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मीडिया

गूगल देगा न्यूज कंपनियों को एक अरब डॉलर

२ अक्टूबर २०२०

गूगल ने कहा है कि वो न्यूज कंपनियों को अगले तीन सालों में एक अरब डॉलर देगा. इसे कंपनी के न्यूज व्यापार पर वर्चस्व को लेकर बने हुए तनाव को कम करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

Google in Neu-Delhi
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Gupta

गूगल ने कहा है कि उसने अपने न्यूज पार्टनरशिप कार्यक्रम के लिए जर्मनी, ब्राजील, अर्जेंटीना, कनाडा, यूके और ऑस्ट्रेलिया में लगभग 200 न्यूज संगठनों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. सीईओ सुंदर पिच्चई ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, "ये अभी तक की हमारी सबसे बड़ी वित्तीय प्रतिबद्धता है. इसके तहत प्रकाशकों को एक अलग किस्म के ऑनलाइन न्यूज अनुभव के लिए उच्च कोटि का कॉन्टेंट बनाने और क्यूरेट करने के लिए पैसे मिलेंगे."

गूगल ब्राजील और जर्मनी में अपने न्यूज शोकेस की शुरुआत कर रहा है. इसमें स्टोरी पैनल होंगे जिनमें प्रकाशक कहानियों को टाइमलाइन जैसी सेवाओं के साथ पैकेज कर सकेंगे. यह पहले एंड्रॉइड पर गूगल न्यूज पर उपलब्ध होगा, फिर एप्पल आईओएस पर और उसके बाद गूगल डिस्कवर और गूगल सर्च पर लागू किया जाएगा. 

इस कार्यक्रम के साथ जुड़ने वाले प्रकाशकों में जर्मनी का डेर श्पीगल और स्टर्न और ब्राजील का फोल्हा दे एस पाउलो शामिल हैं. टाइमलाइन के अलावा वीडियो, ऑडियो और डेली ब्रीफिंग जैसी सेवाओं पर भी काम चल रहा है. पिच्चई ने कहा कि गूगल इस कार्यक्रम को भारत, बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसे देशों में ले जाने की भी कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह नहीं बताया की इसमें अमेरिका शामिल होगा या नहीं.

न्यूज कंपनियां चाहती हैं कि गूगल और उसकी प्रतिद्वंदी कंपनी फेसबुक उस न्यूज सामग्री के इस्तेमाल के लिए भुगतान करें जो वो कमर्शियल मीडिया से उठा लेती हैं और विज्ञापनों से कमाई का भी सबसे ज्यादा हिस्सा ले जाती हैं.तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Chiu

इस फंडिंग का लक्ष्य उस न्यूज लाइसेंसिंग कार्यक्रम को आगे ले जाना है जिसे गूगल ने जून में शुरू किया था. गूगल न्यूज कंपनियों और उसके बीच के साथ तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है. न्यूज कंपनियां चाहती हैं कि गूगल और उसकी प्रतिद्वंदी कंपनी फेसबुक उस न्यूज सामग्री के इस्तेमाल के लिए भुगतान करें जो वो कमर्शियल मीडिया से उठा लेती हैं और विज्ञापनों से कमाई का भी सबसे ज्यादा हिस्सा ले जाती हैं. हालांकि इसे लेकर संशय अभी भी बना हुआ है.

यूरोपीय पब्लिशर्स कॉउन्सिल ने कहा कि यह गूगल द्वारा उसे समझौता वार्ता तक लाने के लिए मजबूर करने वाले कानून और सरकारी कार्रवाई को मुल्तवी कराने की कोशिश है. कॉउन्सिल की कार्यकारी निदेशक अंगेला मिल्स वेड ने कहा, "कई लोगों को गूगल की रणनीति को लेकर संदेह हैं. एक नया उत्पाद ला कर वो शर्तें और नियम निर्धारित कर सकते हैं और समझौते के लिए न्यायूर्ण बातचीत के हालात बनाने के लिए बने कानून को कमजोर कर सकते हैं, और ऐसा करते हुए वो यह दावा भी कर सकते हैं कि वो न्यूज प्रोडक्शन को फंड करने में मदद कर रहे हैं."

कॉउन्सिल के सदस्यों में जर्मन प्रकाशक एक्सेल स्प्रिंगर और मीडिया टाइकून रुपर्ट मर्डोक की कंपनी न्यूज कॉर्प की ब्रिटिश इकाई भी शामिल हैं, जो कई सालों से इन बड़ी तकनीक कंपनियों से लड़ रहे हैं. उनका उद्देश्य है कि तकनीक कंपनियों को उस न्यूज कॉन्टेंट के लिए भुगतान करने पर बाध्य किया जा सके जिसकी रचना न्यूज कंपनियां करती हैं लेकिन तकनीक कंपनियां उन्हें अपने प्लेटफार्म पर डाल कर उनसे विज्ञापन के जरिए कमाई कर लेती हैं.

रुपर्ट मर्डोक की न्यूज कॉर्प जैसी न्यूज कंपनियां कोशिश कर रही हैं कि बड़ी तकनीक कंपनियों को उस न्यूज कॉन्टेंट के लिए भुगतान करने पर बाध्य किया जा सके जिसे वो अपने प्लेटफार्म पर डाल कर विज्ञापन के जरिए कमाई कर लेती हैं.तस्वीर: picture-alliance/AP/ STAR MAX

भारत में भी गूगल को चुनौती

इसी बीच भारत में एक और क्षेत्र में गूगल के एकाधिकार को चुनौती देने की चर्चा चल रही है. मीडिया में आई कुछ खबरों में कहा गया है कि 150 से भी ज्यादा भारतीय कंपनियां गूगल के प्ले स्टोर को चुनौती देने के लिए अपना ही ऐप स्टोर शुरू करने की योजना बना रही हैं. बताया जा रहा है कि इस बातचीत में पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा, मेकमाईट्रिप के संस्थापक दीप कालरा और पॉलिसी बाजार, रेजरपे और शेयरचैट जैसी कंपनियों से जुड़े लोग भी शामिल हैं.

इन सभी ने भारत पर गूगल के एकाधिकार को लेकर चिंता व्यक्त की है और गूगल द्वारा प्लेस्टोर के दिशा निर्देशों को अनुचित और परस्पर विरोधी रूप से लागू करने का आरोप लगाया है. 

(एपी के इनपुट्स के साथ)

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