गुरु को कांसा, चेली को सोना
११ अक्टूबर २०१०रांची की 17 वर्षीय दीपिका कुमारी उस वक्त भारतीय तीरंदाजी की बड़ी स्टार बन गईं, जब व्यक्तिगत मुकाबलों में उन्होंने भारत की सबसे अनुभवी तीरंदाज डोला बनर्जी को पीछे छोड़ दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में तेज हवाओं के बीच ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली एलिसन विलियम्सन को सीधे सेटों (6-0) में हरा कर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया. भारत के लिए यह तीरंदाजी में दूसरा स्वर्ण पदक था. इससे पहले दीपिका, डोला और बोम्बालाया देवी लैशराम ने मिलकर टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता.
दो बार ओलंपियन और 2007 के वर्ल्ड कप फाइनल की विजेता डोला का स्कोर सेमीफाइनल मुकाबलों में एथेंस ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता विलियमसन से खासा कम रहा. उन्हें 2-6 से हार जाना पड़ा. वहीं दीपिका ने मलेशिया की अनबारासी सुब्रमण्यम को 7-1 से हरा दिया. कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में डोला ने 6-2 से सुब्रमण्यम को मात दी.
भारत की महिला तीरंदाजी कोच पूर्णिमा महतो ने कहा, "हवा बहुत तेज चल रही थी. मैंने दीपिका से कहा कि वह संयम से काम ले और हवा पर ज्यादा ध्यान न दे. उसने वही किया. मैं बहुत खुश हूं कि वह जीती."
दीपिका रांची के एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर की बेटी हैं और डोला बनर्जी को अपना आदर्श मानती हैं. लेकिन रविवार के मुकाबले में अपने आर्दश को पीछे छोड़ उन्होंने स्वर्ण पदक पर कब्जा किया. दीपिका ने पिछले महीने शंघाई में विश्व कप के स्तर 4 पर एक रजत पदक भी जीता है. इसी प्रदर्शन के आधार पर वह एडिनबर्ग में होने वाले फाइनल मुकाबलों के लिए क्वॉलिफाई कर पाईं.
रविवार के मुकाबले में दीपिका ने पहला सेट 2-0 से जीतने के लिए 10-9-8 के स्कोर पर निशाना साधा. दर्शकों की तरफ से 'कम ऑन दीपिका' और 'जय हो' के नारों के बीच 29 साल की वरिष्ठ तीरंदाज ब्रिटिश तीरंदाज विलियम्सन पर दबाव को साफ देखा जा सकता था. वहीं 4-0 की बढ़त के साथ दीपिका ने तीसरे सेट में आसानी से जीत दर्ज कर ली.
दीपिका ने जीत का श्रेय एक बार फिर अपने माता पिता, कोच (पूर्णिमा और धर्मेंद्र तिवारी) और टाटा तीरंदाजी अकादमी को दिया. उन्होंने कहा, "मैं सातवें आसमान पर हूं. मैं अपने माता पिता और कोच की शुक्रगुजार हूं जिन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन