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गरीबी ने बदली कैटी पेरी की पोशाक

८ अप्रैल २०१२

गरीबी की वजह से एक बच्ची अपने पिता के साथ पुराने कपड़े खरीदने जाती थी. वह चाहती थी कि स्कूल में बाकी बच्चे उसकी तरफ भी देखें. अब वह बच्ची बड़ी हो चुकी है. दुनिया उसे सलाम करती है. यह कहानी पॉप स्टार कैटी पेरी की है.

तस्वीर: dapd

हालांकि पॉप स्टार बनने के बाद भी काफी समय तक कई लोगों ने कैटी के कपड़े पहनने के तरीके की खूब खिल्ली उड़ाई. आलोचक कहते रहे कि उन्हें अच्छे ढंग से कपड़े पहनना नहीं आता. जाहिर है ऐसे आलोचकों के लिए कैटी पेरी सिर्फ एक पॉप स्टार, खूबसूरत नौजवान लड़की और एक मशहूर हस्ती हैं. उन्हें नहीं पता कि कैटी पेरी का बचपन किन अभावों में गुजरा है. इंटरनेट या संचार के अन्य माध्यमों से आलोचनाओं का लंबा दौर झेलने के बाद अब कैटी ने खुद बताया है कि वह ऐसे कपड़े क्यों पहनती हैं.

कैटी के मुताबिक उनके पिता के पास उनके लिए नए कपड़े खरीदने लायक पैसे नहीं होते थे. पिता कैटी को खींचकर गैरेज सेल में ले जाया करते थे. जहां वह लोगों के इस्तेमाल किए हुए पुराने कपड़े खरीदती थीं. एक पत्रिका से बातचीत में कैटी ने कहा, "जब मैं नौ साल की थी तो मेरे पिता हर शनिवार को मुझे सुबह सात बजे उठा देते थे. वह मुझे गैरेज सेल्स में ले जाते थे. हमारी माली हालत ऐसी नहीं थी कि मैं स्कूल में अन्य बच्चों जैसे कपड़े पहन सकूं. लिहाजा मैं ऐसे कपड़े लेती थी जिनकी वजह से मैं सबसे अलग दिखूं."

मार्ट 2012 में केटी पेरी बर्लिन मेंतस्वीर: Reuters

उनके इस अनुभव में एक बच्ची का दर्द छुपा है. इसी दर्द के साथ कैटी ने अजीब फैशन के कपड़े पहनने शुरू किए, ताकि किसी भी तरह लोगों का ध्यान उन पर भी जाए. धीरे धीरे यह उनकी आदत में शुमार हो गया. अब भी जमाने से हट कर अलग किस्म की पोशाकों में नजर आती हैं. कई बार वह 1950 के दशक के कपड़े पहन लेती हैं.

आलोचक भले ही मजाक उड़ाएं लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. उल्टा वह कहती हैं, "मैंने लोगों की बातों पर ध्यान देना बंद कर दिया है. अगर आप हर किसी के लिए सब कुछ करने की कोशिश करेंगे तो आप हमेशा दुविधा में रहेंगे. मैं फैशन को बहुत गंभीरता से नहीं लेती."

स्कूल में कैथरीन एलिजाबेथ हडसन के नाम से जानी जाने वाली कैटी पैरी से अब कई बड़े ब्रैंड्स करार करना चाहते हैं. वह 27 साल की पॉप स्टार की पसंद के हिसाब से कपड़े बना रहे हैं. यानी उन पर हंसने वाले अब उनके इशारों पर नए कपड़े बना रहे हैं.

रिपोर्ट: ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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