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गैस पर हो रही है राजनीति

२१ मई २०१४

यूक्रेन संकट के साए में रूस और चीन ने गैस आपूर्ति पर समझौता कर लिया है. इधर रूस पर प्रतिबंधों की तलवार के बीच यूरोपीय आयोग के प्रमुख जोसे मानुएल बारोसो ने रूस से यूरोप के साथ किए गए समझौते को पूरा करने की मांग की है.

तस्वीर: Reuters

रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में रूस की गैस कंपनी गाजप्रोम और चीन की नेशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने सालों की सौदेबाजी के बाद समझौते पर दस्तखत किए. इसके अनुसार रूस चीन को 2018 से हर साल 38 अरब घनमीटर गैस की सप्लाई करेगा. कीमत के बारे में दोनों पक्षों ने कुछ नहीं बताया है लेकिन पुतिन ने कहा कि कीमतें यूरोप को की जाने वाली आपूर्ति की ही तरह होंगी.

अनौपचारिक तौर पर गैस आपूर्ति के सौदे को 400 अरब डॉलर से ज्यादा का माना जा रहा है. यूक्रेन संकट के कारण अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंधों का सामना कर रहा रूस दबाव में आ गया है और इस समझौते से उसे अपने गैस के लिए नया बाजार मिला है. दूसरी ओर चीन को बड़े पैमाने पर ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत मिला है जो कोयले के मुकाबले पर्यावरण के लिए कम नुकसानदेह है.

पुतिन और शीतस्वीर: Reuters

रूस साइबेरिया के अपने गैस की सप्लाई पूरब के नए पाइपलाइन के जरिए ऊर्जा के भूखे चीन के तटीय इलाकों को करेगा.

गैस निकासी और अपने इलाके में पाइपलाइन लगाने पर रूस 55 अरब डॉलर खर्च करेगा जबकि चीन अपने हिस्से के पाइपलाइन पर 20 अरब डॉलर का निवेश करेगा. पुतिन के लिए गैस बिक्री का यह समझौता राजनैतिक कामयाबी है. यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देशों के साथ हो रहे झगड़े में रूस को गैस का अपना बाजार खोने की आशंका है. इसलिए वह जल्द से जल्द नए बाजारों की तलाश में है. यूक्रेन ने क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन के विवाद के बाद गाजप्रोम पर बढ़ी हुई कीमतें मांगने का आरोप लगाया है और रूस को गैस के लिए भुगतान करना बंद कर दिया है.

बारोसोतस्वीर: AP

रूस ने इसके बाद जून से पड़ोसी देश को गैस की आपूर्ति रोकने की धमकी दी है. इसका असर यूरोपीय देशों के ग्राहकों पर भी पड़ सकता है, जिन्हें यूक्रेन से होकर गैस भेजा जाता है. हालांकि ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन संकट के बावजूद पश्चिमी देशों को होने वाली गैस आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आएगी, लेकिन यूरोपीय सरकारें एहतियाती कदम उठा रही हैं. यूरोपीय आयोग के प्रमुख बारोसो ने राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन को पत्र लिखकर यूरोप के साथ तय मात्रा में गैस आपूर्ति करने की गाजप्रोम कंपनी की जिम्मेदारी की ओर ध्यान दिलाया है.

यूरोपीय संघ अपनी जरूरत का एक तिहाई गैस रूस से खरीदता है. इसका एक हिस्सा यूक्रेन से होकर गुजरने वाली पाइपलाइनों से आता है. यूक्रेन रूस के साथ गैस की कीमतों को लेकर झगड़ रहा है, जबकि रूस का कहना है कि यूक्रेन पर 3.5 अरब डॉलर का बकाया हो गया है. यूरोपीय संघ के ऊर्जा कमिश्नर गुंटर ओएटिंगर ने रूसी पक्ष के साथ बातचीत के बाद बताया कि कीमत पर बातचीत चल रही है, जिसमें प्रगति हुई है लेकिन अब तक विवाद का समाधान नहीं हुआ है.

एमजे/एजेए (रॉयटर्स)

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