गुजरात के गिर के जंगलों से पिछले तीन हफ्ते में 21 शेरों की मौत हो गई है. डर है कि किसी खास वायरस ने इन्हें अपना शिकार बनाया है लेकिन अब तक मौत के कारणों के बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता.
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इतनी बड़ी संख्या में शेरों की मौत ने अधिकारियों में खलबली मचा दी है, 500 से ज्यादा कर्मचारियों को इस अभयारण्य के बचे हुए शेरों की छानबीन करने में लगाया गया है. वन के मुख्य संरक्षक दुष्यंत वासवाडा ने बताया है कि आपसी लड़ाई और संक्रमण के कारण शेरों की मौत हुई है. समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में दुष्यंत वासवाडा ने कहा, "बीते हफ्ते आठ शेरों की मौत हुई, जिनमें चार की मौत वायरल इंफेक्शन के कारण हुई जबकि चार दूसरे शेर प्रोटोजोआ इंफ्केशन के कारण मरे." इससे पहले के सप्ताह में अधिकारियों ने 13 शेरों के मौत की जानकारी दी थी.
स्थानीय मीडिया में ऐसी खबरें थी कि इन शेरों की मौत केनाइन डिस्टेंम्पर वायरस के कारण हुई है. यह वायरस कुत्तों से दूसरे जंगली जीवों में जाता है और घातक है. हालांकि वन अधिकारी इससे साफ इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि सीडीवी की मौजूदगी की पुष्टि होने की बात गलत है. सीडीवी ने 1994 में तंजानिया के सेरेन्गेटी अभयारण्य के करीब 1000 शेरों की जान ले ली थी. वासवाडा का कहना है, "अब तक पुष्टि नहीं हुई है, जांच जारी है. हमें उम्मीद है कि यह सीडीवी नहीं है. हम बचाव के लिए सभी उपाय अपना रहे हैं और बहुत सारे वैक्सीन आयात किए गए हैं." उनका यह भी कहना है कि सर्वे में पता चला है कि शेरों की मौत एक खास इलाके में ही हुई है.
जान बचाने के लिए भागते बब्बर शेर
कभी उनकी दहाड़ भारत से लेकर पूरे अफ्रीका में गूंजती थी. लेकिन आज शेर कुछ ही इलाकों तक सिमट गए हैं. ऐसा क्यों हुआ?
मैदानी इलाके में रहने वाले शेर आहार चक्र में शीर्ष पर रहते हैं. बिल्ली प्रजाति के बाकी जीवों के उलट शेर आम तौर पर बहुत ही परिवार प्रेमी होती हैं. मादाएं हमेशा एक साथ एक झुंड में रहती हैं. नरों को झुंड से अलग कर दिया जाता है. झुंड से निकाले गए नर भाई आम तौर पर साथ रहते हैं.
शेरों के हर झुंड को शिकार करने के लिए एक बड़े इलाके की जरूरत पड़ती है. इलाका जितना बड़ा होगा, शेर उतने ही सुरक्षित रहेंगे. अफ्रीका में कभी शेर अल्जीरिया से लेसोथो तक फैले थे. आज वे सिर्फ सब सहारा अफ्रीका में पाए जाते हैं. 12 देशों से वह गायब हो चुके हैं. सिमटते इलाके के चलते झुंडों में आपस में टकराव होता है और कई शेर आपसी लड़ाई में ही मारे जाते हैं.
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शेर खत्म हुए तो उजड़ जाएगा सिस्टम
बीते 21 साल में शेरों की संख्या 43 फीसदी कम हुई है. अब इन्हें खतरे का सामना कर रही प्रजातियों की सूची में डाल दिया गया है. वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया भर में अब करीब 20,000 शेर बचे हैं. शेरों की घटती संख्या से घास के मैदानों का इकोसिस्टम बिगड़ रहा है.
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प्रजनन और शिकार में मुश्किल
अफ्रीकी महाद्वीप की आबादी इस वक्त करीब 1.2 अरब है. जनसंख्या बढ़ती जा रही है और वन्य जीवों के इलाके सिकुड़ते जा रहे हैं. WWF के मुताबिक पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में अब शेरों के पास सिर्फ आठ फीसदी इलाका है. सड़कों और शहरों के विस्तार के चलते शेर प्रजनन या शिकार के लिए दूसरे इलाकों में भी कम ही जा पा रहे हैं.
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इंसान के साथ बढ़ता टकराव
इंसानी बस्तियों के विस्तार के साथ साथ शेरों और इंसानों का टकराव भी बढ़ा है. शेर मवेशियों को निशाना बनाते हैं. मवेशियों को बचाने के लिए किसान कई बार शेरों पर बंदूक चला देते हैं. मवेशियों की वजह से शेरों में कई बीमारियां भी फैल रही हैं.
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बंदूक के सहारे मर्दानगी
शेर को कई संस्कृतियों में ताकत, वीरता और पौरुष का प्रतीक माना जाता है. शिकारी इन बड़ी बिल्लियों को मारकर अपनी बहादुरी साबित करने कोशिश करते हैं. कुछ जगहों पर पारंपरिक दवाओं में शेर की हड्डियों, पूंछ, दांत और मांस का इस्तेमाल होता है. इसके चलते भी शेर मुश्किल में हैं.
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नन्ही सी आशा
इस बीच दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और भारत जैसे देशों में शेरों की संख्या बढ़ी है. वन्य जीव संरक्षण की कारगर कोशिशों के चलते अच्छे नतीजे मिले हैं. लेकिन शेरों की बढ़ी आबादी के लिए नए इलाके भी खोजने होंगे. ऐसी चुनौतियों के लिए दीर्घकालीन टिकाऊ कदमों की जरूरत है. (रिपोर्ट: जेनिफर कॉलिंस/ओएसजे)
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हालांकि समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में गुजरात के पर्यावरण मंत्री गनपत वसावा ने कहा है कि भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने केनाइन डिस्टेम्पर वायरस को चार शेरों की मौत के लिए जिम्मेदार बताया है. पांच शेरों की अभी भी जांच चल रही है जबकि 31 दूसरे शेरों को एनिमल केयर सेंटर ले जाया गया है और उन्हें अलग रखा जा रहा है. हालांकि इन शेरों में बीमारी के कोई लक्षण अभी नजर नहीं आए हैं.
गिर वन को एशियाई शेरों को लुप्त होने से बचाने के लिए स्थापित किया गया था. इस अभयारण्य के अस्तित्व में आने के बाद शेरों की आबादी तेजी से बढ़ी. 1913 में यह संख्या घट कर महज 13 पर पहुंच गई थी लेकिन 2015 की गणना के दौरान करीब 523 शेरों के होने की बात कही गई. पूरे भारत के शेर गिर के वन में ही रहते हैं यह करीब 1400 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैला है.