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गुजरात और बिहार में शानदार विकासः अमेरिकी संसद

१४ सितम्बर २०११

पश्चिमी भारत के गुजरात को प्रभावशाली सरकार और शानदार विकास का नमूना बताते हुए अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जम कर तारीफ की गई है. इस कतार में गुजरात के बाद बिहार का नंबर.

तस्वीर: AP

भारत के बारे में अमेरिकी संसद की एक और ताजा रिपोर्ट पेश की गई है. सीआरएस की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत में शायद प्रभावशाली शासन का सबसे अच्छा उदाहरण गुजरात में मिला है जहां विवादास्पद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक प्रक्रिया को कारगर बनाया है, लाल फीता शाही खत्म कर दी गई है और भ्रष्टाचार पर इस तरह से रोक लगाई गई है कि राज्य देश के आर्थिक विकास की धुरी बन गया है."

ये रिपोर्ट संसदीय शोध सेवा यानी सीआरएस की तरफ से तैयार की जाती है.  यह अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र संस्था है जिसमें दोनों पार्टियों के सांसद हैं. अमेरिकी सांसदों की दिलचस्पी वाले मुद्दों पर हर साल ये रिपोर्ट तैयार की जाती है.

तस्वीर: UNI

94 पन्नों की इस रिपोर्ट को सीआरएस अमेरिकी सांसदों के लिए एक सितंबर को जारी किया गया इसकी एक कॉपी फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स ने सार्वजनिक किया है. सीआरएस के मुताबिक, "2002 के दंगों में उनकी भूमिका पर लगे आरोपों से मुक्त होने की कोशिश में मोदी ने आधुनिक सड़कों और ऊर्जा के क्षेत्र में भारी निवेश किया है. हाल के वर्षों में यहां सालाना विकास दर 11 फीसदी रही है."

सीआरएस ने ये भी कहा है कि गुजरात ने जनरल मोटर्स और मित्सुबिशी जैसे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को अपने यहां आकर्षित करने में कामयाबी पाई है. इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि महज भारत की महज पांच फीसदी आबादी वाले राज्य से देश के निर्यात में कुल 20 फीसदी की हिस्सेदारी निभाई जा रही है. सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में गुजरात के बाद बिहार को शासन के लिहाज से अच्छा राज्य बताया है.

मोदी की पौ बारह

अमेरिकी संसद की ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में मोदी के खिलाफ मुकदमा चलाने से इनकार करने के एक ही दिन बाद आई है. निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी इस रिपोर्ट को देख कर खुश होंगे कि जिस अमेरिका ने कभी उनको अपने यहां आने का वीजा देने से इनकार कर दिया थी उसी की संसद की रिपोर्ट उनकी तारीफ कर रही है. बीजेपी में नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में लाने पर बहस छिड़ी है. हालांकि कांग्रेस को पूरा यकीन है कि आपसी खींचतान में घिरी बीजेपी मोदी को केंद्र की राजनीति में लाने का जोखिम नहीं उठाएगी. मोदी के माथे पर लगा गुजरात के दंगो का दाग बीजेपी पर भारी पड़ सकता है.

गुजरात के बाद बिहार

तस्वीर: picture alliance/landov

इस रिपोर्ट में बिहार के बारे में कहा गया है, "2011 में दूसरा सकारात्मक उदाहरण बिहार से मिला है. भारत के गरीब राज्यों में से एक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत राजनीति से ऊपर उठ कर बढ़िया शासन पर जोर दिया है और इसके आधार पर सफलता हासिल कर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है. राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार और बुनियादी ढांचे के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में विकास कर सीधे आम आदमी को फायदा पहुंचाया गया है." रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी के साथ मिल कर नवंबर 2010 के चुनावों में शानदार सफलता पाई है.

उत्तर प्रदेश के लिए प्रेरणा

गुजरात और बिहार की तारीफ करने के साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने शायद भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय नेता को भी प्रेरणा दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, "मुख्यमंत्री मायावती जिन्हें राष्ट्रीय राजनीतिक महात्वाकांक्षाओं के लिए जाना जाता है और जो 2009 के चुनाव में तीसरे मोर्चे की धुरी रही हैं, उन्होंने अपना ध्यान बुनियादी ढांचे के सुधार में लगाया है. सड़क बनाने और राज्य के बदहाल ऊर्जा तंत्र में सुधार के लिए काफी कोशिशें की जा रही है."

सीआएस की इस रिपोर्ट में दक्षिण भारत के तेलंगाना आंदोलन का भी जिक्र है इसके साथ ही पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की नई सरकार के बारे में भी चर्चा की गई है. कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की नई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक राज्य की दशा दिशा सुधारने में जुटी हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम

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