1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गूगल ने खोला कमाई का राज

२५ मई २०१०

दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल ने विज्ञापन कमाई का राज खोल दिया. भारतीय मूल के गूगल के अधिकारी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि कंपनी किस तरह राजस्व इकट्ठा करती है. गूगल से लंबे वक्त से इस पारदर्शिता की अपेक्षा थी.

तस्वीर: Google

गूगल ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया है कि विज्ञापनों से उसकी कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा उन वेबसाइट्स के पास चला जाता है, जिन पर उसके इश्तेहार प्रकाशित होते हैं. गूगल अपनी सहायक कंपनी ऐडसेन्स के जरिए इंटरनेट पर विज्ञापन पोस्ट करती है.

कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजमेंट के वाइस प्रेसीडेंट भारतीय मूल के नील मोहन ने अपने ब्लॉग में विज्ञापन से होने वाली कमाई का ब्योरा प्रकाशित किया है और लिखा है कि कितना पैसा किसे मिलता है. मोहन ने लिखा है कि गूगल मुख्य तौर पर दो तरह के विज्ञापन देता है और दोनों का जिम्मा ऐडसेन्स के पास है. एक कंटेन्ट के लिए ऐडसेन्स और दूसरा सर्च के लिए ऐडसेन्स.

इंटरनेट का बादशाह गूगलतस्वीर: AP

किसी इंटरनेट साइट पर ऑनलाइन आर्टिकल के साथ जो गूगल का विज्ञापन होता है, वह कंटेन्ट के ऐडसेन्स का टूल होता है, जिसे इंटरनेट यूजर्स "ऐड्स बाई गूगल" के नाम से पहचानते हैं. दूसरा अलग अलग वेबसाइटों पर गूगल सर्च का ऑप्शन होता है, जिसे सर्च वाले ऐडसेन्स के टूल से नियंत्रित किया जाता है. गूगल ने कहा है कि वह अपने काम काज में ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए अपनी कमाई का मंत्र बता रहा है.

नील मोहन ने बताया है कि जो वेबसाइट कंटेन्ट के साथ गूगल का इश्तेहार लगाती है, उसे राजस्व का 68 फीसदी हिस्सा दे दिया जाता है, जबकि सर्च प्रोग्राम लगाने वाली वेबसाइटों को 51 प्रतिशत. सारा हिसाब किताब इस बात से लगाया जाता है कि उस वेबसाइट के जरिए कितने लोगों ने गूगल पर कुछ सर्च किया है. यह एक सामान्य दर है लेकिन बड़ी इंटरनेट कंपनियां अपने स्तर पर गूगल के साथ समझौता करती हैं.

गूगल ने अब तक इश्तेहार से होने वाले राजस्व के बारे में चुप्पी बनाए रखी थी और इंटरनेट बाजार में इस बात की चर्चा थी कि कहीं गूगल विज्ञापनों की कमाई को घटा तो नहीं रहा है. लेकिन ऐडसेन्स के ब्लॉग में इस बात को साफ कर दिया गया है कि राजस्व के हिस्से में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मोहन ने लिखा है कि कंटेन्ट के ऐडसेन्स की शुरुआत 2003 में हुई थी और तब से उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. सर्च के ऐडसेन्स में 2005 में एक बार बदलाव किया गया लेकिन तब वेबसाइटों का हिस्सा बढ़ा दिया गया.

तस्वीर: AP

हालांकि गूगल ने साफ किया है कि इसका मतलब यह नहीं कि भविष्य में इस हिस्सेदारी को बदला नहीं जा सकता. हालांकि मोहन ने लिखा है कि फिलहाल गूगल की ऐसी कोई योजना नहीं है.

उन्होंने ब्लॉग में लिखा, "हमें उम्मीद है कि हमारी इस पारदर्शिता से आपको गूगल के साथ कारोबार करने में और सुविधा होगी. हम समझते हैं कि हमारे राजस्व की हिस्सेदारी बेहद प्रतियोगात्मक है और जो लोग विज्ञापन दे रहे हैं, उन्हें हर क्लिक के साथ ज्यादा मुनाफा होगा."

गूगल मोबाइल, गेम्स और समाचार के लिए भी विज्ञापन मुहैया कराता है लेकिन ब्लॉग में इनकी जानकारी नहीं दी गई है. मोहन ने लिखा है कि इस ब्लॉग पर इस तरह की जानकारी दी जाती रहेगी. लोगों ने जो कमेंट लिखे हैं, उसके मुताबिक उन्होंने गूगल की पारदर्शिता के इस कदम का स्वागत किया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें