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समाज

गैस तो चाहिए लेकिन पाइपलाइन नहीं है

९ दिसम्बर २०१६

भारत में घर घर में जो चूल्हा जलता है, उसकी गैस कहां से आती है? जवाब है कतर से. सिलेंडरों के जरिये देश भर गैस पहुंचना बेहद खर्चीला है क्योंकि आधारभूत ढांचा बेहद लचर है.

Indien Tschukudu Rikscha
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma

ऊर्जा की खपत के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है. लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) के खरीदारी में देश, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के बाद आता है. भारत में एलएनजी की मांग लगातार बढ़ रही है. कोशिश की जा रही है कि तेल और कोयले की जगह ईंधन के तौर पर प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल किया जाए.

नई दिल्ली में हुई पेट्रोटेक कॉन्फ्रेंस में देश की कमियां सामने आईं. कतर की रासगैस कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव हमाद मुबारक अल मुहानदी के मुताबिक, "भारत आकर्षित करने वाला बाजार है, लेकिन गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए आधारभूत ढांचे की कमी है. भारत की ऊर्जा जरूरतों का ज्यादातर हिस्सा अभी भी कोयला और लिक्विड फ्यूल से पूरा किया जा रहा है."

मध्य पूर्व एशिया से निकलने वाली गैस का 10 फीसदी हिस्सा ही भारत खरीदता है रासगैस कंपनी भारत की सबसे बड़ी कारोबारी साझेदार है. दोनों के बीच 25 साल का करार है, जिसके तहत कंपनी सस्ती दरों पर तेल और पेट्रोनेट एलएनजी की सप्लाई कर रही है.

गैस सिलेंडर को लाना और ले जाना भी बड़ा झमेला है.तस्वीर: DW/S.Waheed

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मानते हैं कि कम प्रदूषण करने वाली प्राकृतिक गैस भविष्य के लिए बेहतर विकल्प है. लेकिन अब भी देश के ज्यादातर हिस्सों में गैस सिलेंडरों के जरिये ही इसकी सप्लाई होती है. भारत में घरों में गैस के इस्तेमाल से जंगलों को काफी फायदा मिला है. अब ज्यादातर गांवों में भी चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी नहीं काटी जाती है. लेकिन लाखों ट्रकों के जरिये सिलेंडरों की देश भर में सप्लाई करना भी बड़ी चुनौती है.

कुछ महानगरों को छोड़ दें तो देश भर में रोड ट्रांसपोर्ट के लिए अब भी पेट्रोल और डीजल का ही इस्तेमाल होता है. इससे खपत और प्रदूषण में इजाफा हो रहा है. गैस पाइपलाइन, इसका सस्ता और टिकाऊ हल हो सकता है. मोदी कहते हैं कि अगले पांच साल में एक करोड़ घरों तक पाइपलाइन पहुंचा दी जाएगी. देश भर में मौजूद गैस पाइपलाइन के नेटवर्क को 30,000 किलोमीटर लंबा किया जाएगा. पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक ऐसा करने में 15 अरब डॉलर खर्च होंगे.

रूसी गैस कंपनी गाजप्रोम के साथ भी एक करार हो चुका है. करार के तहत रूस से भारत तक पाइपलाइन बिछाकर गैस लाई जाएगी. गाजप्रोम के चीफ कमर्शियल अफसर फ्रेडेरिक बैरनॉड के मुताबिक, "भारत एक जबरदस्त बाजार है, इस विकास करता बाजार है. हम भी इसमें अपनी अच्छी हिस्सेदारी चाहते हैं."

ओएसजे/वीके (रॉयटर्स)

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