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गांजा पिएं पर नशा न हो

४ जनवरी २०१४

पहले नीदरलैंड्स, फिर उरुग्वे और अमेरिका, कई देश गांजे की खरीद को कानूनी बना रहे हैं. डॉक्टर भी मानते हैं कि कुछ दिमागी बीमारियों में इससे फायदा मिलता है. तो अगर गांजे से नशा ना चढ़े तो यह काम की चीज हो सकती है.

ज्यादा गांजा पीने से बिगड़ सकता है दिमागी संतुलनतस्वीर: Robyn Beck/AFP/Getty Images

मारिजुआना, हशीश, कैनाबिस या गांजा, किसी भी नाम से पुकारें, नशा करने वाले इसके लिए बड़ा दाम देते भी नहीं कतराते. बहुत ज्यादा मात्रा में इसे लेने से दिमाग का संतुलन बिगड़ सकता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने दिमाग में ही इसका तोड़ ढूंढ लिया है.

दरअसल इंसानी दिमाग में प्राकृतिक रूप से एक हार्मोन मिलता है जिसका नाम है प्रेग्निनोलोन. नई रिसर्च की मानें तो यही हार्मोन हमें गांजे की लत से बचा सकता है. फ्रांस में चूहों पर हुए टेस्ट में देखा गया कि इस हार्मोन के कारण गांजे की मदहोशी नहीं छाई. इसी खूबी की वजह से वैज्ञानिकों को लगता है कि यह हार्मोन गांजे की लत से बचाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है.

यह गांजे में पाए जाने वाले साइकोएक्टिव घटक (टीएचसी) के असर को कम कर देता है जिसकी वजह से मदहोशी होती है. इसी के चलते वैज्ञानिकों को लगता है कि अगर हार्मोन को स्टीरॉइड के रूप में दिया जा सके तो गांजे का दवा के रूप में इस्तेमाल मुमकिन हो पाएगा.

दिमाग का एक हार्मोन बचा सकता है लत सेतस्वीर: Wellcome Library, London

फायदा या नुकसान

इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाले फ्रांस के फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च के पेयर विंचेंसो पिआजा बताते हैं, "शोधकर्ता मदहोशी खत्म करने का जरिया नहीं ढूंढना चाहते थे. अब मारिजुआना के शरीर और स्वभाव पर पड़ने वाले बुरे असर को रोका जा सकेगा और उसके दवा जैसे गुणों का इस्तेमाल भी हो सकेगा." विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया की करीब 2.5 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में गांजे का इस्तेमाल करती है.

पेयर बताते हैं कि जब शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में चूहों के अलावा मानव कोशिकाओं पर भी मारिजुआना का परीक्षण किया तो नतीजे एक जैसे ही मिले. इसे देखते हुए शोधकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि वे साल या डेढ़ साल में इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर देंगे. अगर प्रेग्निनोलोन के असर की पुष्टि हो पाती है तो यह "चिकित्सा के क्षेत्र में गांजे की लत से बचाने की पहली विधि" होगी.

एक ओर तो गांजे का इस्तेमाल करने वाले लोग इसके कई फायदों की वकालत करते हैं, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि लगातार गांजा पीने से इंसान को अवसाद या डिप्रेशन, फेफड़ों की बीमारी या फिर दौरे भी पड़ सकते हैं. बहुत से मामलों में पाया गया है कि गांजे के लगातार इस्तेमाल से याददाश्त कमजोर हो जाती है, तार्किक समझ और फैसले लेने में मुश्किल हो सकती है.

अमेरिका में बड़ा बाजार

इस साल के पहले ही दिन अमेरिका के कोलोराडो प्रांत में मारिजुआना बेचने की पहली दुकान खोली गई. इस तरह कोलोराडो अमेरिका का पहला प्रांत बन गया जिसने देश में गांजे को कानूनी रूप से बेचने की मांग पर पहला कदम उठाया. इस शुरूआत को देखते हुए बाकी कई प्रांत भी गांजे को कानूनी रूप से उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं और इसी साल वॉशिंगटन भी इस श्रेणी में शामिल हो सकता है. लेकिन इस तरह गांजे की दुकान खोलने के बावजूद केंद्रीय कानून के अंतर्गत मारिजुआना अब भी एक गैरकानूनी नशे की चीज है.

साल के पहले दिन कोलोराडो में खुली मारिजुआना की दुकानतस्वीर: picture-alliance/AP

इस बात का भी डर जताया जा रहा है कि कहीं इतनी आसानी से गांजा उपलब्ध कराने से नशेड़ी लोगों की लत और इसकी वजह से अपराध और ना बढ़ जाएं. इस समय दुनिया के करीब 20 देशों में कानूनी रूप से गांजा बेचा जा रहा है. डर यह भी है कि कहीं मारिजुआना बेचने वाले मिलकर इतना संगठित कारोबार न जमा लें कि सिगरेट और तंबाकू के बाद सरकार को इससे होने वाली बीमारियों से भी निपटने में संघर्ष करना पड़े.

रिपोर्ट: ऋतिका राय (एएफपी)

संपादन: ईशा भाटिया

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