गाता रहे मेरा दिल: लता मंगेशकर
२८ सितम्बर २००९अपनी 80वीं सालगिरह के मौक़े पर लता मंगेशकर अपने पहले गाने को याद करती हैं. महल फिल्म के लिए 'आएगा आने वाला' गाना गाकर अपनी पहचान बनाने वाली लता दीदी कहती हैं कि आज के दौर में मीठे और अर्थ वाले गाने कम सुनाई पड़ते हैं. छह दशकों से भारतीय सुरों की पहचान बनी लता मंगेशकर कहती हैं, ''अब मैं 80 साल की हो चुकी हूं, मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा है. मैं अपनी ज़िंदगी और करियर से पूरी तरह संतुष्ट हूं. मैं अपनी ज़िंदगी के बाकी साल भी गाते हुए गुजारना चाहती हूं.''
कभी 'ऐ मेरे वतन के लोगो' जैसा गाना गाकर पूरे देश की आंखें नम कर देने वाली लता मंगेशकर इस दौर में भी 'लुक्का छिप्पी बहुत हुई..सामने आ जा राम' जैसे गानों से झकझोर भी देती हैं और मुग्ध भी कर देती हैं. भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के साथ उम्रदराज हुई लता कहती हैं, ''मैं हर तरह के गाने गा सकती हूं लेकिन मुझे मीठे प्यार भरे गीत पसंद हैं.''
उम्र के इस पड़ाव पर ऐसा नहीं है कि उनके सुर भारी पड़े हैं. हाल ही में उन्होंने मधुर भंडाकर की फिल्म जेल के लिए 'दाता सुन, मौला सुन' नाम का एक गीत गाया है. ये गीत जल्द ही लोगों को सुनाई देगा. साल 2001 में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से नवाज़ी गईं लता मंगेशकर अपने गाए गीतों को याद करते हुए कहती हैं कि 'कहीं दीप जले, कहीं दिल' और 'अनजान है कोई' जैसे गाने आज भी उनके दिल के क़रीब हैं.
यह उनकी आवाज़ का जादू है कि वह भारत के अलावा पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और रूस में भी ख़ासी मशहूर हैं. भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में दीदी के नाम से मशहूर लता मंगेशकर ही ऐसी गायिक हैं जो अंग्रेजी, रूसी, फ़िजीयन और डच जैसी विदेशी भाषाओं समेत 36 ज़ुबानों में गीत गा सकती हैं. गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे ज़्यादा गीत गाने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है.
बहरहाल जन्मदिन की बधाइयों के बीच लता मंगेशकर कहती हैं कि आज रियल्टी शो के ज़रिए गायकों के सामने आने का फैशन उन्हें पंसद नहीं है. उनके मुताबिक़ प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए उनकी गायकी पर ध्यान देने की ज़रूरत है, न कि उनके पहनावे और डांस पर.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह्
संपादन: ए कुमार