गुजरात में राज्यसभा चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट क्यों गई कांग्रेस
ऋषभ कुमार शर्मा
१८ जून २०१९
गुजरात में अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा सांसद बन जाने के बाद खाली हुई दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. लेकिन चुनाव के नोटिफिकेशन पर आपत्ति को लेकर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.
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गुजरात कांग्रेस ने चुनाव आयोग द्वारा राज्यसभा चुनाव के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. यह नोटिफिकेशन अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई गुजरात की दो राज्यसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए जारी किया गया है. नोटिफिकेशन के खिलाफ गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष और अमरेली से कांग्रेस विधायक परेश धमानी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. सुप्रीम कोर्ट 20 मई को इस याचिका पर सुनवाई करेगा.
क्या है विवाद
2017 में गुजरात में तीन सीटों पर राज्यसभा चुनाव हुए. बीजेपी की तरफ से अमित शाह और स्मृति ईरानी और कांग्रेस की तरफ से अहमद पटेल सांसद चुने गए. 2019 लोकसभा चुनाव में अमित शाह गांधीनगर और स्मृति ईरानी अमेठी से सांसद चुन ली गईं. इस वजह से दोनों राज्यसभा सीटें खाली हो गईं.
चुनाव आयोग ने इन दोनों सीटों पर उपचुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी किया. इस नोटिफिकेशन में कहा गया कि 5 जुलाई को इन दोनों सीट समेत खाली हुईं छह सीटों पर उपचुनाव होगा. इन सभी सीटों को 'सैपरेट वैकेंसी' मतलब अलग-अलग रिक्तियां मानकर चुनाव होगा. कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग ने बीजेपी सरकार के दबाव में सैपरेट वैकेंसी कहा है. ऐसा करने से दोनों सीटें बीजेपी के खाते में चली जाएंगी.
इस उपचुनाव में जीतने वाले सांसदों का कार्यकाल अगस्त, 2023 तक का होगा. उपचुनाव में खाली हुई सीट पर जीते हुए प्रत्याशी का कार्यकाल पहले जीते हुए प्रत्याशी के तय कार्यकाल के बराबर होता है.
क्यों है विवाद
राज्यसभा सासंद चुने जाने का एक सूत्र होता है. इस सूत्र के मुताबिक सांसद चुनने के लिए उस राज्य से खाली हुईं राज्यसभा सीटों की संख्या में एक जोड़कर विधायकों की संख्या में भाग दे दिया जाता है. भाग देने पर मिलने वाली संख्या में एक जोड़ दिया जाता है. इसके बाद आने वाली संख्या एक सांसद चुनने के लिए चाहिए होती है. राज्यसभा चुनाव में खाली सब सीटों पर एक साथ चुनाव होने पर एक विधायक एक ही बार वोट डाल सकते हैं क्योंकि एक विधायक को एक ही बैलेट पेपर दिया जाता है.
गुजरात में दो राज्यसभा की सीटों पर चुनाव होने हैं. गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं. दो सीटों पर चुनाव के लिए 182 में 3 (2+1) का भाग दिया जाएगा. आने वाली संख्या 60.66 में एक जोड़ने पर यह संख्या 61.66 होती है. इसका मतलब हर सीट जीतने के लिए 62 विधायकों की जरूरत होनी चाहिए. लेकिन चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक ऐसा नहीं होगा.
इन सीटों को सैपरेट वैकेंसी माने जाने की वजह से हर सीट को एक इकाई माना जाएगा. मतलब इस सूत्र के मुताबिक 92 विधायक चाहिए होंगे. साथ ही सैपरेट वैकेंसी के कारण दोनों सीटों पर विधायक अलग-अलग वोट डाल सकेंगे. गुजरात विधानसभा में फिलहाल 175 विधायक हैं. इसमें बीजेपी के 100, कांग्रेस के 71, एनसीपी के 1, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 और एक निर्दलीय विधायक हैं. ऐसे में दोनों सीटों पर अलग-अलग मतदान होने पर दोनों सीटें बीजेपी के खाते में जाएंगी.
चुनाव आयोग का क्या कहना है
चुनाव आयोग का इस विवाद पर कहना है कि अमित शाह को लोकसभा चुनाव में जीत का प्रमाण पत्र 23 मई को ही जारी कर दिया गया जबकि स्मृति ईरानी का प्रमाण पत्र 24 मई को जारी किया गया. अमित शाह की सीट को 28 मई और स्मृति ईरानी की सीट को 29 मई से खाली माना गया. इस वजह से दोनों के चुनाव के दिन में एक दिन का अंतर है. इसलिए दोनों सीटों को सैपरेट वैकेंसी माना गया है. हालांकि दोनों सीटों के लिए वोटिंग एक ही दिन होगी और इनका परिणाम भी उसी दिन शाम में आएगा.
फिलहाल 20 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही पता चल पाएगा कि क्या दो सीटों में से कोई सीट कांग्रेस के हाथ आएगी या फिर बीजेपी दोनों सीटों पर जीत दर्ज कर लेगी.
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अमिताभ बच्चन
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हेमा मालिनी और धर्मेंन्द्र
हेमा मालिनी को राजनीति में लाने में विनोद खन्ना का हाथ भी कहा जाता है. बीजेपी के लिए मथुरा सीट जीतने वाली हेमा मालिनी का अब तक का राजनीतिक करियर सफल कहा जा सकता है. हेमा मालिनी के पति और सुपरस्टार धर्मेंन्द्र 2004 से 2009 तक राजस्थान के बीकानेर से बीजेपी के सांसद रहे.
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शत्रुघ्न सिन्हा
सुपरस्टार शत्रुघ्न सिन्हा 10 साल तक पटना साहिब सीट से बीजेपी के सांसद रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस में शामिल हो गए. 2019 में वो चुनाव हार गए.
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राजेश खन्ना
बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना ने अपने करियर में 160 से भी अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें ज्यादातर हिट रहीं. कांग्रेस ने 1991 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन वह लाल कृष्ण आडवाणी से हार गए. फिर उसी सीट पर 1992 में हुए उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को हराकर वे लोकसभा सदस्य बने.
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रेखा
सन 2012 में कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा में रेखा और सचिन तेंदुलकर को भेजा. लेकिन अपने पूरे कार्यकाल में सदन की कार्रवाई में हिस्सा ना लेने के कारण दोनों ही सितारों की खूब आलोचना हुई. ना तो कभी रेखा ने सदन में कोई सवाल पूछा ना ही किसी बहस में शामिल हुईं.
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राज बब्बर
हिन्दी और पंजाबी फिल्मों के सफल अभिनेता राज बब्बर ने नेता के तौर पर पहले समाजवादी पार्टी और फिर कांग्रेस का दामन थामा. वे तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए और दो बार राज्यसभा सदस्य रहे.
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जया बच्चन
अभिनेत्री जया बच्चन समाजवादी पार्टी की ओर से 2004 में पहली बार राज्यसभा सांसद चुनी गईं. चार बार से चुनी जा रहीं जया बच्चन का राजनीतिक करियर पति अमिताभ से काफी लंबा रहा है. अमिताभ के राजनीति में प्रवेश को वे भावनात्मक फैसला बताती हैं.
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जया प्रदा
हिन्दी फिल्मों के अलावा तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, बंगाली और मराठी फिल्मों में अभिनेत्री और समाजवादी पार्टी की नेता जया प्रदा सन 2004 से 2014 तक उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद रहीं.
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शबाना आजमी
थिएटर, फिल्म और टीवी - हर मंच पर अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाली अदाकारा शबाना आजमी संयुक्त राष्ट्र की शांति दूत भी हैं. सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के कारण उन्हें देश के राष्ट्रपति की ओर से 1997 से 2003 तक राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया.
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मिथुन चक्रवर्ती
अपने स्टेज नाम मिथुन के रूप में लोकप्रिय गौरांग चक्रवर्ती बॉलीवुड और टॉलीवुड के मशहूर एक्टर, प्रोड्यूसर रहे हैं. इसके अलावा असल जीवन में वे गायक, समाजसेवक और उद्यमी की भूमिकाएं भी निभा चुके हैं. वे 2014 में पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के सदस्य भी रहे लेकिन 2016 में इस्तीफा दे दिया.
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गोविंदा
बॉलीवुड हीरो गोविंदा ने 80 के दशक में अपना फिल्मी सफर शुरू कर विभिन्न भूमिकाएं निभाते हुए धीरे धीरे अपनी पहचान बनाई. राजनीति में उनका आना बड़ा औचक था. कांग्रेस के टिकट पर 2004 के आम चुनावों में उन्होंने मुंबई नॉर्थ सीट जीती. लेकिन उसके बाद उन्हें टिकट नहीं मिला और उन्होंने राजनीति छोड़ दी.
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स्मृति ईरानी
मॉडल, टीवी अभिनेत्री और तेलुगू और बंगाली फिल्मों में काम कर चुकीं स्मृति ईरानी ने 2003 में बीजेपी की सदस्यता ली. वे गुजरात से राज्य सभा सदस्य चुनी गईं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं.
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परेश रावल
अहमदाबाद ईस्ट से बीजेपी के सांसद रहे परेश रावल हाल के सालों में काफी मुखर नेता के रूप में सामने आए हैं. हेरा फेरी जैसी कॉमेडी फिल्मों में यादगार किरदार निभा चुके रावल असल में थिएटर के भी मंझे हुए अदाकार माने जाते हैं.