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समाज

गर्भपात से जुड़े कानून की चीर फाड़

३१ अगस्त २०१८

जर्मनी में दो महिला डॉक्टर मुकदमा झेल रही हैं. उन्होंने गर्भपात का विज्ञापन दिया. बचाव पक्ष के मुताबिक कार्रवाई डॉक्टरों पर नहीं बल्कि असंवैधानिक "कानून" पर होनी चाहिए.

Weibliche Genitalverstümmelung in Deutschland - Untersuchungsstuhl
तस्वीर: picture alliance/dpa/W. Kastl

गाइनोकोलोजिस्ट नताशा निकलाउस और नोरा स्तात्स पर जर्मनी के कासल शहर में उन पर मुकदमा शुरू हो गया है. दोनों डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी वेबसाइट पर गर्भपात का विज्ञापन दिया. विज्ञापन में गर्भपात के लिए जरूरी सर्जरी का जिक्र किया गया था. साथ ही दवाओं से होने वाले गर्भपात का भी जानकारी दी गई थी.

जर्मन क्रिमिनल कोड के पैराग्राफ 219ए के तहत, सार्वजनिक रूप से गर्भपात कराने का "प्रस्ताव या विज्ञापन" देने वाले को दो साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है. कानून में इस बात पर जोर दिया गया है कि "वित्तीय मुनाफे" के लिए ऐसा करने वालों के खिलाफ खासतौर पर कार्रवाई की जाए.

सुनवाई के पहले दिन डॉक्टरों ने कोर्ट से कहा कि उन्होंने अपनी सर्विसेज की जानकारी वेबसाइट पर दी. दोनों महिला डॉक्टरों के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को विकल्पों के बारे में जानकारी देने के इरादे से ऐसा किया गया. डॉ. स्तात्स  ने कोर्ट से कहा, "हम गर्भपात करवाते हैं और इस तथ्य को छुपाने में कोई हर्ज नहीं है." उन्होंने कहा कि जो महिलाएं बगैर इच्छा के गर्भ धारण कर लेती हैं और इमरजेंसी की स्थिति में आ जाती हैं, उन्हें ऐसी जानकारी जल्द मिलनी चाहिए.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Pförtner

असंवैधानिक है कानून

डॉक्टरों का बचाव कर रहे वकील क्नूथ फाइफेर ने अदालत से दरख्वास्त करते हुए कहा कि उनके मुवक्किलों से सारी धाराएं हटाई जाएं. उन्होंने 219ए को ही गैरकानूनी करार दिया. फाइफेर के मुताबिक यह कानून, सूचना की स्वतंत्रता, राय जाहिर करने की आजादी और खुद संकल्प के अधिकार का उल्लंघन करता है.

वित्तीय मुनाफे के दावे को खारिज करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि साल में 10-15 गर्भपात कराने पर पैसा भी कम मिलता है. अगर इतनी ही गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाए तो ज्यादा पैसा मिलता.

जर्मनी में तकनीकी रूप से गर्भपात कानून के विरुद्ध है, लेकिन कुछ अपवाद हैं. मेडिकल इमरजेंसी, बलात्कार या फिर 12 हफ्ते से कम के गर्भधारण में गर्भपात कराने पर कोई कार्रवाई नहीं होती.

लेकिन इसके बावजूद सार्वजनिक रूप से कहा जाता है कि जो क्लीनिक में गर्भपात कराना गैरकानूनी है. इस कानून के चलते डॉक्टर भी गर्भवती महिलाओं को ऐसी जानकारी नहीं देते हैं. मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में ही आमने सामने की जाने वाली बातचीत के दौरान गर्भपात के विषय में बताया जाता है.

डॉक्टरों के पक्ष में प्रदर्शन

कोर्ट के भीतर जहां मामले की पहली सुनवाई हो रही थी, वहीं बाहर डॉक्टरों के समर्थन में प्रदर्शन हो रहा था. करीब 200 से 300 लोग जमा हुए. उनके बैनरों में "आरोपी गाइनोकोलोजिस्ट के साथ एकजुटता" लिखा हुआ था.

ग्रीन पार्टी की महिला नीति की प्रवक्ता उले शावुस ने केस को "पूरी तरह बेतुका" बताया है. उन्होंने सरकार में शामिल पार्टी एसपीडी से इस मुद्दे को संसद में पेश करने की अपील की. जर्मनी में "गर्भपात के विज्ञापन" से जुड़े कानून को बदलने के लिए राजनीतिक आंदोलन तेज होने लगा है. अब तक डेढ़ लाख लोग इसके पक्ष में एक याचिका पर दस्तखत कर चुके हैं. ग्रीन पार्टी, बिजनेस फ्रेंडली एफडीपी और लेफ्ट पार्टी इस कानून को खत्म करने से जुड़ी कार्यवाही शुरू करने जा रही हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू और उसकी सिस्टर पार्टी सीएसयू कानून को नर्म करने के खिलाफ हैं.

रेबेका स्टाउडेनमायर/ओएसजे

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