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गैस भंडार के लिए तुर्की से भिड़ते ग्रीस और मिस्र

१४ अगस्त २०२०

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान ने ग्रीस को कड़ी चेतावनी दी है. भूमध्यसागर में गैस खोजने निकला तुर्की अपने पड़ोसी ग्रीस और मिस्र के साथ बड़े टकराव में उलझ सकता है.

Türkisches Forschungsschiff Oruc Reis zur Gaserkundung im Mittelmeer
तस्वीर: picture-alliance/AP/DHA/I. Laleli

राजधानी अंकारा में अपनी पार्टी एकेपी के सदस्यों से बात करते हुए तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान ने कहा, "हमने ग्रीस से कह दिया है कि अगर आपने हमारे ओरुच रेईस पर हमला किया तो आपको भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.” ओरूच रेईस तुर्की का एक्स्प्लोरेशन जहाज है. इस हफ्ते फिर से जहाज ने पूर्वी भूमध्यसागर में गैस खोजने का काम शुरू कर दिया है. खोजी जहाज के साथ तुर्की की नौसेना के भी कई जहाज हैं. ग्रीस ने निगरानी के लिए अपनी नौसेना को भी मौके पर भेजा है.

ग्रीस के मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि उनकी नौसेना के जहाज ने ओरुच रेईस की सुरक्षा में लगे तुर्क जहाज को टक्कर मारी है. ग्रीस के रक्षा मंत्रालय से तुर्क जहाज पर हमले की खबरों का खंडन किया है. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि, ऐसी "कोई घटना नहीं हुई है.”

पेट्रोलियम के बड़े भंडार को लेकर तकरार

तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Baz

पूर्वी भूमध्यसागर में हाइड्रोकार्बन रिजर्व का पता चलने के बाद से ही तुर्की और ग्रीस का नया विवाद भड़का है. ग्रीस और यूरोपीय संघ का दावा है कि तुर्की इस इलाके में गैरकानूनी रूप से ड्रिलिंग कर रहा है. वहीं तुर्की का दावा है कि इलाका उसके एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में आता है.

गुरुवार को एर्दोवान ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से भी इस मसले पर बातचीत की. तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय ने इस बातचीत के बाद एक बयान जारी कर कहा, वह (राष्ट्रपति एर्दोवान) "चाहते हैं कि पूर्वी भूमध्यसागर के विवाद को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में निष्पक्षता व बातचीत के जरिए हल किया जाए.”

इससे पहले जुलाई में मैर्केल ने इस विवाद को लेकर तुर्की और ग्रीस के बीच मध्यस्थता की. मैर्केल के दखल के बाद तुर्की ने कुछ समय के लिए ड्रिलिंग रोक दी. लेकिन इसके बाद ग्रीस ने मिस्र के साथ तेल और गैस के खनन को लेकर एक संधि कर ली. संधि खनन के अधिकारों को लेकर है. तुर्की ने इस संधि को "डाकुओं की संधि” करार दिया और 10 अगस्त से ड्रिलिंग फिर शुरू कर दी.

विवादित इलाके में फ्रांसीसी सेना

शुक्रवार को यूरोपीय संघ के विदेश एक खास वीडियो कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे. इस बीच फ्रांस ने एलान किया है कि वह पूर्वी भूमध्यसागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाएगा. फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा, फ्रांस "अस्थायी रूप से”अपनी सेना वहां तैनात करेगा ताकि "इलाके के हालात पर नजर रखी जा सके और अंतरराष्ट्रीय कानून की बहाली तय हो सके.”

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Turkey's Ministry of Energy and Natural Resources

तुर्की और ग्रीस दोनों 1952 से नाटो के सदस्य हैं. लेकिन दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा का लंबा इतिहास रहा है. आज भी दोनों देशों के रिश्तों में मतभेद और तल्खी साफ नजर आती हैं.

विवाद में मिस्र के आने से अब यह और विस्फोटक हो गया है. श्टेफान रोल, जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स में मध्य पूर्व और अफ्रीका रिसर्च के हेड हैं. रोल कहते हैं, "पहला और साफ मुद्दा तो गैस का भंडार है. उनका विकास करना मिस्र के लिए बड़ा जरूरी है: देश की ऊर्जा रणनीति बड़े पैमाने पर गैस के निर्यात पर आधारित है. लेकिन तुर्की के साथ यह झगड़ा ज्यादा बड़ा है. इसकी जड़ें 2013 में मिस्र में हुए सैन्य तख्तापलट तक जाती हैं, जिसमें सत्ताधारी मुस्लिम ब्रदरहुड को निशाना बनाया गया. काहिरा का आरोप है कि तुर्की ने मुस्लिम ब्रदरहुड को समर्थन दिया कुछ हद तक यह बात सही भी है. मुस्लिम बदरहुड के कई वरिष्ठ सदस्य निर्वासन में तुर्की में रह रहे हैं. मिस्र के नेतृत्व को तुर्की से खतरा महसूस होता है, उनका आरोप है कि तुर्की बदला लेने के लिए तख्तापलट की योजना बना रहा है.”

यूरोपीय संघ के साथ भी तुर्की के संबंध बीते पांच साल में खराब ही हुए हैं. शरणार्थी संकट को लेकर एर्दोवान की सीमा खोलने की चेतावनियों को यूरोप के देश ब्लैकमेल के तौर पर देखते हैं. अमेरिका के साथ भी तुर्की के संबंध अब पहले जैसे नहीं रहे. एर्दोवान कभी रूस की तरफ जाते हैं तो कभी नाटो की तरफ लौटते हैं. पश्चिमी देशों को लग रहा है एर्दोवान अपने फायदे के लिए सौदेबाजी करने पर तुले हैं.

ओंकार सिंह जनौटी (एएफपी, रॉयटर्स)

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