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गंगा में 11,000 मछलियां डाली गईं

२५ फ़रवरी २०११

भारत में पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी भयानक प्रदूषण का शिकार हो चुकी है. हालत इतनी बदतर है कि अब गंगा नदी में बाहर की मछलियां डालनी पड़ रही हैं ताकि नदी की कलकल धारा जिंदा रह सके.

तस्वीर: UNI

जैव विविधता के लिहाज से मर चुकी नदी गंगा में फिर से प्राण फूंकने के लिए 11,000 मछलियां भागीरथी में डाली गईं. प्रदूषण को कम करने के मकसद से एक गैर सरकारी संगठन ने 20 अलग अलग प्रजाति की मछलियों का सहारा लिया है. निषाद समुदाय के सदस्यों के मुताबिक यह मछलियां नदी में घुले कचरे और कीटाणुओं को साफ करेंगी.

भारत में गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अब तक हजारों करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन नदी की हालत जस की तस है. सरकारी महकमों पर अनदेखी का आरोप लगाने वाले स्वंयसेवी संगठन अब खुद नदी के बचाव के लिए आगे आने लगे हैं.

ऐसी योजना है कि इस साल गंगा को साफ करने के लिए एक लाख मछलियां डाली जाएंगी. नदी के आकार के लिहाज से यह संख्या अब भी काफी कम है. लेकिन संगठनों को उम्मीद है कि इसका कुछ तो असर होगा ही.

सरकार भी अब नई किस्म की प्राकृतिक तकनीक का सहारा ले रही है. गंगा के किनारे जहरीले कचरे को सोखने वाले पौधे लगाए जाने की योजना है. गंगा एक्शन प्लान के तहत छह किस्म की तकनीकों पर विचार चल रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष वाराणसी का दौरा कर चुके हैं. उनके मुताबिक शहरों की सीवेज लाइनें और फैक्टरियों की गंदगी अब भी बड़ी समस्या हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा एम

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