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गुजरात, कांग्रेस और गांधी

समीरात्मज मिश्र
१२ मार्च २०१९

करीब छह दशक बाद कांग्रेस कार्यसमिति यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक गुजरात में हो रही है. अहमदाबाद में हो रही इस बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह के साथ प्रियंका गांधी भी हिस्सा ले रही हैं.

Indien Gandhi Ashram in Ahmedabad | Rahul Gandhi & Sonia Gandhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky

इस बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति और राज्यों में अन्य दलों के साथ गठबंधन को लेकर भी चर्चा हो रही है. इस बैठक में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, "कार्यसमिति की बैठक में प्रण लिया गया कि भाजपा-संघ की क्रोध, नफरत फैलाने और बंटवारे वाली विचारधारा को हराएंगे. इस प्रयास में कोई भी बलिदान महान नहीं है, ना कोई प्रयास छोटा है. हम इस लड़ाई को जीतेंगे.”

बैठक शुरू होने के बाद गुजरात के ही गांधीनगर के अडालज में एक रैली आयोजित की गई थी जिसमें राजनीति में सक्रिय होने के बाद पहली बार प्रियंका गांधी का भी भाषण हुआ. अपने संक्षिप्त भाषण में प्रियंका गांधी भी केंद्र सरकार पर हमलावर रहीं और उन्होंने कहा, "आजादी की लड़ाई की तरह आगामी लोकसभा चुनाव भी एक तरह से आजादी की ही लड़ाई है.”

तस्वीर: Reuters/A. Dave

गुजरात में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक 58 साल बाद हो रही है. इससे पहले 1961 में ये बैठक भावनगर में हुई थी. गुजरात महात्मा गांधी का गृहनगर है इसलिए बैठक से पहले साबरमती आश्रम में प्रार्थना सभा भी रखी गई थी. बैठक को यहां रखने के पीछे वजह भी गांधी के दांडी मार्च की वर्षगांठ थी. 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से ही महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार का नमक कानून तोड़ने के लिए ऐतिहासिक दांडी यात्रा शुरू की थी.

इस रैली में गुजरात में पाटीदार आरक्षण को लेकर आंदोलन से सुर्खियों में आए हार्दिक पटेल की मौजूदगी और कांग्रेस में शामिल होने की ख़बर भी चर्चा में रही. हालांकि अभी ये फ़ैसला नहीं हुआ कि वो लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं और लड़ेंगे तो किस सीट से.

हालांकि इस बीच कांग्रेस पार्टी को झटका भी लगा है जब उसके तीन विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. जामनगर (ग्रामीण) विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वल्लभ धाराविया ने सोमवार को विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया. पिछले हफ्ते ही माणवदर से चार बार के विधायक जवाहर चावड़ा और धरंगधरा के विधायक परषोत्तम सपारिया ने पार्टी छोड़ दी थी. चावड़ा को रूपाणी मंत्रिमंडल में मंत्री भी बना दिया गया है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky

कभी गुजरात में लगभग एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस पार्टी पिछले करीब तीन दशक से वहां की सत्ता से दूर है. हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उसे वापसी की उम्मीद थी और उसने जोरदार प्रदर्शन भी किया, फिर भी बीजेपी की 99 सीटों के मुक़ाबले उसे 77 सीटें ही हासिल हो पाईं.

ये बात अलग है कि 2012 की तुलना में कांग्रेस को काफी फायदा और बीजेपी को नुकसान हुआ था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने इकतरफा जीत हासिल की थी. राज्य की 26 लोकसभा सीटों में से उसने सभी सीटें जीत ली थीं. तब उसे राज्य में साठ फीसदी वोट मिले थे.

स्वतंत्र राज्य बनने के बाद गुजरात में पहली बार 1960 में विधानसभा चुनाव कराए गए. 132 सीटों के लिए हुए चुनाव में 112 सीटों पर कांग्रेस जीती. 1960 से लेकर 1975 तक राज्य की सत्ता पर कांग्रेस का एकछत्र राज रहा. हालांकि इस दौरान मुख्यमंत्री बदलते रहे. सिर्फ 1975 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को हार मिली लेकिन उसके बाद 1980 में कांग्रेस ने माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में जीत हासिल की.

तस्वीर: DW/P. Samanta

1985 में तो कांग्रेस पार्टी ने राज्य में अभूतपूर्व जीत हासिल की. राज्य की 182 में से उसे 149 सीटों पर जीत हासिल हुई. इस साल उसे करीब 56 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. लेकिन इसके बाद वो फिर सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं कर पाई. साल 1990 का विधान सभा चुनाव गुजरात में जनता दल और बीजेपी ने मिलकर लड़ा और कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया.

गुजरात राष्ट्रपित महात्मा गांधी की जन्मस्थली है और इस बार उनकी 150 वीं जयंती भी मनाई जा रही है. कांग्रेस पार्टी और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहने के कारण कांग्रेस पार्टी गांधी जी पर हक जताती ही है, इधर बीजेपी भी खुद को गांधी जी से जोड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती. दो दिन पहले एक भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वास्तव में उन्हीं की पार्टी गांधी जी के सिद्धांतों पर अमल करती है.

गुजरात के पोरबंदर में न सिर्फ गांधी जी का जन्म हुआ था बल्कि यहां के कुछ जगहों से उन्होंने ऐतिहासिक आंदोलनों को भी दिशा दी थी. राजकोट से जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की वहीं नमक सत्याग्रह के लिए साबरती से लेकर दांडी तक के जिस रास्ते से उन्होंने जुलूस निकाला था यानी दांडी मार्च किया था, वो रास्ता भी ऐतिहासिक हो गया. दांडी के समुद्र तट पर ही उन्होंने नमक बनाकर, अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ा था.

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