'गुजरात दंगों के रिकॉर्ड नष्ट, नियम के तहत'
३० जून २०११मानवाधिकार संगठन और कुछ स्थानीय अधिकारी राज्य की बीजेपी सरकार पर दंगों से सीधे तौर पर जुड़े होने का आरोप लगाते हैं. 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में एक धमाके में 59 हिंदू कारसेवक मारे गए. इसके बाद भड़के दंगों में एक हजार से ज्यादा लोगों की जानें गईं जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे. गुजरात में 2001 से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है.
भारतीय अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक गुजरात सरकार के वकील एसबी वकील ने बताया कि अधिकारियों के बीच हुए संपर्क से जुड़े सरकारी दस्तावेजों को 2007 में नष्ट कर दिया गया. उन्होंने अहमदाबाद में सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज जीटी नानावती के नेतृत्व वाले जांच पैनल को बताया, "सरकारी नियमों के मुताबिक टेलीफोन बातचीत के रिकॉर्ड, वाहनों की लॉगबुक और अधिकारियों की आवाजाही से जुड़ी डायरी के रिकॉर्ड एक निश्चित समय के बाद नष्ट कर दिए गए." यह निश्चित अवधि पांच साल बताई गई है. वकील ने बताया, "राज्य खुफिया ब्यूरो के रिकॉर्ड्स भी नष्ट कर दिए गए."
वकील ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के इस बयान को भी खारिज किया कि दंगे मोदी के इशारे पर हुए. उनका कहना है कि आईपीएस अधिकारी ने यह जानते हुए आरोप लगाया कि रिकॉर्ड्स मौजूद नहीं हैं और ऐसे में उनके बयान की पुष्टि नहीं की जा सकती. इसी साल सुप्रीम कोर्ट की बनाई एक टीम ने दंगों के दौरान मोदी के 'पक्षपाती' रवैये की आलोचना की. लेकिन इस टीम को ऐसे सबूत नहीं मिले जिसके आधार पर दंगों के सिलसिले में मोदी पर मुकदमा चलाया जा सके.
मोदी बराबर इन आरोपों को खारिज करते हैं कि वह दंगों को नियंत्रित करने में नाकाम रहे या इनमें प्रत्यक्ष रूप से शामिल थे. आलोचकों का कहना है कि अधिकारी दंगों के दौरान अपनी भूमिका को छिपाते रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी