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गिलानी पर चलेगा अवमानना का केस

२ फ़रवरी २०१२

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी पर राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला शुरू न करने पर अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाएगा. उन्हें13 फरवरी को तलब किया गया है, जब उनके खिलाफ अभियोग पत्र दाखिल होगा.

तस्वीर: AP

गिलानी के वकील एहतेजाज अहसन ने पत्रकारों को बताया, "अदालत ने प्रधानमंत्री गिलानी के खिलाफ अभियोग पत्र दाखिल करने का फैसला किया है. उन्हें 13 फरवरी को अदालत में निजी तौर पर हाजिर रहने को कहा गया है. उस दिन उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाएंगे."

गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यों वाली बेंच ने फैसला सुनाया, " आरंभिक सुनवाई के बाद हम संतुष्ट हैं कि पहली नजर में मामले को आगे चलाने के लिए पर्याप्त आधार है." दोषी पाए जाने पर प्रधानमंत्री गिलानी को छह महीने जेल की सजा हो सकती है या उन्हें पद के अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

इससे पहले गिलानी के वकील ने कोशिश की कि उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल न किए जाएं. लेकिन सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वह मामले की सुनवाई 13 फरवरी को शुरू करेगा. गिलानी के वकील ने कहा है कि अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है.

तस्वीर: Reuters

जरदारी बने जी का जंजाल

अदालत ने दो साल पहले सरकार से कहा था कि वह स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ 1990 के दशक के भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए लिखे. सरकार ने यह कह कर मना कर दिया कि राष्ट्रपति को विशेषाधिकार प्राप्त है. गिलानी के खिलाफ कार्रवाई 2007 में उस वक्त के मुशर्रफ सरकार के एक क्षमादान घोषणा के बाद रोक दी गई थी. इस घोषणा को देश की सर्वोच्च अदालत ने 2009 में निरस्त कर दिया था.

यह दूसरा मौका है जब पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने पद पर रहते हुए किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की हो. लेकिन यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री अपना बचाव कर रहे हैं. उन्होंने 19 जनवरी को कोर्ट में जाकर अपना बचाव किया था. इसके पहले नवाज शरीफ ने माफी मांग कर मामले को निबटा लिया था.

संकट में सरकार

गिलानी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का कार्रवाई ऐसे समय में हो रही है जब कमजोर सरकार गहरे संकट में है और इसकी वजह से पाकिस्तान में मध्यावधि चुनाव की नौबत आ सकती है. जज नसीर उल मुल्क मे अदालत से कहा कि गिलानी के खिलाफ कार्रवाई करने का आधार मौजूद है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

गुरुवार को जज मुल्क की घोषणा सरकार के लिए सदमे की तरह रही, जहां राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ मेमोगेट कांड में अलग जांच चल रही है. पिछले साल अमेरिकी टुकड़ियों द्वारा अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद राष्ट्रपति के निकट सहयोगी ने सेना के तख्तापलट की आशंका से अमेरिका से मदद मांगने के लिए एक मेमो दिया था.

राष्ट्रपति जरदारी आम लोगों के बीच भी बहुत लोकप्रिय नहीं हैं. भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्हें मिस्टर 10 परसेंट कहा जाता है और उन्होंने भ्रष्टाचार और हत्या के आरोपों के चलते 11 साल जेल में काटे हैं. हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें कभी दोषी नहीं ठहराया गया है.

जरदारी और उनकी पत्नी पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर रिश्वत में मिले 1.2 करोड़ यूरो के स्विस बैंकों में रखने का आरोप है. पहले स्विस अधिकारी इसकी जांच कर रहे थे, लेकिन उन्होंने जांच रोक दी है. एक स्विस जांच अधिकारी का कहना है कि जरदारी के खिलाफ मामले को फिर से खोलना असंभव होगा क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति होने की वजह से विशेषाधिकार का लाभ मिला हुआ है.

रिपोर्ट: एपी, एएफपी, रॉयटर्स/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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