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खेल में सिर की चोटों से बीमार होता दिमाग

४ दिसम्बर २०१२

सिर पर लगने वाली हल्की फुल्की चोटें लंबे समय बाद मतिष्क को बीमार करती हैं. ऐसी चोटें अक्सर खेलों के दौरान लगती है और जवानी के जोश में खिलाड़ी उन्हें नजरअदांज कर देते हैं. अमेरिकी फुटबॉलरों को इसका सबसे ज्यादा खतरा है.

तस्वीर: Getty Images

अमेरिकी रिसर्चरों ने मतिष्क की बीमारियों से जूझ रहे 85 मरीजों का परीक्षण किया. केस हिस्ट्री से पता चला कि इनमें से 64 रोगी खिलाड़ी रह चुके हैं. समय समय पर सिर पर लगती छोटी मोटी चोटें बाद में दिमागी बीमारियां बन गईं. इस तरह की बीमारियों को क्रॉनिक ट्रॉमैटिक एनशेफैलोपैथी (सीटीई) कहते हैं.

सीटीई ऐसी दिमागी बीमारियों का समूह है जिसके मरीज को अवसाद, याददाश्त संबंधी दिक्कत या बेवजह के भ्रम का सामना करना पड़ता है.

तस्वीर: Getty Images

अमेरिका में रग्बी फुटबॉल, आइस हॉकी और करारों के तहत खेलने वाले दूसरे खिलाड़ियों को इसका सबसे ज्यादा खतरा रहता है. अमेरिका में फुटबॉल एक दूसरे तरह के खेल को कहा जाता है. इसमें भारी भरकम खिलाड़ी रक्षा कवच पहने हुए एक दूसरे से भिड़ते हैं और गेंद हाथों हाथ विरोधी टीम के गोल तक ले जाने की कोशिश करते हैं.

दिमागी बीमारियों से जूझ रहे 68 रोगी लंबे वक्त तक फुटबॉल, आइस हॉकी, बॉक्सिग और रेसलिंग से जुड़े रहे. अमेरिका में राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ियों को हो रही सिर की बीमारियां अब चिंता का कारण बन रही हैं. संन्यास ले चुके फुटबॉल खिलाड़ियों में से कुछ आत्महत्या कर चुके हैं. मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक आत्महत्या करने वाले सीटीई के रोगी थे.

तस्वीर: Getty Images

ताजा मामला शनिवार को सामने आया जब अमेरिकी फुटबॉल के खिलाड़ी ने पहले अपनी प्रेमिका को गोली मारी और फिर कोच के सामने खुद को गोली मार ली. पुलिस के मुताबिक दोनों की एक तीन महीने की बेटी है. वारदात की जांच की जा रही है. मई में सैन डिएगो चाजर्स के लाइनबेकर जूनियर सेओ ने खुद को गोली मार ली. आत्महत्या और उनके अवसाद को सीटीई का नतीजा माना गया. साथियों के मुताबिक सेओ खेल करियर के दौरान बहुत खुशमिजाज और मजाकिया थे. अप्रैल में भी ऐसा ही मामला सामने आया. 20 साल तक अवसाद से लड़ने के बाद रै इस्टरलिंग ने खुद को गोली मार ली.

ओएसजे/एनआर (डीपीए)

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