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समाज

खेलों में ट्रांस महिलाओं को बैन करने पर शोध

२५ मार्च २०२१

खेल वैज्ञानिकों ने कहा है कि खेलों में ट्रांस महिलाओं को पूरी तरह से बैन करने की जगह हर खेल को अलग अलग देखना चाहिए. उनका कहना है कि ट्रांस खिलाड़ियों के पास कोई प्राकृतिक बढ़त हो इस बारे में पर्याप्त डाटा नहीं मिला है.

Argentinien Mara Gomez
तस्वीर: Natacha Pisarenko/AP/picture alliance

अमेरिकी के दर्जनों राज्यों की ओर से ट्रांस महिलाओं को खेलों में भाग लेने पर पूरी तरह से बैन लगा देने के बाद, खेल वैज्ञानिकों ने स्थिति में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया है. उन्होंने कहा है कि ट्रांस खिलाड़ियों को कोई प्राकृतिक बढ़त हासिल होती हो ऐसा साबित करने के लिए ज्यादा डाटा नहीं है. इसलिए, हर खेल को अपनी जरूरतों के हिसाब से ट्रांस महिलाओं की भागीदारी पर फैसला लेना चाहिए.

117 देशों के 1,25,000 डॉक्टरों की संस्था इंटरनैशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन (आईएफएसएम) का यह भी कहना है कि हर खेल को अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करने के लिए अपने नियमों की जरूरत होती है. प्रतिस्पर्धात्मक खेलों की दुनिया में इस समय इस विषय पर तीखी बहस छिड़ी हुई है. सवाल है कि क्या टेस्टोस्टेरोन कम करने वाले हॉर्मोन लेने के बावजूद ट्रांस महिलाओं के पास प्राकृतिक रूप से कोई फायदा रहता है या नहीं.

ट्रांस पुरुषों को लेकर इतना विवाद नहीं हुआ है, क्योंकि टेस्टोस्टेरोन से मिलने वाली अतिरिक्त ताकत को आम तौर पर सुरक्षित और न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा के रास्ते में कोई अवरोध नहीं माना जाता. पूरी दुनिया में चल रही इस बहस ने रूढ़िवादी विचार रखने वालों और कुछ चोटी की महिला खिलाड़ियों को ट्रांस एक्टिविस्टों और उनका समर्थन करने वाले खिलाड़ियों के खिलाफ खड़ा कर दिया है.

अर्जेंटीना की ट्रांसजेंडर महिला फुटबॉल खिलाड़ी मारा गोमेज अपनी टीम के सदस्यों के साथ हंसी मजाक करते हुए.तस्वीर: Natacha Pisarenko/AP/picture alliance

विरोधियों का कहना है कि ट्रांस महिलाओं को पुरुषों की प्यूबर्टी के दौरान ऐसे फायदे मिल जाते हैं जिन्हें हॉर्मोन लेने से पर्याप्त रूप से कम नहीं किया जा सकता है. लेकिन इस नए अध्ययन की मुख्य लेखक ब्लेयर हैमिल्टन का कहना है, "सारी राजनीति और सभी पूर्वाग्रहों को एक तरफ रख कर विज्ञान को इस चर्चा को दिशा देनी चाहिए." ब्लेयर ब्रिटेन के ब्राइटन विश्वविद्यालय में ट्रांस खिलाड़ियों पर शोध करती हैं.

वो खुद भी ट्रांस हैं और इस तरह के सुझावों को नकार देती हैं कि उनके जैसे ट्रांस महिला खिलाड़ी महिलाओं के खेलों पर हावी हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि वो खुद ब्रिटिश महिलाओं के फुटबॉल में सातवें दर्जे पर खेलती हैं. उन्होंने कहा, "मैं चार साल से महिला खेलों में भाग ले रही हूं. मैं तो खेल पर हावी नहीं हुई हूं."

फ्रीडम फॉर ऑल अमेरिकंस नाम के एक एलजीबीटी प्लस एडवोकेसी समूह के मुताबिक अमेरिका में इस समय एक सांस्कृतिक युद्ध चल रहा है और ट्रांस खिलाड़ी उसके केंद्र में हैं. इस समूह के मुताबिक 29 राज्यों में कॉलेजों और स्कूलों में ट्रांस महिलाओं और लड़कियों को खेलों से बैन करने के लिए या तो कानून पास हो चुके हैं या उन पर बहस चल रही है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एलजीबीटी प्लस समुदायों के लोगों के लिए बेहतर समावेश की वकालत की है. जनवरी में उन्होंने एक आदेश पर हस्ताक्षर भी किए थे जिसके तहत बाथरूमों में, कपड़े बदलने के कमरों में और स्कूलों के खेलों में जेंडर के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन पिछले साल शारीरिक सुरक्षा की चिंताओं को लेकर वर्ल्ड रग्बी ने अंतरराष्ट्रीय महिला खेलों से ट्रांस महिलाओं को बैन कर दिया था.

सीके/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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