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गद्दाफी को नहीं रोक सके पश्चिमी हमले

२४ मार्च २०११

गुरुवार सुबह लीबिया की राजधानी त्रिपोली में भारी धमाकों की आवाज सुनाई दी. वहीं पश्चिमी देशों के हवाई हमलों के बावजूद गद्दाफी की सेना रुकने का नाम नहीं ले रही है. नाटो के मामले में अब भी अगर मगर की स्थिति बनी हुई है.

लीबिया के लिएतस्वीर: AP

गुरुवार को पांचवी रात भी पश्चिमी देशों ने हवाई हमला किया लेकिन अभी तक वह मुअम्मर गद्दाफी के टैंको को विद्रोहियों पर हमला करने से नहीं रोक सके हैं और न ही उनकी सेना को पूर्वी इलाकों में आगे बढ़ने से रोक पाए हैं.

रात को गद्दाफी के टैंकर मिसराता में घुसे और मुख्य अस्पताल के आस पास बमबारी शुरू कर दी. स्थानीय निवासियों के हवाले से रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने लिखा है कि इन हमलों के बाद विद्रोहियों ने सेना पर गोलीबारी शुरू कर दी. बुधवार को पश्चिमी देशों के हमलों के कारण विद्रोहियों की बंदूकें शांत रही थीं.

टैंक गरजे

सरकारी सैनिकों ने छिप कर गोलीबारी की. विद्रोहियों के प्रवक्ता ने दावा किया है कि मिसराता में 16 लोग मारे गए हैं. मिसराता के एक डॉक्टर ने कहा, "सरकार के टैंक मिसराता अस्पताल के पास हैं और इस इलाके में बमबारी कर रहे हैं."

हालांकि अन्य माध्यमों से इन खबरों की पुष्टि नहीं हो पा रही है. वहीं अमेरिकी सेना ने कहा है कि वह लीबिया के तटीय इलाकों में नो फ्लाई जोन बनाने में सफल रही है. पश्चिमी देशों की साझा सेनाओं ने 24 घंटे के दौरान 175 उड़ानें भरीं.

फ्रांस ने कहा है कि उसके युद्धक विमानों ने 10 लीबियाई वाहनों को तीन दिन में नष्ट किया है. उधर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने प्रस्ताव में कहा है, "गारंटी दी जाए कि अंतरराष्ट्रीय युद्धक विमानों को लीबिया के नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी साधन उपलब्ध हों." लीबिया की सरकार ने इन खबरों का खंडन किया है कि वह किसी भी तरह के हमले कर रही है. सरकार का दावा है कि हमलों के दौरान सेना सिर्फ अपना बचाव कर रही है.

आगे बढ़ती जा रही हैं लीबिया की सेनातस्वीर: Libyan State TV/AP/dapd

लेकिन राजधानी के उत्तर पश्चिमी जिन्टान शहर के लोगों ने कहा है कि गद्दाफी की सेनाएं सैनिकों और टैंकों की संख्या लगातार बढ़ा रही है. लीबिया के पूर्वी शहरों में अब भी सरकार का विरोध करने वालों का कब्जा है.

लीबिया के सरकारी टीवी ने दिखाया कि पश्चिमी देशों के युद्धक विमानों ने त्रिपोली और जफार में हमले किए. टीवी के मुताबिक, सेना और नागरिकों पर उपनिवेशवादी हमलावरों ने हमले किए.

नाटो की बातचीत जारी

लीबिया में सैन्य संघर्ष गंभीर रूप ले रहा है लेकिन नाटो संगठन अभी तक कमांड के बारे में तय नहीं कर पाया है. इसका कारण तुर्की की असहमति है. इराक और अफगानिस्तान में फंसा अमेरिका लीबिया में नेतृत्व नहीं करना चाहता. लीबिया को कुछ दिनों का संघर्ष बताने वाले अमेरिका की इच्छा है कि इस संघर्ष में नाटो संगठन अहम भूमिका निभाए लेकिन इस की भूमिका की संरचना क्या होगी इस बारे में कुछ साफ नहीं है.

वॉशिंगटन, लंदन और पैरिस इस बात पर तो मंगलवार को सहमत हो गए कि नाटो को अहम भूमिका निभानी चाहिए लेकिन इसके लिए नाटो के सभी 28 सदस्य देशों की सहमति जरूरी है लेकिन तुर्की की आपत्ति के कारण इस पर फैसला नहीं हो सका है. गुरुवार को इस विषय पर चौथे दिन बातचीत होनी है.

फ्रांस गठबंधन के सदस्यों का एक अनौपचारिक स्टीरिंग ग्रुप चाहता है जिसमें अरब लीग भी शामिल हो ताकि राजनैतिक नियंत्रण किया जा सके. फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि सभी देश इसमें शामिल हो सकते हैं. अगले मंगलवार को यह ग्रुप लंदन में मिलेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ओ सिंह

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