गुजरात के सरदारपुरा दंगे में 31 दोषी करार
९ नवम्बर २०११विशेष अदालत के जज एससी श्रीवास्तव ने फैसला सुनाते हुए कहा, "73 आरोपियों में से 31 दोषी हैं और 42 को सभी आरोपों से बरी किया जाता है." फैसला अहमदाबाद से 40 किलोमीटर दूर सरदारपुरा में ही किया गया. सरदारपुरा गांव में 28 फरवरी 2002 के दिन दंगे भड़के.
उस रात दंगाइयों से बचने के लिए भाग रहे 33 मुसलमानों ने एक छोटे से मकान में शरण ली. आरोपियों ने 28 फरवरी की रात उस मकान में आग लगा दी. 28 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बुरी तरह झुलसे पांच लोगों ने बाद में दम तोड़ा.
दोषी करार दिए गए 31 लोग मौत की सजा का सामना कर रहे हैं. अदालत इसी हफ्ते दोषियों की सजा सुनाएगी. नौ साल तक चली अदालती कार्यवाही के दौरान दो संदिग्धों की मौत भी हो गई.
भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात में 2002 के विधानसभा चुनावों से पहले दंगे भड़के. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में आग लग गई. आरोप लगे कि बोगी में आग मुसलमानों ने लगाई. गोधरा आयोग के मुताबिक हसन लालू नाम के एक व्यक्ति ने ट्रेन में चलती हुई चीज फेंकी. बोगी को जलाने के लिए 140 लीटर पेट्रोल छिड़का गया. यात्री भाग न पाएं, इस लिए भीड़ ने पत्थर भी फेंके.
बोगी में अयोध्या से लौट रहे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता थे. 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 25 महिलाएं और 15 बच्चे थे. इसके बाद राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे. दो हफ्तों तक दंगों की आग में जलते गुजरात में 790 मुसलमान और 254 हिंदू मारे गए. 223 लोग गुम हो गए. लापता लोगों को सात साल बाद मृतक मान लिया गया. आधिकारिक रूप से दंगों में 1,267 लोग मारे गए. 205 मस्जिदें, 17 मंदिर और तीन चर्च दंगाइयों का निशाना बने.
राज्य सरकार और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप हैं कि उन्होंने जानबूझकर दंगों को रोकने की कोशिश नहीं की. ऐसे कई मामले हैं जहां पुलिस और प्रशासन जानबूझकर देर से पहुंचे. दंगाइयों को हत्याएं करने दी गईं. कहा जाता है कि स्थानीय पुलिस ने समय पर दंगाइयों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए. महिलाओं के साथ बलात्कार हुए. कई जगहों पर महिलाओं और बच्चों को जिंदा जला दिया गया. दंगों की वजह से 61,000 मुसलमान और 10,000 हिंदुओं को अपना घर बार छोड़कर भागना पड़ा.
दंगों में मुसलमानों को जमकर निशाना बनाया गया. गुजरात के कई शहरों में कारोबार कर रहे मुसलमानों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को उजाड़ दिया गया. राज्य के 25 जिलों में कई जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया. अनाधिकारिक अनुमान के मुताबिक दंगों में करीब 2,000 लोग मारे गए.
साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने के मामले में फरवरी 2011 में अदालत का फैसला आया. 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने के आरोप में 31 लोग दोषी करार दिए गए. 11 को मौत की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 63 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो गए.
रिपोर्ट: एएफपी, एपी/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार