जाती है, यह रैली रविवार से शुरू होकर 17 जनवरी तक चलेगी. दक्षिण अमेरिका में एक दशक से भी ज्यादा रहने के बाद डकार रैली अब अरब प्रायद्वीप में कम से कम पांच साल तक बने रहेगी. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बनने के बाद मुहम्मद बिन सलमान ने कई कट्टरपंथी नियमों में ढील दी है. मुहम्मद बिन सलमान खेलों को बढ़ावा देकर सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता कम करना चाहते हैं. सलमान चाहते हैं कि खेलों के बहाने उनके देश में पर्यटकों की आवाजाही बढ़े और अर्थव्यवस्था को भी पर्यटन से मजबूती मिले. लेकिन जिस देश में दो तिहाई आबादी 30 साल के नीचे हो, आलोचकों का कहना है कि खेल के चकाचौंध आयोजन का उद्देश्य आर्थिक मंदी और युवाओं में बेरोजगारी को लेकर जनता की हताशा को कुंद करना है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता सऊदी पर "स्पोर्ट्सवॉशिंग" का आरोप लगा रहे हैं, उनका कहना है कि इस तरह के आयोजनों से सऊदी मानवाधिकारों के हनन के आरोपों से खराब छवि को सुधारने की जुगत लगा रहा है.
पत्रकार जमाल खशोगी की 2018 में हत्या, यमन में सऊदी अरब की मध्यस्थता और असहमति पर व्यापक कार्रवाई ने शाही परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है. साल 2019 में सऊदी अरब ने कम से कम 187 लोगों को मौत की सजा दी, साल 1995 के बाद यह संख्या सबसे अधिक है.
हालांकि सऊदी की महिलाओं को कार चलाने का अधिकार मिल गया है लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि अधिकारों के लिए लड़नी वाली महिला ड्राइवरों के साथ जेलों में यौन शोषण होता है और उन्हें टॉर्चर किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय और सामरिक संबंध संस्थान की रिसर्चर कैरोल गोमेज कहती हैं, "प्रमुख खेल आयोजनों की मेजबानी के लिए यह एक बहुत ही आक्रामक नीति है...सऊदी अरब की बिल्कुल अलग छवि पेश करना." गोमेज कहती हैं शाही परिवार "खेल कूटनीति" का इस्तेमाल कर रहा है जो कि प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 का हिस्सा है. सलमान के विजन 2030 के तहत पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल है. सऊदी के अधिकारियों का मानना है कि डकार रैली जैसे आयोजनों से पर्यटकों में सऊदी के प्रति रूचि बढ़ेगी. सितंबर में ही सऊदी अरब ने 49 देशों के लिए टूरिस्ट वीजा देने शुरू किया है.
एए/आरपी (एएफपी)
सऊदी अरब में कब-कब मिले महिलाओं को अधिकार
सऊदी अरब को महिलाओं के दृष्टिकोण से एक पिछड़ा देश माना जाता है. यहां महिलाओं के अधिकार पुरुषों की तुलना में कम हैं. जानिए सऊदी अरब में किन-किन सालों में ऐसे बड़े बदलाव हुए जो महिलाओं को बराबरी देते हैं.
तस्वीर: Reuters/H. I Mohammed
1955: लड़कियों के लिए पहला स्कूल
सऊदी अरब में लड़कियों के लिए पहला स्कूल दार-अल-हनन 1955 में खोला गया, उस साल तक कुछ ही लड़कियों को किसी भी तरह की शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलता था. इसी तरह लड़कियों के लिए पहला सरकारी स्कूल 1961 में खोला गया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
1970: लड़कियों के लिए पहली यूनिवर्सिटी
लड़कियों के लिए पहली यूनिवर्सिटी "रियाद कॉलेज ऑफ एजुकेशन" थी जो साल 1970 में खोली गयी थी. यह देश में महिलाओं की उच्ची शिक्षा के लिए पहली यूनिवर्सिटी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Sharifulin
2001: महिलाओं का पहचान पत्र
21वीं सदी के साथ सऊदी अरब में एक और नई शुरूआत हुई और यह शुरुआत थी महिलाओं के पहचान पत्र की. हालांकि यह पहचान पत्र महिला के अभिभावक की स्वीकृति से जारी किये जाते थे, लेकिन 2006 से बिना किसी इजाजत के महिलाओं को पहचान पत्र जारी किये जा रहे हैं.
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2005: जबरन शादी का अंत
सऊदी अरब ने जबरन शादी पर 2005 में रोक लगाया. हालांकि, विवाह प्रस्ताव लड़के और लड़की के पिता के बीच तय होना जारी रहा.
तस्वीर: Getty Images/A.Hilabi
2009: पहली महिला मंत्री
2009 में राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सरकार में पहली महिला मंत्री नियुक्त किया और इस तरह नूरा अल-फैज महिला मामलों के लिए उप शिक्षा मंत्री बनीं.
तस्वीर: Foreign and Commonwealth Office
2012: पहली महिला ओलंपिक एथलीट्स
सऊदी अरब ने पहली बार महिला एथलीट्स को ओलंपिक की राष्ट्रीय टीम में हिस्सा लेने की अनुमति दी. इन खिलाड़ियों में सारा अत्तार थीं, जो 2012 के ओलंपिक खेलों में लंदन में स्कार्फ पहन कर 800 मीटर की रेस दौड़ीं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/J.-G.Mabanglo
2013: महिलाओं को साइकिल/मोटरसाइकिलों की सवारी करने की अनुमति
सऊदी नेताओं ने महिलाओं को 2013 में पहली बार साइकिल और मोटरबाइक की सवारी करने की अनुमति दी. हालांकि, इस पर भी शर्ते थीं महिलाएं केवल मनोरंजक क्षेत्रों में, पूरे शरीर को ढंक कर और एक पुरुष रिश्तेदार की उपस्थित में सवारी कर सकती थीं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
2013: शूरा में पहली महिला
फरवरी 2013 में, राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सलाहकार परिषद शूरा में 30 महिलाओं को शपथ दिलवायी. इसके बाद इस समिति में महिलाओं को नियुक्त किया जाने लगा जल्द ही वे सरकारी दफ्तर भी संभालेंगी.
तस्वीर: Getty Images/F.Nureldine
2013: शूरा में पहली महिला
फरवरी 2013 में, राजा अब्दुल्ला ने सऊदी अरब की सलाहकार परिषद शूरा में 30 महिलाओं को शपथ दिलवायी. इसके बाद इस समिति में महिलाओं को नियुक्त किया जाने लगा जल्द ही वे सरकारी दफ्तर भी संभालेंगी.
तस्वीर: REUTERS/Saudi TV/Handout
2015: वोट देने का अधिकार
2015 में सऊदी अरब के नगरपालिका चुनाव में, पहली बार महिलाओं ने वोट डाला साथ ही उन्हें इन चुनावों में उम्मीदवार बनने का भी मौका मिला. इसके विपरीत, 1893 में, महिलाओं को वोट का अधिकार देने वाला पहला देश न्यूजीलैंड था. जर्मनी ने 1919 में ऐसा किया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Batrawy
2017: सऊदी स्टॉक एक्सचेंज की पहली महिला प्रमुख
फरवरी 2017 में, सऊदी अरब स्टॉक एक्सचेंज ने सारा अल सुहैमी के रूप में अपनी पहली महिला अध्यक्ष को नियुक्त किया था. इससे पहले 2014 में वह नेशनल कामर्शियल बैंक (एनसीबी) की पहली महिला सीईओ भी बनाई जा चुकी थीं.
तस्वीर: pictur- alliance/abaca/Balkis Press
2018: महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति दी जाएगी
26 सितंबर, 2017 को, सऊदी अरब ने घोषणा की कि महिलाओं को जल्द ही ड्राइव करने की अनुमति दी जाएगी. जून 2018 से उन्हें गाड़ी के लाइसेंस के लिए अपने पुरुष अभिभावक से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी साथ ही गाड़ी चलाने के लिए अपने संरक्षक की भी जरूरत नहीं होगी.