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खेल खतम पैसा हजम....

१४ अक्टूबर २०१०

आज से महज 14 दिन पहले तक जिस दिल्ली को दुनिया शक की नजरों से देख रही थी उसी दिल्ली ने अपना दम दिखा दिया. भारत के लिए सदी के इस सबसे बड़े आयोजन में किसी को शिकायत का कोई खास मौका नहीं मिला.

सलाम सीडब्ल्यूजी

कॉमनवेल्थ खेल शुरू होने से पहले मीडिया से लेकर आम लोग तक इसे तिरछी नजरों से दूसरा ही ..खेल.. बताकर न जाने क्या क्या बातें कर रहे थे, लेकिन बीते 13 दिनों में तस्वीर ही बदल गई. आखिरकार कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के मुखिया माइक फेनल ने भी दिल्ली की तारीफ में आज खूब कसीदे पढ़े. कल तक माथे पर चिंता की लकीरें लिए बैठे रहे फेनल ने कहा "दिल्ली ने दिखा दिया अपना दमखम."

आज फेनल का अंदाज बिल्कुल बदला हुआ था. वे बोले "जब मैं 23 सितंबर को दिल्ली पंहुचा उस समय लोग कयास लगा रहे थे कि मैं खेलों के रद्द करने का ऐलान करूंगा. इतना ही नहीं मीडिया वालों ने मुझसे लचर इंतजामों का हवाला देकर आयोजन स्थल के दूसरे विकल्प के बारे में भी पूछा था. मैंने तब भी कहा था कि विकल्प को छोड़िए, हमारे लिए एकमात्र विकल्प है सिर्फ और सिर्फ दिल्ली, और आज दिल्ली ने मेरी बात को सच साबित कर दिखाया." अपने पुराने बयानों को भुलाकर फेनल ने कहा कि दिल्ली ने कॉमनवेल्थ खेलों की साख में चार चाँद लगा दिए. उन्होंने कहा "मैं यह मानने को कतई तैयार नहीं हूं कि शुरूआती छींटाकशी से खेलों की साख पर बट्टा लगा है."

तस्वीर: AP

खैर अंत भला सो सब भला. सभी स्पोर्टस ईवेंट पूरे होने पर खेलों का औपचारिक समापन हो गया. फेनल का शाबासी भरा "नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट" पाकर आयोजन समिति के मुखिया सुरेश कलमाडी भी गदगद नजर आए. कलमाडी पर भ्रष्टाचार के आरोपों से बुझे तीर चला रहे उनके साथी फिलहाल वाह वाही के बोझ से दबा दी गई फाइलों को खोलने की क्या जुगत भिड़ाएंगे यह तो भविष्य ही बताएगा.

फेनल के बयान से आखिरी दिन की शुरूआत तो उम्दा रही लेकिन भारत को इसका मिलाजुला अहसास हुआ. राष्ट्रीय खेल हॉकी से उम्मीदों का सेंसेक्स पूरे उछाल पर था. लेकिन उम्मीदों को मायूसी में तब्दील कर देने वाली खबर ध्यानचंद स्टेडियम से आई जहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह फाइनल मैच देखने के लिए सुबह से ही मौजूद थे. ऑस्ट्रेलिया ने हॉकी में चौतरफा दबदबा कायम रखते हुए भारत को 8-0 से धूल चटा दी. हॉकी के ऑस्ट्रेलियाई अश्वमेघ के घोड़े ने वर्ल्ड कप और चैंपियन्स ट्रॉफी के बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में भी जीत का झंडा झुकने नहीं दिया.

वहीं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर बने इस स्टेडियम में भारत के लिए यह अब तक की सबसे करारी शिकस्त थी. इससे पहले 1982 के एशियन गेम्स में इसी मैदान पर पाकिस्तान ने भारत को 1-7 से रौंदा था.

लेकिन भारत के खेल प्रेमियों के लिए इस हार से उभरे जख्मों पर सीरीफोर्ट ऑडीटोरियम से बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल ने राहत का फाहा रखकर मुर्झाए चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी. सायना ने भारत की झोली में गोल्ड मेडल डालकर श्रीमती प्रधानमंत्री की तालियों का कर्ज उतार दिया.

भारत के लिए हर लिहाज से कॉमनवेल्थ खेल सदी का सबसे बड़ा आयोजन साबित हुआ. उसके खाते में अब तक किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा तमगे जुड़े. भारतीय खिलाड़ियों ने 101 मेडल अपने देश के नाम किए. इनमें सबसे ज्यादा सोने के तमगे 38, चाँदी के 27 और 36 कांस्य पदक रहे.

यह परिणाम सुनकर पखवाड़े भर से तिरंगे के लिए तालियां बजा कर रहे भारतीय खेलप्रेमी स्टेडियम से रूखसत होते समय यही कहते नजर आए "खेल खतम पैसा हजम."

रिपोर्टः निर्मल यादव

संपादनः उभ

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