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गहलोत सरकार को बचाने की कोशिशें तेज

१५ जुलाई २०२०

सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद से पार्टी द्वारा हटाए जाने के बाद, राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा उन्हें विधान सभा से अयोग्य घोषित करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है.

Ashok Gehlot Jaipur   Rajasthan
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/V. Bhatnagar

सचिन पायलट के अलावा यह नोटिस 18 और विधायकों के नाम जारी किया गया है. उन्हें जवाब देने के लिए 17 जुलाई तक का समय दिया गया है. माना जा रहा है कि यह कदम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को बचाने के लिए उठाया गया है. विधान सभा अध्यक्ष से नोटिस जारी करने की अपील विधान सभा में कांग्रेस नेता और विधान सभा के चीफ व्हिप महेश जोशी ने की थी.

अगर सभी 18 विधायक अयोग्य घोषित हो जाते हैं तो विधान सभा का संख्या-बल 182 हो जाएगा और उसके बाद अगर गहलोत को विश्वास-मत का सामना करना पड़ा तो उन्हें बस 92 विधायकों का समर्थन दिखाना होगा. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में गहलोत पहले ही 102 विधायकों का समर्थन दिखा चुके हैं. ऐसे में गहलोत अपनी सरकार बचाने में  और सचिन पायलट के विद्रोह को बेअसर दिखाने में पूरी तरह से सफल हो जाएंगे.

यही कारण है कि पायलट और उनके खेमे के विधायकों के प्रति अपना रुख कड़ा कर लेने के बावजूद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से नहीं निकाला. पार्टी से निकाले जाने पर सभी विधायक विधान सभा में एक अलग धड़ा बनाने के योग्य हो जाते और विश्वास मत के समय सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर देते.

बीजेपी के विधायक और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया फ्लोर टेस्ट यानी विधान सभा में सरकार के विश्वास-मत साबित करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अध्यक्ष ने अभी मांग को स्वीकार नहीं किया है. प्रतिपक्ष के उप-नेता राजेंद्र राठौड़ ने ट्विट्टर पर सचिन पायलट को हौसला बनाए रखने का संदेश भी दिया लेकिन पायलट ने उन्हें जवाब नहीं दिया.

बल्कि पायलट ने एक निजी टीवी चैनल को एक बार फिर कहा कि वो बीजेपी में नहीं जा रहे हैं. सबकी निगाहें अब पायलट के अगले कदम की तरफ ही हैं. बीजेपी में शामिल हो जाने के अलावा उनके पास सीमित विकल्प ही हैं. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अभी भी उन्हें मनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन विधान सभा से अयोग्य घोषित हो जाने के बाद कांग्रेस के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाएंगे.

कुछ लोगों का मानना है कि पायलट अपनी ही नई पार्टी भी बना सकते हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि पायलट के पास उतना जनाधार नहीं है. वो लोकप्रिय नेता तो हैं लेकिन राजस्थान की जातीय समीकरणों पर आधारित राजनीति में जिस गुज्जर समाज का वो प्रतिनिधित्व करते हैं, उसके अकेले की संख्या इतनी नहीं है कि उनके दम पर राज्य की राजनीति में कोई बड़ी हलचल पैदा कर सके.

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