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गद्दाफी इस्तीफा दे दें तो देश में रह सकते हैं:विद्रोही

४ जुलाई २०११

लीबिया में सरकार विरोधियों ने प्रस्ताव दिया है कि यदि गद्दाफी इस्तीफा दे देते हैं तो वह देश में सेवानिवृत जीवन बिता सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय आपराध न्यायालय पहले ही गद्दाफी की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर चुका है.

ARCHIV - Der libysche Revolutionsführer Muammar al-Gaddafi darf am 23.09.2009 während der Generaldebatte der Vereinten Nationen vor der UN Vollversammlung reden. Nun wird er per Haftbefehl gesucht. Der Internationale Strafgerichtshof (IStGH) in Den Haag erließ am Montag (27.06.2011) Haftbefehl gegen Gaddafi. Die IStGH folgte der Staatsanwaltschaft, die ihm Morde an hunderten Zivilisten, Folter, militärische Gewalt gegen Zivilisten und organisierte Massenvergewaltigungen vorwirft. Foto: JASON SZENES dpa +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture alliance/dpa

विरोधियों के नेता मुस्तफा अब्देल जलील ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि विरोधियों ने एक महीना पहले ही यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र को दे दिया था, लेकिन उन्हें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. एक इंटरव्यू में जलील ने कहा, "इस समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हमने यह प्रस्ताव दिया है कि गद्दाफी इस्तीफा दे दें और अपने सैनिकों को पीछे हटने के लिए कहें. इस के बाद वह खुद इस बात का फैसला कर सकते हैं कि वह देश में ही रहना पसंद करते हैं या विदेश जाना चाहते हैं."

यदि गद्दाफी लीबिया में रहने का फैसला लेते हैं तो उन्हें विरोधियों की शर्तें माननी होंगी. जलील ने कहा, "अगर वह लीबिया में रहते हैं तो उनके निवास को हम तय करेंगे और उनकी सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी."

जलील के इन बयानों ने विवाद भी खड़ा कर दिया है क्योंकि कई विरोधियों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय आपराध न्यायालय द्वारा गद्दाफी की गिरफ्तारी का वारंट जारी किए जाने के बाद इस तरह के प्रस्ताव की कोई गुंजाइश नहीं बचती.

तस्वीर: dapd

गद्दाफी अब तक सत्ता और देश छोड़ने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मांगों को ठुकराते रहे हैं. लेकिन गद्दाफी के समर्थकों की ओर से ऐसे संकेत आए हैं कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं. पिछले पांच महीनों से देश में तनाव चल रहा है जिसमें हजारों लोगों की जान जा चुकी हैं.

तुर्की की बीस करोड़ डॉलर की मदद

दूसरी ओर तुर्की ने कहा है कि समय आ गया है कि लीबियाई नेता मोअम्मर गद्दाफी देश छोड़ दें. तुर्की के विदेश मंत्री अहमेत दावूतोग्लू ने रविवार को बेनगाजी में विद्रोहियों के नेताओं से मुलाकात की. अपने इस दौरे पर दावूतोग्लू ने विद्रोहियों की मदद के लिए बीस करोड़ डॉलर की मदद की घोषणा की. तुर्की इस से पहले जून में दस करोड़ डॉलर की मदद दे चुका है. दावूतोग्लू ने कहा, "तुर्की अब और बीस करोड़ की मदद देगा."

तस्वीर: dapd

एक प्रेस कांफ्रेंस में दावूतोग्लू ने कहा, "मैं यहां लीबिया के लोगों को यह बताने आया हूं कि हम उनके साथ हैं. उनकी मांगें उचित हैं और उनका हक है कि इन्हें मान लिया जाए. इस समस्या का स्थाई हल ढूंढने की जरूरत है." एक सवाल के जवाब में दावूतोग्लू ने कहा, "लोगों की मांगे मानी ही जाएंगी और गद्दाफी को जाना होगा." इस बीच तुर्की ने आधिकारिक तौर पर अपने राजदूत को त्रिपोली से वापस बुला लिया है.

वहीं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने कहा है कि वह जल्द ही मॉस्को का दौरा करेंगे, ताकि बातचीत का सिलसिला शुरू किया जा सके. इस विवाद को खत्म करने की उनकी अब तक की कोशिशें नाकाम रही हैं. दूसरी ओर विद्रोहियों ने अफ़्रीकी संघ के शांति प्रस्ताव को एक बार फिर मानने से इनकार कर दिया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ ईशा भाटिया

संपादन: एन रंजन

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