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गेंदबाज बने भारत की मुसीबत

२७ जुलाई २०१०

श्रीलंका में हो रही टेस्ट सीरीज ने एक बार फिर भारत की गेंदबाजी की पोल खोल दी है. कोलंबो टेस्ट के पहले दिन भारतीय गेंदबाज गली मुहल्ले के खिलाड़ियों जैसा निचले स्तर का प्रदर्शन करते दिखे. श्रीलंका ने उन्हें जमकर धुना.

हरभजन के सहारे कब तक?तस्वीर: AP

भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका. भारतीय उपमहाद्वीप की यह तीन टीमें इन दिनों सुर्खियों में हैं. पाकिस्तान कहर ढाती गेंदबाजी की वजह से जीत की राह खोल रहा है तो श्रीलंका संतुलित टीम की वजह से विजयी हो रहा है. दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम भारत तो बस मुकाबलों में फीकी दिखाई पड़ रही है.

गॉल टेस्ट में बुरी हार के बाद कोलंबो टेस्ट में भी श्रीलंका ने टीम इंडिया की हालत टाइट कर दी है. मेजबान टीम ने पहले ही दिन 312 रन का चट्टान जैसा विशाल और मजबूत स्कोर खड़ा कर दिया. भारतीय गेंदबाज तो बिना सिर वाले मुर्गे की छटपटाते हुए ही दिखे. पूरे दिन के खेल में वह सिर्फ दो विकेट ले पाए. चार दिन का खेल अब भी बाकी है और पहली पारी में श्रीलंका के हाथ में आठ विकेट बचे हैं. ऐसे में अगर संगकारा की टीम 500 के पार जाती है तो टीम इंडिया के बल्लेबाज दबाव में आ सकते हैं.

पिच पर टिका रहता है प्रदर्शनतस्वीर: AP

टीम इंडिया के इस लचर प्रदर्शन से अब कई सवाल भी उठने लगे हैं. सामने 2011 का वर्ल्ड कप और चिताएं हैं. क्रिकेट पंडितों का कहना है कि अगर भारत को बडा़ खिताब जीतना है कि तो आने वाले छह महीनों के भीतर ही गेंदबाजी में क्रांतिकारी बदलाव लाना होगा. पिछले मैच गवाह है कि भारतीय गेंदबाज वनडे में 300 रन का स्कोर बचाने में तक नाकामयाब रहे हैं.

जहीर चोटों से परेशानतस्वीर: AP

जहीर खान और आशीष नेहरा जैसे गेंदबाज आए दिन चोट से जूझ रहे हैं. श्रीसंत गेंद को उछाल सकते हैं लेकिन टीम में उनकी जगह पक्की नहीं हो रही है. स्विंग कराने में माहिर इरफान पठान का नाम तो अब चर्चाओं में भी नहीं है. ऐसे में हर मैच में हरभजन से भी उम्मीदें लगाए रखना बेमानी लगता है.

इन समीकरणों को देखने के बाद यह सवाल भी उठ रहे हैं कि शानदार गेंदबाजी के सामने अक्सर घुटने टेक देने वाली टीम इंडिया को अब नए सिरे से सोचना चाहिए या नहीं. वनडे में अगर टीम का सामना तीन अच्छे गेंदबाजों से हो तो 30 ओवर में बहुत ज्यादा रन बनाने की उम्मीदें बेकार हैं. बची बात गेंदबाजी की तो उसका कच्चा चिट्ठा अब सबके सामने है.

रिपोर्ट: ओ सिंह

संपादन: वी कुमार

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