गुस्से से हो सकता है सौदेबाजी में नुकसान
२२ जुलाई २०१०फ्रांस में इन्सेड और अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या गुस्सा सौदेबाजी में सही रणनीति हो सकती है. इससे पहले कुछ अध्ययनों में सामने आया था कि दृढ़ता का संदेश देने के लिए यह प्रभावकारी रणनीति हो सकता है.
इस अध्ययन के लिए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वॉलंटियर्स को दो दलों में बांटा गया. एक दल में यूरोपीय पृष्ठभूमि वाले 63 अमेरिकन थे तो दूसरे दल में एशियाई मूल के या एशिया के 67 लोग. उन्हें सेल्समैन के रूप में सौदेबाजी करने को कहा गया.
छात्रों से कंप्यूटर पर बातचीत में सेल फोन बेचना था और गारंटी तथा कीमत जैसे मसलों पर सौदेबाजी करनी थी लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया कि बातचीत के दौरान ग्राहक गुस्सा हो सकता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि यूरोपीय अमेरिकनों ने गुस्सा हो गए ग्राहक को संवेदनाहीन ग्राहक के मुकाबले बड़ी छूट दी. लेकिन एशियन अमेरिकियों या एशियंस ने अपने गुस्सा होने वाले ग्राहकों को कम छूट दी.
दूसरे अध्ययन में भागीदारों को बताया गया कि अध्ययन में गुस्सा करने की अनुमति है या नहीं. एशियाई और एशियाई अमेरिकन भागीदारों ने गुस्सा करने वाले ग्राहक को अधिक छूट दी यदि उनसे कहा गया कि यह स्वीकारणीय है. अगर यूरोपीय अमेरिकन्स से कहा जाए कि गुस्सा अस्वीकार्य है तो उनके छूट देने की कम संभावना होती है.
इंसेड के रिसर्चर हायो ऐडम का कहना है गुस्से को अनावश्यक समझने की स्थिति में विभिन्न संस्कृतियों के लोग अलग अलग व्यवहार करते हैं. "लोगों की नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है. वे रियायत नहीं देना चाहते. वे बातचीत बंद भी कर सकते हैं और सामने वाले को अनावश्यक व्यवहार के लिए सजा देना चाहते हैं."
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के नतीजे सौदेबाजी में संस्कृति और भावना की भूमिका को समझने में महत्वपूर्ण कदम हैं.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/महेश झा
संपादन: एन रंजन