गरीबी के कारण शादी पर मजबूर सीरियाई बेटियां
१५ मार्च २०१८अजीजा जब 14 साल की थी, तभी मां बाप ने उसके रिश्ते के भाई से उसकी शादी करा दी. उसकी मां राशिदा का कहना है कि उसकी उम्र की लड़कियों के लिए उनके कबीले में यह आम बात है. राशिदा ने बताया कि शादी हो जाने के बाद लड़कियां दुर्व्यवहार से सुरक्षित हो जाती हैं और परिवार के बजट पर दबाव भी कम हो जाता है.
अजीजा अपना पूरा नाम नहीं बताती लेकिन उसने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "मुझे बहुत अफसोस है कि मेरी शादी हो गई. मेरी उम्र की लड़कियां अब भी पढ़ रही हैं. उनके पास उम्मीदें है, मेरे पास कुछ नहीं है, मैं पूरी तरह तबाह हो गई हूं."
सीरिया से भाग कर लेबनान आए 15 लाख लोगों में एक बड़ी तादाद लड़कियों की है. ये लोग 2011 से ही यहां आ रहे हैं और अब बढ़ती गरीबी के बीच इन लड़कियों की शादियां हो रही हैं. लेबनान में रह रहीं हर पांच में से एक लड़की की 15 से 19 साल की उम्र में शादी हो जा रही है. संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी के मुताबिक ज्यादा से ज्यादा लड़कियों की शादी इसलिए हो रही है क्योंकि उनका परिवार खाना, मकान का किराया और दवाइयों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं है. लेबनान में रह रहे सीरियाई लोगों में तीन चौथाई से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. उन्हें प्रतिदिन 260 रुपये से भी कम पर अपना गुजारा चलाना पड़ रहा है.
एक स्थानीय समाजसेवी संगठन काफा ने लेबनान सरकार से मांग की है कि वह देश में शादी की न्यूनतम आयु 18 साल तय कर दे. इस संगठन का कहना है कि इलाके के दूसरे देशों से लेबनान इस मामले में पीछे है. इन देशों ने शादी की कम से कम उम्र 18 साल तय कर रखी है. इन देशों में अल्जीरिया, मिस्र, इराक, जॉर्डन, लीबिया, मोरक्को, ओमान, ट्यूनीशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
अजीजा अपने मां बाप और पांच भाई बहनों के साथ एक छोटे से टेंट में रहती है. लेबनान की बेका घाटी में 3 लाख से ज्यादा शरणार्थी रहते हैं. ये लोग अलेप्पो से पांच साल पहले भाग कर आए थे. शरीर से पतली दुबली अजीजा अपनी उम्र से भी कम की दिखती है. उसकी गोद में बच्चा देख कर अजीब अहसास होता है.
अजीजा बताती है, "सीरिया में मेरी जिंदगी बहुत अच्छी थी. मैं स्कूल जाती थी और एक डॉक्टर बनना चाहती थी." उसका प्रिय विषय अरबी था. अजीजा के पिता और उसकी दो बहनें अंगूर के बाग और आलू के खेत में काम कर हर दिन करीब 250-280 रुपये कमाते हैं. हालांकि यह काम भी मौसमी है. अजीजा की मां राशिदा कहती हैं, "मेरी चार बेटियां हैं. मैं सबकी सारी जरूरतें पूरी नहीं कर सकती." इसके साथ ही वो यह भी कहती हैं कि गरीबी की वजह से ही उन्होंने अजीजा की शादी उसके 17 साल के रिश्ते के भाई से करने का फैसला किया.
अजीजा ने बताया कि उसने शादी का विरोध नहीं किया लेकिन एक साल बाद ही उसका तलाक हो गया क्योंकि उसकी सास के साथ उसकी नहीं बनती थी. वह फिर अपने टेंट में लौट आई. शिविर में उसे लेकर तरह तरह की बातें कही जाने लगी क्योंकि उसका तलाक हो गया था तो उसके घरवालों ने उसकी दोबारा शादी कर दी. इस बार 30 साल के एक सीरियाई आदमी से. तब अजीजा की उम्र महज 16 साल थी. अजीजा ने कहा, "मैं उसे पसंद नहीं करती थी लेकिन मैंने सिर्फ इसलिए शादी की क्योंकि लोग मेरे बारे में तरह तरह की बातें कर रहे थे." अजीजा ने बताया कि एक साल बाद उसने उस शख्स को छोड़ दिया क्योंकि वो उसे मारता पीटता था.
परिवार में सबसे बड़ी लड़की होने के कारण अजीजा अब इस बात पर अड़ी है कि उसकी बहनें पढ़ाई करें और 20 साल की उम्र से पहले उनकी शादी ना हो. सीरिया की शरणार्थी लड़कियों को उसका संदेश है, "शादी मत करो और स्कूल की पढ़ाई पूरी करो."
पांच महीने के बच्चे को गोद में रखे अजीजा उसके लिए अच्छे भविष्य का सपना बुन रही है. मुस्कान के साथ उसने कहा, "जब यह बड़ा होगा तो मैं इसे पढ़ाऊंगी लिखाऊंगी, मेरी तरह नहीं, मैं चाहती हू्ं कि यह अरबी और अंग्रेजी पढ़े."
एनआर/एके (रॉयटर्स)