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खो गई धोनी की जादू की छड़ी

१६ जनवरी २०१२

एडिलेड में जब भारतीय टीम आखिरी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ेगी, तो बाहर बैठे कप्तान धोनी जरूर सोचेंगे कि कहां गड़बड़ हो गई. सबसे सफल कप्तान क्यों बिखर गया. अंदर ग्राउंड पर टीम एक और हार से बचाव की तरकीब खोजेगी.

क्यों बिखरे कप्तानतस्वीर: AP

आईसीसी ने धीमे ओवर गति की वजह से भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर एक टेस्ट मैच की पाबंदी लगा दी है. इस वजह से वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में नहीं खेल पाएंगे. छोटे से झारखंड राज्य से आने वाले धोनी किसी परिकथा की तरह तूफानी ढंग से भारत के कप्तान बन बैठे. उसके बाद भारत को ट्वेन्टी 20 वर्ल्ड कप जिता दिया. फिर वनडे क्रिकेट का वर्ल्ड कप जिता और इसके बीच में भारत को टेस्ट मैचों की रैंकिंग में पहले नंबर पर पहुंचा दिया. लगने लगा कि धोनी भारत के सफलतम कप्तान बन गए हैं.

वह इस कदर लोकप्रिय हो गए कि उन्हें कैप्टन कूल कहा जाने लगा. खराब से खराब परिस्थितियों में शानदार फैसले लेने वाले धोनी से लोग बेहद प्रभावित थे. यहां तक कि रांची के मैनेजमेंट स्कूल ने उनका ब्रेन मैपिंग करने का फैसला किया ताकि जाना जा सके कि वे किन परिस्थितियों में क्या कदम उठाते हैं. बॉलीवुड की फिल्म जैसी कहानी पिछले साल इंग्लैंड दौरे तक जारी थी. लेकिन उसके बाद एंटी क्लाइमेक्स आ गया.

कई आलोचक उन्हें बिना भाव वाला कप्तान बताते थे, जो किसी बैंक का क्लर्क भी हो सकता है. इंग्लैंड दौरे में 4-0 की हार ने उनका मुंह खोल दिया. कैप्टन कूल हीरो से जीरो बनने लगे. हालांकि तब तो उनके पास खिलाड़ियों के घायल होने का बहाना था. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में दो बार पारी की हार के साथ 3-0 से पिछड़ने पर धोनी के पास कोई बहाना भी नहीं है.

धार नहीं बरकरार

पर्थ के मैच में धोनी ने शानदार फॉर्म में चल रहे स्पिनर आर अश्विन की जगह विनय कुमार को टीम में शामिल करने का फैसला किया, जिससे लोग हैरान रह गए. भारत के पूर्व कप्तान रवि शास्त्री ने कहा, "मैं तो हैरान हूं. एक स्पिनर को तो इस मैच में होना ही चाहिए." भारत ने ज्यादातर मैच अपने स्पिनरों के भरोसे जीते हैं.

सच तो यह है कि धोनी को यही फैसला भारी पड़ गया. उन पर दो ओवर धीमे फेंकने की वजह से एक मैच का बैन लग गया. अगर एक स्पिनर टीम में होता तो स्लो ओवर रेट की नौबत ही नहीं आती क्योंकि स्पिनरों के ओवर तेजी से निकलते हैं. रही बात, तेज गेंदबाजों की तो उनसे भी धोनी को कोई फायदा नहीं मिला.

'मैं ही कसूरवार'तस्वीर: AP

धोनी ने पर्थ टेस्ट शुरू होने से ठीक पहले इस बात का भी इशारा दे दिया कि 2015 वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए वह टेस्ट या वनडे छोड़ने वाले हैं. पूर्व कप्तान सौरव गांगुली इसे भी गलत वक्त का बयान मानते हैं, "मैं दुआ कर रहा था कि वह मजाक कर रहा हो. और अगर वह गंभीर था तो यह कोई मौका नहीं था. आपको 24 घंटे के अंदर टेस्ट मैच खेलने जाना है और आप इस तरह का एलान कर रहे हैं."

'मैं ही कसूरवार'

सिडनी टेस्ट में एक अर्धशतक के अलावा धोनी ने इस सीरीज में कुछ नहीं किया. विकेट के पीछे भी वह कोई कारनामा नहीं दिखा सके. स्लिप में खड़े उनके खिलाड़ी कैच टपकाते रहे और वह सिर्फ खिलाड़ियों को इधर उधर करते रहे. पूरी सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के सिर्फ 34 विकेट गिरे हैं, जबकि भारत के 60 विकेट.

पर्थ में धोनी ने थोड़ी देर के लिए विराट कोहली को पहली स्लिप में खड़ा कर दिया, जिस दौरान उन्होंने डेवि़ड वार्नर का कैप ड्रॉप कर दिया. उसके बाद इस जगह पर हमेशा रहने वाले सचिन को वापस बुलाया गया. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल हैरान रह गए, "अरे भाई, फर्स्ट स्लिप एक स्थायी जगह है. आप यहां पर बार बार खिलाड़ी नहीं बदल सकते हैं."

हालांकि जीतती है तो टीम जीतती है और हारती है तो टीम हारती है लेकिन धोनी को अपने ऊपर जिम्मेदारी तो लेनी ही होगी. वह कहते भी हैं, "मैं खुद पर इल्जाम देता हूं. मैं इस टीम का कप्तान हूं. मैं ही सबसे बड़ा कसूरवार हूं."

धोनी की गैर मौजूदगी में भारत के उप कप्तान वीरेंद्र सहवाग टीम की कप्तानी करेंगे. धोनी को टेस्ट की कप्तानी करने के लिए अभी छह महीने का इंतजार करना होगा.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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