सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद से पार्टी द्वारा हटाए जाने के बाद, राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा उन्हें विधान सभा से अयोग्य घोषित करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है.
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सचिन पायलट के अलावा यह नोटिस 18 और विधायकों के नाम जारी किया गया है. उन्हें जवाब देने के लिए 17 जुलाई तक का समय दिया गया है. माना जा रहा है कि यह कदम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को बचाने के लिए उठाया गया है. विधान सभा अध्यक्ष से नोटिस जारी करने की अपील विधान सभा में कांग्रेस नेता और विधान सभा के चीफ व्हिप महेश जोशी ने की थी.
अगर सभी 18 विधायक अयोग्य घोषित हो जाते हैं तो विधान सभा का संख्या-बल 182 हो जाएगा और उसके बाद अगर गहलोत को विश्वास-मत का सामना करना पड़ा तो उन्हें बस 92 विधायकों का समर्थन दिखाना होगा. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में गहलोत पहले ही 102 विधायकों का समर्थन दिखा चुके हैं. ऐसे में गहलोत अपनी सरकार बचाने में और सचिन पायलट के विद्रोह को बेअसर दिखाने में पूरी तरह से सफल हो जाएंगे.
यही कारण है कि पायलट और उनके खेमे के विधायकों के प्रति अपना रुख कड़ा कर लेने के बावजूद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से नहीं निकाला. पार्टी से निकाले जाने पर सभी विधायक विधान सभा में एक अलग धड़ा बनाने के योग्य हो जाते और विश्वास मत के समय सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर देते.
बीजेपी के विधायक और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया फ्लोर टेस्ट यानी विधान सभा में सरकार के विश्वास-मत साबित करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अध्यक्ष ने अभी मांग को स्वीकार नहीं किया है. प्रतिपक्ष के उप-नेता राजेंद्र राठौड़ ने ट्विट्टर पर सचिन पायलट को हौसला बनाए रखने का संदेश भी दिया लेकिन पायलट ने उन्हें जवाब नहीं दिया.
बल्कि पायलट ने एक निजी टीवी चैनल को एक बार फिर कहा कि वो बीजेपी में नहीं जा रहे हैं. सबकी निगाहें अब पायलट के अगले कदम की तरफ ही हैं. बीजेपी में शामिल हो जाने के अलावा उनके पास सीमित विकल्प ही हैं. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अभी भी उन्हें मनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन विधान सभा से अयोग्य घोषित हो जाने के बाद कांग्रेस के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाएंगे.
कुछ लोगों का मानना है कि पायलट अपनी ही नई पार्टी भी बना सकते हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि पायलट के पास उतना जनाधार नहीं है. वो लोकप्रिय नेता तो हैं लेकिन राजस्थान की जातीय समीकरणों पर आधारित राजनीति में जिस गुज्जर समाज का वो प्रतिनिधित्व करते हैं, उसके अकेले की संख्या इतनी नहीं है कि उनके दम पर राज्य की राजनीति में कोई बड़ी हलचल पैदा कर सके.
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
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त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
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मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
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उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
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बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
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गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
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हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
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हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
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गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
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असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
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अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
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मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
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सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
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मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
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2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.