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गजा वालों के पास न छत, न सहारा

१८ नवम्बर २०१२

गजा के लोगों को उम्मीद थी कि मिस्र के प्रधानमंत्री जब शुक्रवार को इलाके में आएंगे, तो उनकी स्थिति बेहतर होगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फलीस्तीन और इस्राएल के रॉकेटों के हमले जारी रहे और आम आदमी सिसकता रहा.

तस्वीर: Reuters

गजा शहर में रहने वाले 55 साल के शिक्षक बासेल खादेर का कहना है, "स्थिति बहुत खराब है. हमें नहीं पता कि इस्राएल और हमास हमसे क्या चाहते हैं." वह दोनों ही पक्षों को जिम्मेदार बताते हैं और कहते हैं कि मिस्र के प्रधानमंत्री के दौरे से भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ.

लेकिन 34 साल के इस्माइल अल बाशा हमास का साथ देते हैं. वह सब्जियां बेच कर गुजारा करते हैं. उनका कहना है, "हम चाहते हैं कि हमास और इस्लामी संगठन रॉकेट दागते रहें क्योंकि इस्राएली हमें मार रहे हैं. उन्होंने पिछले युद्ध में 2009 में मेरे भाई को मार डाला."

तस्वीर: Reuters

इस्राएल में भले ही बम हमलों से बचने के लिए बंकर हैं, गजा में ऐसी कोई बात नहीं. लोग आम तौर पर घरों के अंदर रह रहे हैं. उन्हें पता है कि इस्राएल जान बूझ कर उनके घरों में हमला नहीं करेगा. लेकिन अगर पास में हमास के किसी ठिकाने पर हमला किया गया, तो उसकी आंच उनके घरों तक पहुंच सकती है.

ऐसे हमलों में दो दिनों के अंदर जिन लोगों की जान जा चुकी है, जिसमें सबसे छोटी 11 माह की बच्ची है. जबरदस्त सर्दी है लेकिन उन्होंने अपने कमरों की खिड़कियों को हमेशा के लिए खोल रखा है ताकि कांच के टुकड़ों से उनकी जान न जाए.

तस्वीर: Reuters

शहर की सड़कों पर कारों से ज्यादा एंबुलेंस और दमकल गाड़ियां दिख रही हैं. इस्राएली हमला होते ही ये गाड़ियां वहां जाती हैं और घायलों को अस्पताल पहुंचाती हैं. हमास ने एलान किया है कि स्कूल, कॉलेज, मंत्रालय, दुकानें और बैंक अगले एलान तक बंद रहेंगे.

ज्यादातर दुकानें बंद हैं और बेकरी के सामने मर्दों की लंबी कतारें लगी हैं, जो रोटी खरीदना चाहते हैं. हर 10 मिनट पर विस्फोट की आवाज आती है और शहर के किसी हिस्से से काले धुएं का गुबार उठता दिखता है. इसी बीच फलीस्तीन की तरफ से छोड़े गए रॉकेटों की सीटीनुमा आवाज भी गूंजती है.

इस्राएल ज्यादातर हमास के हथियारों के जत्थे को निशाना बनाना चाहता है. गजा के लोगों का कहना है कि स्थिति फिर से 2009 के युद्ध जैसी बन गई है. उस जंग में 1400 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें बड़ी संख्या बच्चों की थी.

तस्वीर: REUTERS

15 साल का मुहम्मद अल बहतिनी कहता है, "मुझे सच में बहुत डर लग रहा है. हो सकता है मैं मार दिया जाऊं या घायल हो जाऊं." फिर भी वह अपने पिता के साथ जुमे की नमाज अदा करने मस्जिद जा रहा है. बहतिनी बताता है, "मैं सो भी नहीं पा रहा हूं. हर बम विस्फोट के बाद मैं जाग जाता हूं. चार बजे भोर में फिर सोने की कोशिश की लेकिन नींद नहीं आई."

फलीस्तीनी पक्ष का कहना है कि उनका जवाब भी जरूरी और कानूनी है. इस्राएल ने 2005 में अपने सैनिकों को गजा से बाहर कर लिया है लेकिन फिर भी वह अपने हमले को न्यायोचित बताता है. बहतिनी ने कहा, "मैं सभी इस्राएलियों से नफरत नहीं करता हूं. वहां अच्छे लोग भी हैं और बुरे लोग भी. मैं उन बुरे फौजियों से नफरत करता हूं, जो शांति नहीं रखना चाहते."

एजेए/एएम (डीपीए)

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