राजस्थान के अलवर जिले में जिस मुस्लिम व्यक्ति की गौरक्षकों ने पिटाई की थी उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई है. बीते सप्ताह अलवर के राजमार्ग पर गाय ले जा रहे 15 मुस्लिम लोगों के समूहों पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था.
विज्ञापन
इन स्वघोषित गौरक्षकों को शक था कि ये लोग गायों की तस्करी कर रहे हैं. पुलिस के मुताबिक इस घटना में जख्मी हुये पहलू खान को इलाज के लिये स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन इलाज के दौरान खान की मौत हो गई. देश में हिंदु बहुसंख्यक गाय को पवित्र मानते हैं और कई राज्यों में इसकी हत्या अवैध है. आजकल देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में स्वयं को गौरक्षक बताने वाले दस्ते घूम-घूम कर आती-जाती गाड़ियों की जांच कर रहे हैं. अलवर पुलिस प्रमुख राहुल प्रकाश ने बताया कि इस हमले में छह अन्य लोग भी घायल हुये थे जिन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. उन्होंने बताया कि पुलिस अब भी हमलावरों की पहचान करने की कोशिश कर रही है और इनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है. हालांकि पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इंतजार में भी है ताकि मौत का कारण साफ हो सके. पुलिस के मुताबिक खान अपने साथियों के साथ अपने घर हरियाणा लौट रहे थे जिस दौरान भीड़ ने उनकी गाड़ी रोक दी.
पिछले दो सालों के दौरान गौमांस खाने के संदेह और गायों की तस्करी जैसे मामलों के चलते देश भर में कट्टरपंथी हिंदू दलों ने अब तक करीब 10 मुस्लिम व्यक्तियों की हत्या कर दी है. आलोचकों के मुताबिक साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से ये हिंदूवादी समूह अधिक सक्रिय हो गये हैं. हालांकि पिछले साल प्रधानमंत्री ने ऐसे गौरक्षकों की आलोचना की थी और गौरक्षा के नाम पर अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी दिये थे.
लेकिन उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक बार फिर ये मसला गर्मा गया है. इनके मुख्यमंत्री बनते ही पुलिस ने राज्य में चल रहे अवैध बूचड़खानों को बंद करना शुरू कर दिया जिसके चलते इस उद्योग पर भी काफी असर पड़ा.
एए/ओएसजे (डीपीए,एपी)
ये हैं भारत के बीफ खाने वाले
भारत में खानपान की आदतें केवल व्यक्तिगत पसंद नहीं बल्कि धर्म, जाति, क्षेत्र और आय पर आधारित एक जटिल समीकरण से जुड़ी हैं. देखिए सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में कौन लोग गाय या भैंस का मांस खाते हैं.
तस्वीर: AP
राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस एनएसएसओ के 2011-12 के आंकड़ें दिखाते हैं कि भारत में करीब 8 करोड़ लोग बीफ या भैंस का मीट खाता है.
तस्वीर: Shaikh Azizur Rahman
आंकड़ों के अनुसार बीफ यानि गौमांस और भैंस का मीट खाने वाले ये लोग सभी धर्मों और राज्यों में पाये जाते हैं. इन 8 करोड़ लोगों में करीब सवा करोड़ हिन्दू हैं.
तस्वीर: Getty Images/P. Guelland
एनएसएसओ के आंकड़ों से हाल के सालों में मीट की खपत बढ़ने का पता चलता है. इस सर्वे में करीब एक लाख लोगों से आंकड़ें इकट्ठे किए गए. देखा गया कि हफ्ते और महीने की औसत अवधि में एक परिवार खाने की किन चीजों पर कितना खर्च करता है.
तस्वीर: DW/S.Waheed
विश्व में मांस की खपत का लेखाजोखा करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था एफएओ की 2007 में जारी 177 देशों की सूची में भारत को अंतिम स्थान मिला. 43 किलो के विश्व औसत के मुकाबले भारत में प्रति व्यक्ति सालाना मांस की खपत मात्र 3.2 किलो दर्ज हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb
एफएओ बताता है कि दुनिया भर में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने, शहरीकरण और खानपान की आदतें बदलने के कारण मांस की खपत बढ़ी है. भारत में खपत विश्व औसत से काफी कम है लेकिन वह बीफ, भैंस के मांस और काराबीफ का सबसे बड़ा निर्यातक है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/U. Baumgarten
भारत में धर्म के आधार पर गाय या भैंस का मांस खाने वाला सबसे बड़ा समुदाय 6 करोड़ से अधिक मुसलमानों का है. संख्या के मामले में इसके बाद सबसे अधिक हिन्दू समुदाय आता है. जबकि प्रतिशत के अनुसार मुसलमानों के बाद ईसाई आते हैं.
तस्वीर: DW/S.Waheed
मुसलमानों के अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) गाय या भैंसों का मीट खाने वाला सबसे बड़ा तबका है. हिन्दुओं में इसे खाने वाले 70 फीसदी से अधिक लोग एससी/एसटी, 21 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग और करीब 7 फीसदी उच्च जातियों से आते हैं.