दक्षिण कोरिया में हुई नौका दुर्घटना में मारे गए कुछ बच्चों के मां बाप शव परीक्षण की मांग कर रहे हैं, ताकि साबित हो सके कि नौका डूबते समय उनके बच्चे जीवित थे और राहत में देरी से उनकी जान गई.
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गुरुवार के आंकड़ों के मुताबिक मारे गए लोगों की संख्या 169 पहुंच गई है और 133 अभी भी लापता हैं. गोताखोर खाली नौका में लोगों की तलाश कर रहे हैं. मृतकों के परिजनों में भारी गुस्सा है. उनका आरोप है कि राहत कार्य और लोगों को बाहर निकालने की कार्रवाई बहुत देर से शुरू की गई.
एक हफ्ते पहले 6,825 टन की सिवोल फेरी डूब गई थी. उस समय इस पर 476 लोग सवार थे, जिसमें से 325 हाईस्कूल में पढ़ने वाले बच्चे थे जो छुट्टियां मनाने जा रहे थे. बुरे मौसम के कारण गोताखोर दुर्घटना के बाद दो दिन तक इस विशाल नौका में जा ही नहीं पाए. इसके बाद परिजनों की आशंका धीरे धीरे कड़वी सच्चाई का रूप लेने लगी और फेरी में से लाशें निकालनी शुरू की गई.
कई परिजनों का मानना है कि इसमें फंसे अधिकतर लोग एयर पॉकेट्स में कई दिनों तक जिंदा रहे होंगे लेकिन ठंडे पानी के कारण बाद में उनकी जान चली गई होगी क्योंकि कोई बचाने नहीं आया. इसी आधार पर कई परिजन शव परीक्षण की मांग कर रहे हैं ताकि मृत्यु का कारण और समय का पता लग सके. जिंडो द्वीप पर शवों को पहचानने के काम में लगे फोरेंसिक विशेषज्ञों ने बताया कि उनसे कई लोगों ने शव परीक्षण करने की मांग की है, "कई लोगों ने हमसे ऑटोप्सी के बारे में पूछा. ऐसा लगता है कि वे मौत के असली कारण का पता लगाना चाहते हैं. हालांकि ऐसे लोग कम ही हैं. लेकिन अभी तक मेरी जानकारी के मुताबिक कोई भी शव नेशनल फोरेंसिक सर्विस के पास नहीं लाया गया है."
फेरी दुर्घटनाओं का दर्दनाक सिलसिला
दुनिया के किसी ना किसी हिस्से से बड़ी फेरी दुर्घटनाओं की खबरें आती रहती हैं. आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस साल में हर साल 500 से ज्यादा लोग इन दुर्घटनाओं में मारे गए हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
चीन: जून 2015
चीन के हुबेई प्रांत में यांग्सी नदी पर करीब 450 लोगों वाली एक यात्री नाव पलट गई. 50 से 80 साल की उम्र के यात्रियों को ले जा रही यह नाव चक्रवाती तूफान की चपेट में आ गई थी. चीन सरकार ने दुर्घटना के बचाव अभियान में 3,000 से अधिक अर्द्धसैनिक बल के जवानों और 50 से ज्यादा नावों को तैनात किया है.
तस्वीर: imago/Xinhua/Xiao Yijiu
दक्षिण कोरिया: 2014
दक्षिण कोरिया के दक्षिणी द्वीप के पास यह फेरी दो घंटे तक समुद्री लहरों और हवा के भारी झोंकों से जूझते हुए अंत में डूब ही गई. हादसे के समय फेरी में स्कूली बच्चों और टीचरों समेत 477 यात्री सवार थे जो छुट्टियां मनाने जेजू रिसॉर्ट जा रहे थे.
तस्वीर: Reuters
फिलिपींस: 2013, 2008
2013 में फिलिपींस के सेबू के पास रात के अंधेरे में 200 लोगों को ले जा रही एक फेरी एक कार्गो जहाज से टकराकर डूब गई. इसमें 71 लोग नारे गए. 2008 में एमवी प्रिंसेस नाम के एक बड़े जहाज के तूफान में फंस कर डूबने से 800 जानें गईं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
तंजानिया: 2012
बचावकर्मी 18 जुलाई, 2012 को तंजानिया मेनलैंड और जंजीबार के बीच उलट गए जहाज से लोगों के शव निकालते हुए. इस फेरी में 290 यात्री और चालक दल के लोग थे जिसमें से कम 144 लोग मृत या लापता हो गए.
तस्वीर: AFP/Getty Images
भारत: 2012
आपदा बचाव दल कर्मी पूर्वोत्तर राज्य असम के पास ब्रह्मपुत्र नदी में दुर्घटनाग्रस्त हुई एक फेरी से लोगों को बचाने की कोशिश में. अचानक आए तेज तूफान में फंसने से फेरी के दो टुकड़े हो गए और इसमें सवार 200 से भी ज्यादा लोगों की डूब कर मौत हो गई.
तस्वीर: AFP/Getty Images
तंजानिया: 2011
जंजीबार के दो द्वीपों के बीच डूब जाने से 'स्पाइसी आइलैंडर' नामकी एक फेरी में सवार 200 से भी ज्यादा लोग मारे गए. इसी फेरी से यात्रा कर रहे अन्य 600 लोगों को बचा लिया गया. बचाए गए यात्री जंजीबार के एक अस्पताल में भर्ती किए गए.
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इंडोनेशिया: 2009, 2006, 2005, 2000
यह द्वीप समूह कई फेरी दुर्घटनाओं का गवाह रहा है. जनवरी 2009 में सुलावेसी द्वीप के पास चक्रवात में फंसी एक फेरी के डूबने से 200 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई. 2006 में जावा के तट के पास एक फेरी डूबने से 400 से भी ज्यादा मौतें हुईं.
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इंडोनेशिया: 2006
दिसंबर, 2006 में सेंट्रल जावा में हुई एक और फेरी दुर्घटना से बचा कर लायी जा रही एक महिला यात्री. काफी लंबे समय तक तूफान के थपेड़े झेलने के बाद डूबने से इस जहाज के 500 से भी ज्यादा यात्री लापता हो गए थे.
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गांबिया: 2002
सेनेगाल में बनी 'जूला' नामकी इस फेरी के डूबने से 1,800 से भी ज्यादा लोग मौत की नींद सो गए. अफ्रीका के पश्चिमी तटीय क्षेत्र से गुजर रही जूला को बेहद अशांत समुद्र ने पूरी तरह पलट दिया था.
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परिजनों के लिए बनाई गई कमेटी के प्रवक्ता किम ह्योंग ने पुष्टि की है कि कुछ परिजन ऑटोप्सी चाहते हैं. "वे जानना चाहते हैं कि उनके परिवार के सदस्य कैसे मरे. हालांकि अधिकतर लोग इसका विरोध भी करते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि शरीर और खराब हो."
जिंडो बंदरगाह पर कई पीले रिबन बांधे गए, जिन पर हाथ से लिखे हुए संदेश हैं, "हम तुम्हें याद करेंगे, अलविदा."
दक्षिण कोरिया की समाचार एजेंसी योनहैप के मुताबिक एक छात्र जिसका शव बरामद किया गया, उसने सबसे पहले जहाज से आपात संदेश भेजा था. 119 नंबर डायल करके उसने जिस समय संदेश भेजा था उस समय फेरी ने आपात स्थिति का संदेश नहीं दिया. बच्चे ने तीन मिनट पहले ही अलर्ट कर दिया था. नौका के कप्तान ली जून सेओक और चालक दल के छह सदस्यों सहित अन्य चार कर्मचारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.