विवाह से पूर्व एचआईवी टेस्ट अनिवार्य करेगी गोवा सरकार
९ जुलाई २०१९
गोवा सरकार शादी से पहले एचआईवी टेस्ट कराने को कानूनी बनाने पर विचार कर रही है. इससे पहले भी राज्य में इसे लागू करने की पहल की गई थी.
तस्वीर: Imago/robertharding/B. Pipe
विज्ञापन
गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने मंगलवार को कहा कि तटीय राज्य की सरकार विवाह के पंजीकरण से पहले एचआईवी टेस्ट अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. राणे ने आईएएनएस को बताया, "हम गोवा में विवाह के पंजीकरण से पहले भावी जोड़ों के लिए एचआईवी टेस्ट अनिवार्य करने पर विचार कर रहे हैं। यह अभी अनिवार्य नहीं है."
राणे वे, जो प्रांत के कानून मंत्री भी हैं, कहा कि शादी से पहले एचआईवी टेस्ट को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव पर कानून विभाग द्वारा गौर किया जा रहा है. राणे ने कहा, "अगर इसे जल्द ही विभाग द्वारा मंजूरी दे दी जाती है, तो हम राज्य विधान सभा के मानसून सत्र में कानून बनाएंगे." मानसून सत्र 15 जुलाई से शुरू होगा.
महाराष्ट्र और गोवा में इस तरह की पहल पहले भी हो चुकी है. 2008 में महाराष्ट्र में विधायकों की एक समिति ने इसका प्रस्ताव दिया था. 2006 में, गोवा के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दयानंद नारवेकर ने एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें गोवा कैबिनेट ने विवाह से पहले एचआईवी परीक्षण को अनिवार्य बनाने वाले कानून को मंजूरी दी थी. लेकिन पहल फलीभूत नहीं हुई.
एड्स से बचाने वाली प्रेप नाम की दवा इस गंभीर बीमारी को फैलने से रोक सकती है. लेकिन अब तक पूरे विश्व में इसे अपनाने में दिक्कतें आ रही हैं. जानिए इस दवा की पांच खास बातें.
तस्वीर: picture-alliance/ANP XTRA
कैसे काम करता है
'प्रेप' का पूरा नाम है - प्री एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस. इसे एंटीरेट्रोवायरल ड्रग से बनाया जाता है. यह संक्रमित लोगों के शरीर में एचआईवी वायरस की संख्या को घटाता है. इस तरह उनसे किसी और को यह वायरस फैलने की संभावना कम हो जाती है. यह उन लोगों को बचाने के लिए है जिन्हें अब तक एचआईवी संक्रमण नहीं हुआ है. गर्भनिरोधक गोलियों की ही तरह इन्हें भी हर रोज लेना होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen
बहुत असरदार
गर्भनिरोधक गोलियों की ही तरह यह भी 100 फीसदी असरदार है लेकिन केवल तब तक जब मरीज इसे नियमित रूप से ले रहा हो. सैन फ्रैंसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पाया कि नियमित तौर पर लेने से लोगों में यौन संपर्क के कारण फैलने वाले एचआईवी के मामलों को 96 फीसदी तक कम किया जा सकता है. पूरे विश्व में इस समय करीब 3.69 करोड़ों लोग एचआईवी ग्रस्त हैं और हर दिन 5,000 नए लोग इसके वायरस से संक्रमित हो रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/B. Coleman
लोकप्रिय ना होना समस्या
सन 2012 से ही अमेरिका में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध इस दवा को अब तक ऐसे केवल 10 फीसदी लोग ही लेते हैं, जिन्हें संक्रमण का गंभीर खतरा है. अमेरिका में करीब 40,000 नए लोगों को हर साल एड्स का संक्रमण होता है. अमेरिका अगले पांच सालों में नए संक्रमण को 75 फीसदी तक घटा कर इस बीमारी से छुटकारा चाहता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen
सुरक्षित है दवा
प्रेप को दवा के रूप में लेने के उतने ही दुष्प्रभाव हैं जितने एसपिरिन जैसी आम दवा के होते हैं. पेन किलर दवाओं की तरह ही इसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं पाया गया है. दवा के बारे में समझ की कमी के साथ साथ उसका महंगा होना एक समस्या है. कई बार हेल्थकेयर पेशेवर भी दवा सुझाने में देर या लापरवाही कर देते हैं.
सभी यौन बीमारियों से नहीं बचाती
प्रेप लेने वालों को यह नहीं समझना चाहिए कि इससे सभी यौन संक्रमणों से बचा जा सकता है. हर्पीज, क्लेमाइडिया, गोनोरिया या सिफिलिस जैसी बीमारियों से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने में कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है. (सैम बेकर/आरपी)