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गुस्से के उबाल पर दिल्ली

२९ दिसम्बर २०१२

बलात्कार की शिकार लड़की की मौत के बाद पूरा भारत सन्न है. 10 दिनों से इस मुद्दे पर प्रदर्शन करने वाली दिल्ली के लोग गम और गुस्से के बीच धीरे धीरे इकट्ठा हो रहे हैं. सरकार ने जनता को रोकने के लिए मेट्रो स्टेशन बंद किए.

तस्वीर: dapd

23 साल की इस छात्रा के साथ दिल्ली की चलती बस में बलात्कार के बाद प्रदर्शन की निशानी बन चुके इंडिया गेट पर लोगों के जमा होने पर रोक लगा दी गई है. वहां धारा 144 लगा दी गई है. भारत की राजधानी को सीलबंद किया जा रहा है. भारी संख्या में पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को ऐसी जगहों पर तैनात किया गया है, जहां प्रदर्शन की संभावना है.

लोगों की भीड़ को काबू करने के लिए सरकार ने 10 मेट्रो रेल स्टेशनों को बंद कर दिया है. दिल्ली में मेट्रो सार्वजनिक परिवहन की सबसे बेहतर सुविधा मानी जाती है. इसके अलावा कुछ मुख्य मार्गों में गाड़ियों के जाने पर भी रोक लगा दी गई है. फिर भी लोग किसी तरह से प्रदर्शन के लिए जमा हो रहे हैं. इस मुद्दे पर महिलाओं के अलावा भारी संख्या में पुरुष भी प्रदर्शन करते आए हैं.

प्रदर्शनों को दबाने के लिए दिल्ली पुलिस के कड़े फैसलों पर सवाल उठते आए हैं. पिछले रविवार को आंसू गैस और पानी की बौछार की वजह से कई लोग घायल हुए थे और इसी आपाधापी में दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल को भी दिल का दौरा पड़ गया, जिसकी बाद में मौत हो गई.

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दिल्ली पुलिसतस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images

दिल्ली पुलिस के प्रमुख नीरज कुमार ने लोगों के शांति बनाए रखने की अपील करते हुए इस बात का एलान किया है कि इंडिया गेट को प्रदर्शन के लिए नहीं खोला जाएगा. इसके बाद लोग जंतर मंतर के पास जमा हो रहे हैं. लगातार दबाव और शिकायतों के बाद दिल्ली पुलिस ने काफी संख्या में महिला पुलिस को तैनात किया गया है.

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मौके पर लोगों को सांत्वना देने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि छात्रा की मौत से गुस्साए लोगों की भावनाओं को वह "अच्छी तरह समझ सकते हैं और यह भी समझ सकते हैं कि भारत में बदलाव की कैसी जरूरत है." प्रधानमंत्री ने लोगों को शांत करते हुए एक बयान जारी किया, "यह उसके लिए एक महान श्रद्धांजलि होगी, यदि हम इन भावनाओं और ऊर्जाओं को सही दिशा में लगा सकें."

अस्सी साल के भारतीय प्रधानमंत्री धीमी आवाज में बोलते हैं और इस मामले में वह अब तक लोगों को भरोसे में लेने में नाकाम रहे हैं कि आठ साल सत्ता में रहने के बाद भी महिलाओं को सुरक्षा क्यों नहीं मिल पाई है.

दूसरे प्रदर्शनों से अलग इस बार नेताओं की जगह आम लोगों ने ले ली है, जिनमें ज्यादातर मिडिल क्लास का युवा वर्ग है. पिछले रविवार को लगातार पानी की बौछार और आंसू गैस के गोलों के बीच भी प्रदर्शनकारी जमा रहे.

छात्रा की मौत के बाद बलात्कार के आरोपियों पर हत्या का मुकदमा दायर किया जाएगा, जिसमें मौत की सजा संभव है. भारत में बलात्कार के मामले में सबसे बड़ी सजा उम्र कैद की है.

एजेए/ओएसजे (पीटीआई, रॉयटर्स, एएफपी)

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