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गिलानी की हड़ताल से घाटी में जनजीवन प्रभावित

११ जून २०११

हुर्रियत कान्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी की बुलाई हड़ताल पर शनिवार को जम्मू कश्मीर में जनजीवन प्रभावित रहा. यह हड़ताल पिछले तीन साल में गर्मियों के दौरान मारे गए लोगों की याद में बुलाई गई.

A view of movement of people as life returned to normal at historic Lal chowk, the main business hub of Srinagar during curfew relaxation from 0800hrs till further orders on Wednesday. Ein paar Momente normalen Alltagslebens in Srinagar, der Haupstadt des indischen Bundesstaates Jammu und Kaschmir , nachdem die Ausgangssperre aufgehoben wurde, 29.9.2010 Srinagar, Kaschmir, Alltag
तस्वीर: UNI

अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर में हड़ताल के कारण व्यापारिक प्रतिष्ठान, पेट्रोल पंप, बैंक और निजी स्कूल बंद रहे. सार्वजनिक परिवहन भी बाधित रहा. लेकिन घाटी के दूसरे इलाकों में हड़ताल का कम असर दिखा जिनमें गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग शामिल हैं. इन जगहों पर आजकल हजारों सैलानी आए हुए हैं.

तस्वीर: AP

अधिकारियों ने बताया कि ओल्ड श्रीनगर के इलाकों में किसी तरह की पाबंदियां नहीं लगाई गईं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "लोगों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है. हमने कानून व्यवस्था से जुड़ी किसी भी आशंका से निपटने के लिए सामान्य तौर पर सुरक्षा बलों को तैनात किया है."

गिलानी ने यह हड़ताल पिछले तीन साल के दौरान गर्मियों में होने वाली अशांति में मारे गए लोगों की याद में बुलाई जिनमें 2008 का अनंतनाग आंदोलन भी शामिल है. इसके अलावा 11 जून 2010 को 17 साल का युवक तुफैल मट्टू राजौरी कादल में पुलिस की कार्रवाई में मारा गया. इसके बाद चार महीनों तक चले आंदोलन के दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 100 से ज्यादा लोग मारे गए.

गिलानी को गुरुवार से एहतियात के तौर पर घर में नजरबंद रखा गया है. वह शहर के बीचोंबीच ईदहाग इलाके में रैली करने की योजना बना रहे थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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