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गुटेरेश ने कहा मौलिक अधिकार खतरे में

२७ फ़रवरी २०१७

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि मौलिक अधिकारों का हनन बीमारी की तरह फैल रहा है और पॉपुलिज्म का विकृत उदय असहिष्णुता बढ़ा रहा है. वे जेनेवा में मानवाधिकार सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे.

Guterres UN PK zu Hungersnöte in Afrika
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress/A. Lohr-Jones

 

अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद जेनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद की पहली बैठक हो रही है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरेश के भाषण में एक ऐसी दुनिया की तस्वीरें उकेरी गईं जो बढ़ते हुए खतरों से जूझ रही है. महासचिव का पद संभालने के बाद परिषद में अपने पहले भाषण में गुटेरेश ने कहा, "मानवाधिकारों का तिरस्कार बीमारी है और यह ऐसी बीमारी है जो फैल रही है, उत्तर, दक्षिण, पूरब पश्चिम में." उन्होंने मांग की, कि "मानवाधिकार परिषद को इलाज का हिस्सा होना चाहिए."

डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन का एक प्रतिनिधि 2019 तक परिषद का सदस्य होगा और अमेरिका की नए अनिश्चित नेतृत्व ने परिषद के भविष्य को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं. मानवाधिकार परिषद की हाल की ज्यादातर सफलताओें का श्रेय बहुत हद तक बराक ओबामा के प्रशासन की मदद को जाता है. अमेरिका पिछले अक्टूबर में 3 साल के लिए मानवाधिकार परिषद में चुना गया है. मानवाधिकार परिषद की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका का नया प्रशासन मुस्लिम बहुल देशों से आप्रवासन पर रोक लगाना चाहता है और अवैध आप्रवासियों को देश से बाहर निकालना चाहता है.

तस्वीर: picture alliance/AP Images/A. F. Yuan

गुटेरेश ने ट्रंप का सीधे नाम तो नहीं लिया लेकिन कई ऐसे मुद्दों पर सख्त चेतावनी दी जिन्हें मानवाधिकार कार्यकर्ता ट्रंप के उदय के साथ जोड़कर देखते हैं. उन्होंने कहा, "हम बढ़ते पैमाने पर पॉपुलिज्म और उग्रपंथ के विकृत चेहरे का उदय देख रहे हैं जो बढ़ते नस्लवाद, विदेशी विरोध, जेनोफोबिया, मुस्लिम विरोधी उन्माद और असहिष्णुता के दूसरे रूपों में एक दूसरे का पोषण कर रहे हैं." गुटेरेश ने कहा कि शरणार्थियों और आप्रवासियों के अधिकारों पर हमला हो रहा है. एक अध्यादेश जारी कर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शरणार्थियों को लेने पर रोक लगा दी है, हालांकि सात मुख्य रूप से मुस्लिम देशों के यात्रियों के अमेरिका आने पर रोक लगाने का उनका कदम अदालत ने रोक दिया है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चार हफ्ते के सम्मेलन में 47 देशों के प्रतिनिधि मुख्य रूप से सीरिया, उत्तरी कोरिया और म्यांमार की स्थिति की चर्चा करेंगे. इसके अलावा शरणार्थियों, यातना और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी. पिछले 11 साल के इतिहास में परिषद की अक्सर इस बात के लिए आलोचना होती रही है कि उसमें मानवाधिकारों को कुचलने वाले देश सदस्य रहे हैं और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमले के लिए प्रस्तावों का समर्थन किया है, लेकिन मानवाधिकारों के उचित मुद्दे नजरअंदाज होते रहे हैं.

एमजे/एके (एएफपी, डीपीए)

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