'मेड इन जर्मनी' को 'मेड इन चाइना 2025' से कड़ी चुनौती मिलने लगी है. चीन को होने वाले भारी भरकम जर्मन निर्यात के दिन लदते दिखाई दे रहे हैं. इस चुनौती से बचने के लिए क्या होगी जर्मनी की रणनीति.
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कभी जर्मन निर्यातकों के लिए सुनहरा मौका देने वाले चीन में अब जर्मनी की दिलचस्पी घट रही है. चीन आज केवल एक बड़ा ग्राहक नहीं रहा बल्कि यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था को टक्कर देने वाली ताकत बन चुका है. इन बदले हालातों के मद्देनजर अब जर्मनी खुद अपने खेमे में कुछ बदलाव कर रहा है.
जर्मनी की कारों और फैक्ट्री उत्पादों की खपत चीन में खूब खपत हुई. सालों साल चले ऐसे भारी भरकम जर्मन निर्यात ने चीन को विश्व की दूसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में भी अहम भूमिका निभाई. लेकिन अब ना केवल ऐसे भारी भरकम निर्यात के दिन लद गए हैं बल्कि वैल्यू चेन में तेजी से ऊपर चढ़ते चीन में जर्मन कंपनियों के मुकाबले ज्यादा तेजी से नई खोजें हो रही हैं. उसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिका को पहले रखने की नीति भी जर्मनी और चीन समेत वैश्विक कारोबार पर असर डाल रही है.
कहां है दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां
दुनिया में हर कंपनी कारोबार बढ़ाने के लिए जतन कर रही है. फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक बिक्री, संपत्ति और पूंजी के लिहाज से ये दुनिया की 25 सबसे बड़ी कंपनियां है.
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25. अलायंज
जर्मनी की इंश्योरेंस कंपनी अलायंज का स्थान दुनिया की 25 सबसे बड़ी कंपनियों में है. कंपनी ने पिछले सालों में 106 फीसदी का लाभ अर्जित किया है.
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24. एटी एंड टी
अमेरिकी टेलिकॉम कंपनी एटी एंड टी की गिनती दुनिया की बड़ी टेलिकॉम कंपनियों में होती है. कंपनी वॉयस, वीडियो, डाटा और इंटरनेट कम्युनिकेशन के क्षेत्र में सक्रिय है.
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23. टोटल
फ्रांस की तेल और गैस कंपनी टोटल का इस सूची में 23वां स्थान है लेकिन हाल के सालों में कंपनी का कारोबार घटा है.
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22. बीएनपी परिबस
फ्रांस की बैंकिंग कंपनी बीएनपी परिबस की मौजूदगी दुनिया के 87 देशों में है. इसमें करीब 1.88 लाख लोग काम करते
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21. सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स
दक्षिण कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का इस सूची में 21वां स्थान है. पिछले कुछ सालों में सैमसंग ने स्मार्टफोन बाजार में खासा दबदबा बनाया है.
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20. पेट्रोब्रास
ब्राजील की सबसे बड़ी तेल और गैस ऑपरेशन की कंपनी पेट्रोब्रास कई बार राजनीतिक कारणों की वजह से चर्चा में रही है. पिछले सालों में स्थानीय मुद्रा के अवमूल्यन के चलते पेट्रोब्रास का काम प्रभावित हुआ है.
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19. सिटीग्रुप
अमेरिका की बैंकिंग कंपनी में दो लाख से भी ज्यादा लोग काम करते हैं. दुनिया के 160 देशों में कंपनी कारोबार करती है. 2007-08 की मंदी के पहले कंपनी में करीब साढ़े तीन लाख लोग काम करते थे.
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18. बीपी
ब्रिटेन की तेल और गैस कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम का मुख्यालय लंदन में है. बीपी उत्पादन, रिफाइनरी, वितरण, पेट्रोकैमिकल्स और ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में सक्रिय है. कंपनी अब अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी अपना कामकाज बढ़ा रही है.
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17. गैजप्रॉम
रूस की तेल और गैस कंपनी गैजप्रॉम दुनिया की सबसे बड़ी गैस उत्पादक कंपनी है. कंपनी अपने उत्पादन का 25 फीसदी हिस्सा पश्चिमी यूरोपीय देशों को बेच देती है.
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16. वॉलमार्ट
पिछले कुछ सालों के दौरान अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट का कारोबार अमेरिका में प्रभावित हुआ है, लेकिन अब कंपनी दुनिया भर के देशों में कारोबार फैलाने की कोशिशों में जुटा है.
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15. एप्पल
टेक क्षेत्र की अमेरिकी दिग्गज कंपनी एप्पल दुनिया की सबसे अहम कंपनियों में से एक है. कंपनी चीन, भारत जैसे कई एशियाई मुल्कों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है.
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14. फॉक्सवागेन
जर्मनी की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी फॉक्सवागेन भी दुनिया की टॉप 25 कंपनियों में शामिल है. साल 2012 में कंपनी ने करीब 93 लाख गाड़ियां बेची थीं, जो पिछले सालों की तुलना में 12.2 फीसदी अधिक थी.
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13. शेवरॉन
अमेरिकी तेल और गैस कंपनी शेवरॉन अब भी देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है. साल 2012 में कंपनी का उत्पादन तकरीबन 26 लाख बैरल प्रति दिन रहा था. कुल उत्पादन का 25 फीसदी हिस्सा अमेरिका से ही मिलता है.
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12. वेल्स फार्गो
अमेरिकी बैंक वेल्स फार्गो अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है. यह देश में संपत्ति के बदले कर्ज देने वाला सबसे बड़ा बैंक है. देश में हर तीन में एक कर्ज इसी बैंक से लिया जाता है.
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11. बैंक ऑफ चाइना
चीन के चार प्रमुख सरकारी बैंकों में से एक बैंक ऑफ चाइना भी है. बैंकिंग ऑपरेशन से इतर अब यह कंपनी इंश्योरेंस और सिक्योरिटी सर्विसेज में भी सक्रिय हो रही है.
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10. पेट्रोचाइना
पेट्रोचाइना चीन की तेल और गैस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है. पिछले कुछ सालों में कंपनी का कारोबार कुछ धीमा पड़ा है लेकिन अब भी कंपनी सूची में दसवें स्थान पर बनी हुई है.
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9. ब्रैकशायर हैथवे
ब्रैकशायर हैथवे एक अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी है. यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी पब्लिक कंपनी है लेकिन राजस्व के हिसाब से दुनिया में इसका नौवां स्थान है.
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8. एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाइना
चीन का एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाइना देश की लाभकारी कंपनियों में से एक है. साल 1951 में स्थापित किए इस बैंक के ऑपरेशन आज हांगकांग, लंदन, टोक्यो समेत दुनिया के कई देशों में है.
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7. रॉयल डच शेल
नीदरलैंड की तेल और गैस कंपनी रॉयल डच शेल के दुनिया भर में 44 हजार सर्विस स्टेशन हैं. साथ ही कंपनी की अपनी 30 रिफाइनरियां भी हैं.
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6. एचएसबीसी होल्डिंग
साल 1865 में स्थापित की गई ब्रिटिश कंपनी एचएसबीसी होल्डिंग बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी है. कंपनी दुनिया के 67 देशों में 3900 दफ्तर चलाती है.
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5. एक्सॉन मोबिल
अमेरिकी तेल और गैस कंपनी एक्सॉन मोबिल दुनिया में सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली कंपनियों में से एक है.
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4. जनरल इलेक्ट्रिक
अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक का मुख्यालय बोस्टन में है. कंपनी, एवियेशन, हेल्थकेयर, ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा, वेंचर कैपिटल, फाइनेंस, परिवहन जैसे क्षेत्रों में सक्रिय है.
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3. जेपी मॉर्गन चेज
अमेरिकी कंपनी जेपी मॉर्गन चेज एक इनवेस्टमेंट बैंक है और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में सक्रिय है. यह अमेरिका का सबसे बड़ा बैंक हैं और प्रतिभूतियों के लिहाज से विश्व का दूसरा बड़ा बैंक है.
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2. चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक
चीन के प्रमुख चार बैंकों में शामिल चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक है. बैंक की चीन में 13 हजार से भी ज्यादा शाखाएं हैं.
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1. आइसीबीसी
इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना लिमिटेड (आइसीबीसी) एक मल्टीनेशनल बैंकिंग कंपनी है. परिसंपत्तियों, कर्ज और ग्राहकों की संख्या में यह दुनिया का सबसे बड़ा बैंक है.
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साल 2018 में जर्मनी में पांच सालों की सबसे कमजोर बढ़त दर्ज हुई. इसमें मंद पड़ते विदेश व्यापार का बड़ा हाथ था क्योंकि इस दौरान जर्मनी का आयात उसके निर्यात के मुकाबले तेजी से बढ़ा. हालांकि अब भी चीन को होने वाला जर्मन निर्यात साल दर साल के हिसाब से करीब 10 फीसदी बढ़ा है फिर भी 'मेड इन जर्मनी' उत्पादों के लिए चीनी मांग में आई कमी खूब महसूस हो रही है.
जर्मनी के डीआईएचके चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के फोल्कर ट्रायर बताते हैं, "चीन में जर्मन कंपनियों का कारोबारी भविष्य धुंधलाता जा रहा है." बीते नवंबर में ही चीन को होने वाले जर्मन निर्यात में केवल 1.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई. चीनी अर्थव्यवस्था भी धीरे धीरे ठंडी पड़ती दिख रही है और अमेरिका की ओर से थोपे गए अतिरिक्त शुल्क के अलावा दोनों के व्यापारिक संबंधों को काफी धक्का पहुंचा है.
जर्मन वित्त मंत्री ओलाफ शोल्त्स एक हफ्ते में शुरु हो रहे अपने अगले चीनी दौरे पर जर्मन कंपनियों खासकर बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के रास्ते खोलने की कोशिश करेंगे. जर्मनी को उम्मीद है कि ब्रिटेन के ईयू छोड़ने से उसे फायदा पहुंचेगा और शायद कई बैंक अपने ऑपरेशन लंदन से हटाकर फ्रैंकफर्ट ले आएंगे.
जर्मन नीति बनाने वाले और कारोबारी कहते हैं कि चीन में सरकार से नियंत्रित आर्थिक मॉडल उनके लिए फायदेमंद नहीं है. चीन ने अपनी "मेड इन चाइना 2025" योजना के तहत घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रिक कारों की तकनीक विकसित करने का लक्ष्य रखा है. इसमें उसे सरकार का पूरा समर्थन और दूसरी ओर विदेशी कंपनियों को देश में प्रवेश ना करने की सुरक्षा मिल रही है. इसके अलावा कूका जैसी जर्मन रोबोटिक्स कंपनी के अधिग्रहण से चीन नई तकनीकों के अधिकार भी खरीद रहा है.
जर्मनी के प्रभावशाली इंडस्ट्री संघ बीडीआई ने हाल ही में चीन के लिए यूरोपीय संघ से कड़ी नीतियां बनाने और जर्मन कंपनियों से चीनी बाजार पर निर्भरता घटाने की मांग की है. अब जर्मनी चीन जैसे किसी भी गैर-यूरोपीय देश की कंपनियों के जर्मन कंपनियों में हिस्सेदारी लेने पर भी सख्ती बरत 'निर्यात के राजा' वाले अपने डोलते सिंहासन को बचाने की कोशिश कर रहा है